क्या भारत में विश्व बैंक के अनुसार दस वर्ष में गरीबों की संख्या 27 से घटकर 5.3 फीसद हुई?

क्या भारत में विश्व बैंक के अनुसार दस वर्ष में गरीबों की संख्या 27 से घटकर 5.3 फीसद हुई?

10 साल में गरीबी से बाहर आए 17 करोड़ लोग

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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विश्व बैंक ने हाल में अपनी गरीबी रेखा की सीमा को संशोधित किया है। अब ये 2.15 डॉलर प्रतिदिन से बढ़कर 3 डॉलर प्रतिदिन हो गया है। इस नए मानक के अनुसार, भारत में अत्यधिक गरीबी की दर में काफी ज्यादा कमी देखी गई। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2011-12 में 27.1% की अत्यधिक गरीबी दर 2022-23 में घटकर मात्र 5.3% रह गई है। अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 344.47 मिलियन से घटकर 75.24 मिलियन हो गई है।

क्यों बनाई जाती है यह रिपोर्ट?

विश्व बैंक की यह रिपोर्ट 100 से अधिक विकासशील देशों में गरीबी, साझा समृद्धि और असमानता के रुझानों के बारे में बताते हैं। विश्व बैंक समूह और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वसंत और वार्षिक बैठकों के लिए साल में दो बार जारी होने वाली ये जानकारी किसी देश की गरीबी और असमानता के बारे में तस्वीर पेश करते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार

  • ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 2011-12 में 18.4% से घटकर 2022-23 में 2.8% हुई।
  • शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 2011-12 में 10.7% से घटकर 1.1% हुई।
  • ग्रामीण और शहरी गरीबी के बीच का अंतर 7.7 प्रतिशत अंक से घटकर 1.7 प्रतिशत अंक रह गया।

रोजगार में हुई वृद्धि

  • वर्ल्ड बैंक के अनुसार, भारत को निम्न-मध्यम आय स्तर पर गरीबी कम करने से फायदा हुआ।
  • प्रतिदिन 3.65 अमेरिकी डॉलर मापा गया है।
  • ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में इस व्यापक-आधारित वृद्धि से लाखों लोगों को लाभ हुआ है।
  • रोजगार वृद्धि में सकारात्मक रुझान देखे गए हैं विशेषकर 2021-22 के बाद से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जैसा कि विश्व बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है।
  • 2021-22 से रोजगार वृद्धि ने कामकाजी आयु वर्ग की आबादी को पीछे छोड़ दिया है, खासकर महिलाओं के बीच रोजगार दरों में वृद्धि हुई है।
  • शहरी बेरोजगारी वित्त वर्ष 24-25 की पहली तिमाही में 6.6 प्रतिशत तक गिर गई, जो 2017-18 के बाद सबसे कम है।
  • हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि 2018-19 के बाद पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में पुरुष श्रमिकों का स्थानांतरण हुआ है, जबकि कृषि में ग्रामीण महिला रोजगार में वृद्धि हुई है।
  • स्वरोजगार में वृद्धि हुई है, विषेशकर ग्रामीण श्रमिकों और महिलाओं के बीच, जिसने आर्थिक भागीदारी में योगदान दिया है।
विश्व बैंक ने कहा है कि भारत 2011-12 और 2022-23 के बीच 17.1 करोड़ लोगों को अत्यंत गरीबी से बाहर निकालने में सफल रहा है। विश्व बैंक ने भारत को लेकर गरीबी और समानता पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने गरीबी को काफी हद तक कम किया है। अत्यंत गरीबी यानी प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम पर जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या 2011-12 में 16.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.3 प्रतिशत पर आ गई। इससे 17.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ पाए हैं।

शहरी क्षेत्रों में भी कम हुई गरीबी

रिपोर्ट के मुताबिक, गांवों में अत्यंत गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत पर आ गई, जबकि शहरी क्षेत्र में यह 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत पर रही। इससे ग्रामीण-शहरी अंतर 7.7 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत पर आ गया। यह सालाना 16 प्रतिशत की गिरावट है। इसमें कहा गया है कि भारत निम्न-मध्यम आय वर्ग की श्रेणी में भी आने में सफल रहा है। इसमें 3.65 डॉलर प्रतिदिन की निम्न-मध्यम आय वर्ग (एलएमआइसी) गरीबी रेखा का उपयोग करते हुए गरीबी 61.8 प्रतिशत से घटकर 28.1 प्रतिशत पर आ गई।

इन राज्यों का भी योगदान

  • रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में भारत में अत्यंत गरीबी में रहने वाले लोगों में पांच सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल और मध्य प्रदेश की 65 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। वहीं 2022-23 तक अत्यंत गरीबी में आई कमी में इनका योगदान दो-तिहाई रहा।
  • इसके बावजूद इन राज्यों का अब भी भारत के अत्यंत गरीबी में रहने वाले लोगों का 54 प्रतिशत (2022-23) और बहुआयामी यानी विभिन्न स्तरों पर गरीब लोगों (2019-21) का 51 प्रतिशत हिस्सा है।

महिलाओं में बढ़ी रोजगार दर

रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के बीच रोजगार दर बढ़ रही है। शहरी बेरोजगारी वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में 6.6 प्रतिशत तक घट गई, जो 2017-18 के बाद सबसे कम है। इसमें चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि युवा बेरोजगारी 13.3 प्रतिशत है। उच्च शिक्षा प्राप्त स्नातकों के बीच बेरोजगारी 29 प्रतिशत तक है। विश्व बैंक समूह और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के ये विवरण साल में दो बार जारी किए जाते हैं। यह रिपोर्ट किसी देश की गरीबी और असमानता के संदर्भ को समझने में मदद करती है।

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