भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हो चुका है-पीएम मोदी
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हो चुका है। पीएम मोदी ने अपने ब्रिटेन दौरे के दौरान पीएम कीर स्टार्मर से मुलाकात की और भारत के युवाओं, किसानों, मछुआरों के लिए इस समझौते को विशेष रूप से लाभकारी बताया। पीएम ने कहा कि ‘आज हमारे संबंधों में एक एतिहासिक दिन है। मुझे प्रसन्नता है कि कई वर्षों की मेहनत के बाद, आज दोनों देशों के बीच कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट संपन्न हुआ है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अपने समकक्ष के साथ समझौते पर दस्तखत किए।
यूके के मार्केट में नए अवसर बनेंगे’
पीएम मोदी ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लाभकारी बताते हुए कहा, ‘एक ओर भारतीय टेक्सटाइल्स, फुटवियर, जेम्स एण्ड ज्वेलरी, सी फूड और इंजीनियरिंग गुड्स को यूके में बेहतर मार्केट एक्सेस मिलेगा। भारत के ऐग्रिकल्चर उत्पाद और प्रोसेस्ड फूड इंडस्ट्री के लिए यूके के मार्केट में नए अवसर बनेंगे’
पीएम ने कहा, ‘भारत के युवाओं, किसानों, मछुआरों और एमएसएमई सेक्टर के लिए यह समझौता विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होगा। वहीं दूसरी ओर भारत के लोगों और इंडस्ट्री के लिए यूके में बने प्रोडक्ट्स जैसे मेडिकल डिवाइसेज़ और एयरोस्पेस पार्ट्स सुलभ और किफायती दरों पर उपलब्ध हो सकेंगे।’
पहलगाम आतंकी हमले का किया जिक्र
- पीएम मोदी ने कहा कि ‘अगले दशक में हमारी कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप को नयी गति और ऊर्जा देने के लिए आज हम विजन 2035 पर भी बात करेंगे। यह टेक्नोलॉजी, डिफेंस, क्लाइमेट, एजुकेशन और पीपल-टू-पीपल कनेक्ट के क्षेत्रों में एक मजबूत, भरोसेमंद और महत्वाकांक्षी साझेदारी का रोडमैप होगा।’
- उन्होंने आगे कहा, ‘इंडो-पैसिफिक में शांति और स्थिरता, यूक्रेन में चल रहे संघर्ष और पश्चिम एशिया की स्थिति पर हम विचार साझा करते रहे हैं। सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान अनिवार्य है। आज के युग की मांग, विस्तारवाद नहीं, विकासवाद है।’
- पीएम ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कठोर निंदा के लिए हम प्रधानमंत्री स्टार्मर और उनकी सरकार का आभार व्यक्त करते हैं। हम एकमत हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंडों का कोई स्थान नहीं है। हम इस बात पर भी सहमत हैं, कि कट्टरपंथी विचारधारा वाली शक्तियों को अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग नहीं करने दिया जा सकता।
- भारत और ब्रिटेन के बीच इस सप्ताह मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर होने जा रहा है। इस एफटीए के बाद भारत से निर्यात होने वाली 99 प्रतिशत वस्तुओं पर ब्रिटेन के बाजार में शुल्क नहीं लगेगा। इसका नतीजा यह होगा कि ब्रिटेन के बाजार में भारतीय वस्तुएं चीन की वस्तुओं के मुकाबले सस्ती हो जाएंगी और चीन की जगह भारतीय वस्तुओं को तरजीह मिलेगी।
- पिछले साल चीन और ब्रिटेन के बीच वस्तु व सेवा को मिलाकर 132 अरब डालर का व्यापार किया गया जबकि भारत और ब्रिटेन के बीच इस अवधि में 58 अरब डालर का व्यापार किया गया। चीन ब्रिटेन को वस्तु व सेवा को मिलाकर कुल 92 अरब डालर का निर्यात करता है जबकि वस्तु व सेवा को मिलाकर भारत का निर्यात ब्रिटेन में लगभग 35 अरब डालर का है।
चीन के साथ घट रहा ब्रिटेन का व्यापार
विदेश व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रिटेन के साथ चीन का कोई एफटीए नहीं है और चीन के साथ ब्रिटेन का व्यापार घट रहा है। पिछले साल ब्रिटेन होने वाले चीन के निर्यात में लगभग पांच प्रतिशत की गिरावट आई है।
भारत देगा चीन को टक्कर
भारत के साथ एफटीए के बाद ब्रिटेन के बाजार में टेक्सटाइल, लेदर, लेदर आइटम, जेम्स व ज्वैलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग गुड्स, केमिकल्स जैसे रोजगारपरक सेक्टर के निर्यात में बढ़ोतरी होगी। अभी ब्रिटेन के बाजार में चीन के इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रीक आइटम काफी अधिक बिकते हैं। भारतीय वस्तुओं पर शुल्क खत्म होने से इन सेक्टर में भारत चीन को टक्कर देगा।
अमेरिका और यूरोपीय यूनियन भी मांगेगे छूट
दूसरी तरफ ब्रिटेन की शराब, चॉकलेट और कई अन्य खाद्य पदार्थ के साथ ऑटोमोबाइल, मेडिकल उपकरण अब मात्र 10 प्रतिशत तक के शुल्क पर भारत में आ सकेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में ब्रिटेन को शुल्क में छूट देने से अमेरिका व यूरोपीय यूनियन भी भारत के साथ व्यापार समझौते में इस प्रकार की छूट मांगेगे। इससे भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर को कड़ा मुकाबला करना होगा।
अमेरिका को भी जाएगा ये संदेश
ब्रिटेन के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर से अमेरिका को यह संदेश जाएगा कि भारत सिर्फ अमेरिकी बाजार के भरोसे नहीं है। एफटीए हस्ताक्षर के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी ब्रिटेन में मौजूद रहेंगे। हालांकि ब्रिटेन के साथ होने वाले एफटीए पर अमल में छह माह से अधिक का समय लग सकता है क्योंकि एफटीए पर अमल के लिए ब्रिटेन की संसद से मंजूरी लेना अनिवार्य है। भारत में कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही इसे अमल में लाया जा सकता है।
इस एफटीए में सर्विस सेक्टर को भी शामिल किया गया है जिसके तहत दोनों देशों के प्रोफेशनल्स को एक-दूसरे के देश में सेवा देने का आसानी से मौका मिलेगा।