मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सात आरोपी बरी
2008 के मालेगांव बम ब्लास्ट में एनआईए की विशेष अदालत ने सभी सात आरोपी बरी
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
साल 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट मामले में आज (31 जुलाई) को फैसला आ गया। इस मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने फैसला देते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। दरअसल, फैसला पढ़ते हुए विशेष अदालत के जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह तो साबित कर दिया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि उस मोटरसाइकिल में बम रखा गया था। अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि घायलों की उम्र 101 नहीं, बल्कि 95 साल थी और कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई थी।
साल 2011 में NIA ने शुरू की थी जांच
जानकारी दें कि 2011 में यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी इसके बाद मामले की जांच शुरू की। एनआईए की जांच के दौरान सात अभियुक्तों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय होने के बाद साल 2018 में मुकदमा शुरू किया हुआ।
गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 की रात में मालेगांव के भिक्कू चौक के पास एक जोरदार धमाका हुआ। इस बम ब्लास्ट में छह लोग मारे गए थे। इसके साथ ही 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।जांच में सामने आया कि एक बिजी चौराहे के पास एक मोटरसाइकिल पर लगा बम फटा था। इसके बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी फैल गई थी। बता दें कि मालेगांव ब्लास्ट का मामला हाल के दिनों में सबसे जटिल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील आतंकवादी मुकदमों में से एक रहा है।
पूर्व BJP सांसद साध्वी प्रज्ञा समेत कई नाम आए थे सामने
मालेगांव ब्लास्ट मामले की जांच शुरुआत में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने की। इस मामले में तुल उस वक्त पकड़ा, जब जांच के दौरान हिंदू दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की गई। इसी दौरान भगवा आतंकवाद नाम का मुहावरा सामने आया।इस ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार लोगों में बीजेपी की दिग्गज नेता और पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित भी शामिल रहे। हालांकि, आज कोर्ट ने इस मामले के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है।
जानिए मालेगांव ब्लास्ट का पूरा टाइमलाइन
- 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट में मारे गए छह लोग और 100 से अधिक लोग घायल हुए।
- अक्टूबर 2008 में एटीएस ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद मामले में पुरोहित को भी गिरफ्तार किया गया।
- जनवरी 2009 में महाराष्ट्र एटीएस द्वारा इस मामले में पहला आरोपपत्र दायर किया गया था।
- इसके बाद अप्रैल 2022 में इस मामले की जांच NIA को सौंपी गई।
- साल 2016 में एनआईए ने पूरक आरोपत्र दाखिल किया। हालांकि, कुछ आरोप हटाए गए लेकिन प्रमुख आतंकवाद संबंधी आरोप बरकरार रहे।
- साल 2018 में सात आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए गए।
- इस मामले में साल 2018-2023 अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की। हालांकि, 40 गवाह अपने गवाह से पलट गए।
- अप्रैल 2025 में इस मामले में अंतिम बहस पूरी हुई और फैसला सुरक्षित रखा गया।
- 31 जुलाई 2025 को इस मामले में NIA की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया। जिसमें साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गाया।
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