40 सेकेंड में एक व्यक्ति करता है आत्महत्या,क्यों ?
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर विशेष
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टियों से मानव जीवन को अनमोल माना गया है। एक मनुष्य तमाम उम्मीदों के साथ जन्म लेता है और उससे कहीं ज्यादा उम्मीदों के साथ उसका पालन-पोषण होता है, लेकिन जीवन के किसी भी पड़ाव पर नाउम्मीदी की एक लहर मनोदशा पर ऐसा कहर बरपाती है कि इंसान अपने हाथों ही अपने-अपने अनमोल जीवन को असमय समाप्त कर देता है।
विश्व में प्रत्येक 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या
अफसोस की बात है कि आत्महत्या की यह प्रवृत्ति दुनिया भर में बढ़ रही है। इसे रोकने के लिए प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को ‘विश्व आत्महत्या निषेध दिवस’ का आयोजन होता है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य उद्देश्य आत्महत्या से जुड़े व्यवहार पर शोध, जागरूकता प्रसार और डाटा संकलन करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व में प्रत्येक 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है।
2021 में देश में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या
भारत में भी आत्महत्याओं का आंकड़ा चिंताजनक है। कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी ने वर्ष 2021 में भारत में आत्महत्या के मामलों को लेकर रिपोर्ट जारी की थी। इसके अनुसार 2021 में देश में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में आत्महत्याएं 2020 के मुकाबले करीब 7.2 प्रतिशत बढ़ गई। एनसीआरबी के मुताबिक आत्महत्या की घटनाओं के पीछे पेशेवर या करियर संबंधी समस्याएं, अलगाव की भावना, दुर्व्यवहार, हिंसा, पारिवारिक समस्याएं, मानसिक विकार, शराब की लत, वित्तीय नुकसान और कुछ पुरानी टीस मुख्य कारण हैं।
मानसिक बीमारी का अहसास हो तो तुरंत किसी मनोचिकित्सक से मिलें
स्पष्ट है कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनाव चरम पर है। इससे उपजे नकारात्मक विचार कई बार इतने हावी हो जाते हैं कि लोग जीवन को समाप्त करने का खतरनाक रास्त चुन लेते हैं। इसलिए जब भी ऐसी असहज स्थिति महसूस हो तो व्यक्ति को अपने परिवार या दोस्तों के साथ समय बिताना चाहिए, जो विकट परिस्थितियों में मानसिक संबल दे सकते हैं। यदि कभी जरूरत से ज्यादा तनाव अथवा किसी मानसिक बीमारी का अहसास हो तो तुरंत किसी मनोचिकित्सक से मिलकर अपनी परेशानी साझा करें।
केंद्र सरकार द्वारा अगस्त 2020 में एक मेंटल हैल्थ रिहैबिलिटेशन हेल्पलाइन (किरण हेल्पलाइन) नंबर भी जारी किया गया था। उस पर काल करके ऐसी स्थिति में काउंसलिंग ली जा सकती है। लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का प्रसार करके भी आत्महत्या के मामलों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति के मन में आत्महत्या का विचार आए ही नहीं, ऐसा परिवेश तैयार करना परिवार के साथ-साथ समाज की भी बड़ी जिम्मेदारी है। तभी आत्महत्या निषेध दिवस जैसे आयोजन सार्थक सिद्ध हो सकेंगे।
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