वायु प्रदूषण संकट पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के स्तर तक पहुंचा- याचिका

वायु प्रदूषण संकट पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के स्तर तक पहुंचा- याचिका

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर देश में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है।

याचिका ल्यूक क्रिस्टोफर काउटिन्हो द्वारा दायर की गई है और इसमें केंद्र, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम), विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, नीति आयोग और दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र की सरकारों को पक्षकार बनाया गया है।

वायु प्रदूषण संकट पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के स्तर तक पहुंचा- याचिका

याचिका में कहा गया है कि वर्तमान वायु प्रदूषण संकट ”पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी” के स्तर तक पहुंच गया है और इससे लोगों की सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन करता है।

वायु प्रदूषण को नेशनल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया जाए- याचिका

इसमें एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि अकेले दिल्ली में करीब 22 लाख स्कूली बच्चों को फेफड़ों को इतना नुकसान हो चुका है कि उनकी रिकवरी मुश्किल है। याचिका वायु प्रदूषण को नेशनल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने और इसके लिए समयबद्ध राष्ट्रीय कार्य योजना बनाने की मांग की गई है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि 2019 में शुरू किया गया राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) अपने लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहा है। दिल्ली में 22 लाख स्कूल के बच्चों को पहले ही अपरिवर्तनीय फेफड़ों की क्षति हो चुकी है। याचिका में वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली को सुधारने और एक राष्ट्रीय कार्य बल की स्थापना की भी मांग की गई है।

इन दिनों दिल्ली की हवा जहरीली हो गई है। प्रदूषण कम करने के तमाम सरकारी प्रयास और दावे कमतर साबित हो रहे हैं। प्रदूषण के कारण बीमार लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इससे चिंतित चिकित्सक अब सलाह दे रहे हैं कि अगर आपको सुरक्षित रहना है, तो अस्थायी रूप से छह से आठ सप्ताह के लिए दिल्ली छोड़ दें और किसी स्वच्छ हवा वाली जगह पर चले जाएं।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली के 69 प्रतिशत घरों में कम से कम एक व्यक्ति खांसी, जुकाम या बुखार से पीडि़त है। अस्पतालों की ओपीडी में सांस रोगियों की संख्या पिछले दो हफ्तों में 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है।दिल्ली इस वक्त प्रदूषण और संक्रमण के दोहरी मार से जूझ रही है। प्रदूषण व संक्रमण न सिर्फ फेफड़ों बल्कि हृदय को भी नुकसान पहुंचा रहा है। प्रदूषण घरों के अंदर भी पहुंच गया है।

चिकित्सकों ने क्या कहा?

एयर प्यूरीफायर चलाने के बावजूद दरवाजा खुलते ही घर के अंदर की हवा कुछ मिनट में बाहरी जहरीले धूलकणों से भर जा रही है। चिकित्सकों का कहना है कि जब व्यक्ति साफ हवा में रहने के बाद अचानक प्रदूषित हवा में जाता है तो शरीर पर झटका लगता है। इससे गले में खराश, खांसी, छाती में जकड़न और सांस फूलने जैसी समस्याएं तुरंत शुरू हो जाती हैं।

दिल का दौरा पड़ने की आशंका

एम्स के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. गोपीचंद खिलनानी कहते हैं, ‘वायु प्रदूषण का असर केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं है। यह हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे और प्रतिरक्षा तंत्र पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। हृदय रोगियों के लिए यह स्थिति अत्यंत खतरनाक है, ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और दिल का दौरा पड़ने की पूरी आशंका रहती है।

द्वारका मैक्स अस्पताल के डा. मनीष गर्ग के अनुसार दिल्ली में इस समय हर तीन में से दो मरीज खांसी, बुखार या सांस की तकलीफ से जूझ रहे हैं। प्रदूषण और वायरस दोनों मिलकर फेफड़ों पर दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने सलाह दी है कि जिन लोगों को पुरानी सांस या हृदय संबंधी बीमारी है, वे छह से आठ सप्ताह के लिए दिल्ली से बाहर किसी स्वच्छ हवा वाले स्थान पर चले जाएं। उनका कहना है कि हर किसी का ऐसा कर पाना संभव नहीं है, लेकिन जो सक्षम हैं उन्हें अवश्य ऐसा कर लेना चाहिए।

स्वच्छ हवा के लिए पहाड़ों का रुख

जहरीली हवा से परेशान लोग अब अस्थायी तौर पर दिल्ली छोड़ने लगे हैं। ट्रैवल एजेंसियों के अनुसार पिछले पखवाड़े में पहाड़ी क्षेत्रों की बुकिंग में 35 से 40 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। गंगोत्री ट्रैवल्स के अर्जुन सैनी बताते हैं कि लोग हरिद्वार, ऋषिकेश, नैनीताल, मुक्तेश्वर, मसूरी, रानीखेत, नरेंद्र नगर, टिहरी और धनौल्टी जैसी जगहों की ओर जा रहे हैं। एजेंसी वांडरआन और थ्रिलोफिलिया के अनुसार, छह घंटे की दूरी वाले क्षेत्र में 62 प्रतिशत और फ्लाइट बुकिंग में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

 

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