आखिर ब्राह्मणों ने बिगाड़ा क्या है?
जेएनयू की दीवारों पर लिखा गया ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
रोज सुबह-शाम ईश्वर की आराधना करते समय सबके कल्याण और विश्व में शांति के लिए प्रार्थना करने वाले ब्राह्मणों ने किसी का क्या बिगाड़ा है? यह सवाल हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि कभी दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की दीवारों पर ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’ का नारा लिख कर वामपंथी सामाजिक तनाव फैलाने का प्रयास करते हैं तो कभी खबर आती है कि कर्नाटक में एक परीक्षा केंद्र में छात्रों से परीक्षा कक्ष में प्रवेश करने से पहले उन्हें जनेऊ उतारने के लिए कहा जाता है। कभी खबर देखने को मिलती है कि एक फिल्म निर्माता निर्देशक ब्राह्मणों पर पेशाब करने की बात खुलेआम कह देता है।
देखा जाये तो हमारे देश की जाति व्यवस्था में ब्राह्मण को गुरु, पूज्य और यहाँ तक कि तीर्थस्वरूप माना गया है। कोई भी शुभ कार्य करना हो तो ब्राह्मण ही उसे संपन्न कराता है। पौराणिक ग्रंथों में तो उल्लेख मिलता है कि ब्राह्मण को कभी निराश नहीं करना चाहिए और ब्राह्मणों को दिये जाने वाला दान-दक्षिणा जन्म जन्मांतरों तक मनुष्य को अक्षय फल प्रदान करता है।
लेकिन आज ब्राह्मणों के अपमान का फैशन-सा चल पड़ा है। चूंकि ब्राह्मण अपने हक के लिए या अपने खिलाफ हो रहे अत्याचार के विरोध में सड़कों पर नहीं उतरते इसलिए सरकारों का ध्यान भी उनकी ओर नहीं जाता। देखा जाये तो इतिहास गवाह है कि ब्राह्मणों ने कभी विद्रोह नहीं किया ना ही अपने हक के लिए कोई बड़ी लड़ाई लड़ी है। ब्राह्मण का प्रयास रहता है कि समाज में शांति और समृद्धि बनी रही। ब्राह्मणों के खिलाफ अक्सर अफवाहें और दुष्प्रचार अभियान भी चलाये जाते हैं लेकिन वह खामोशी से यह सोचते हुए सब कुछ देखते रहते हैं कि एक दिन प्रभु कृपा से सच सामने आ ही जायेगा।
जहां तक कर्नाटक के शिवमोगा में सीईटी परीक्षा केंद्र आदिचुंचनगिरि पीयू कॉलेज में छात्रों से परीक्षा कक्ष में प्रवेश करने से पहले उन्हें जनेऊ उतारने के लिए कहने की बात है तो इसको देखकर हर कोई स्तब्ध है। कर्नाटक ब्राह्मण सभा के सदस्य नटराज भागवत की शिकायत के बाद मामला दर्ज कर लिया गया है। देखना होगा कि इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई होती है
या नहीं लेकिन जिसने भी जनेऊ उतारने के लिए कहा या कहलवाया उसे पता होना चाहिए कि यज्ञोपवीत यानि जनेऊ ब्राह्मण को प्रदत्त महान शक्ति है। यह शक्ति अत्यन्त शुद्ध चरित्रता और कठिन कर्तव्य परायणता प्रदान करने वाली है। यज्ञोपवीत न तो मोतियों का है और न स्वर्ण का, फिर भी यह ब्राह्मणों का आभूषण है। इसके द्वारा देवता और ऋषियों का ऋण चुकाया जाता है। जिन्होंने छात्रों को जनेऊ उतारने के लिए कहा उन्हें पता होना चाहिए कि यज्ञोपवीत से सत्य व्यवहार की आकांक्षा, अग्नि के समान तेजस्विता और दिव्य गुणों की पवित्रता प्राप्त होती है।
वहीं दूसरी ओर, अपनी फिल्मों की तरह असल ज़िन्दगी में भी अभद्र भाषा के लिए कुख्यात फिल्मकार अनुराग कश्यप ने ब्राह्मणों पर पेशाब करने की बात कह कर अपनी मानसिक स्थिति का परिचय दिया है। हालांकि जब बयान की आलोचना की गयी तो उन्होंने कहा है कि उनकी टिप्पणी को सही संदर्भ में नहीं लिया गया। देखा जाये तो अनुराग कश्यप की कई फिल्में शीघ्र आने वाली हैं
इसलिए सुर्खियों में आने और अपनी फिल्मों के प्रचार के लिए उन्होंने ब्राह्मणों के खिलाफ अमर्यादित बयान दे डाला। वैसे भी आजकल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए किसी समाज या किसी इतिहास पुरुष के खिलाफ कोई विवादित बयान देने का चलन हो गया है। हम आपको यह भी बता दें कि शास्त्र सम्मत तरीके से अपना जीवन जीने वाले ब्राह्मणों पर अनुराग कश्यप की अशोभनीय टिप्पणी से समाज में रोष व्याप्त होना स्वाभाविक है इसलिए कुछ संगठनों की ओर से प्रदर्शन भी किये गये हैं।
बहरहाल, कुछ समय पहले दिल्ली स्थित जेएनयू की दीवारों पर ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’ का नारा लिख कर अपनी जातिवादी सोच को प्रदर्शित करने वालों को पता होना चाहिए कि भारत की आजादी का शुभ मुहूर्त भी ब्राह्मणों ने ही निकाला था।
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