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क्या प्रवासी भारतीय भारत की वैश्विक पहचान के स्तंभ है? - श्रीनारद मीडिया

क्या प्रवासी भारतीय भारत की वैश्विक पहचान के स्तंभ है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 विश्व भर में 35 मिलियन से अधिक लोगों को शामिल करने वाला भारतीय प्रवासी समुदाय भारत के विशाल अभिगम क्षमता और प्रभाव का प्रतीक है। विश्व भर में सबसे बड़े प्रवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए, ये लोग भारत के लिये आर्थिक चालक, सांस्कृतिक राजदूत और रणनीतिक सहयोगी के रूप में काम करते हैं। वर्ष 2024 में 129.1 बिलियन डॉलर के प्रेषण सहित उनके योगदान को प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) के दौरान उत्सव मनाया गया है, जो भारत की वैश्विक पहचान को आयाम देने में उनकी भूमिका का सम्मान करने के लिये 9 जनवरी को द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है। 200 से अधिक देशों में प्रभावी उपस्थिति के साथ, प्रवासी समुदाय भारत को विश्व से जोड़ता है, नवाचार को बढ़ावा देता है, कूटनीतिक संबंधों को मज़बूत करता है तथा 21 वीं सदी में भारत के वैश्विक स्थिति को प्रभावशाली बनाने में योगदान देता है।

भारतीय प्रवासी समुदाय की परिभाषा क्या है?

  • भारतीय प्रवासी समुदाय: भारतीय प्रवासी से तात्पर्य भारतीय मूल के उन व्यक्तियों से है जो भारत के बाहर रहते हैं, जिनमें प्रवासी भारतीय (NRI) और भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) दोनों शामिल हैं।
    • विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, नवंबर 2024 तक प्रवासी भारतीयों की कुल जनसंख्या 35,421,987 थी।
    • सबसे बड़ी भारतीय प्रवासी आबादी वाले शीर्ष तीन देश संयुक्त राज्य अमेरिका (5.4 मिलियन), संयुक्त अरब अमीरात (3.6 मिलियन) और मलेशिया (2.9 मिलियन) हैं।
  • प्रवासी समुदाय की श्रेणियाँ:
    • प्रवासी भारतीय (NRI): ये वे भारतीय नागरिक हैं जो काम, शिक्षा या अन्य उद्देश्यों के लिये अस्थायी रूप से विदेश में रहते हैं।
    • भारतीय मूल के व्यक्ति (POI): ये भारतीय मूल के विदेशी नागरिक हैं, जो पीढ़ियों से विदेश में रहते आए हैं या बसे हुए हैं, लेकिन भारत के साथ उनका मज़बूत सांस्कृतिक संबंध बना हुआ है।
    • भारत के विदेशी नागरिक (OCI): इस श्रेणी में भारतीय मूल के वे नागरिक शामिल हैं जिनके पास विदेशी नागरिकता है लेकिन उन्हें OCI कार्ड के माध्यम से भारत सरकार द्वारा विशेषाधिकार प्रदान किये गए हैं।

प्रवासी भारतीयों का महत्त्व और योगदान क्या है?

  • आर्थिक महत्त्व: वर्ष 2024 में, भारत को 129.1 बिलियन डॉलर का उल्लेखनीय धन प्रेषण प्राप्त हुआ है, जो किसी भी देश के लिये एक वर्ष में होने वाला सर्वाधिक धन प्रेषण है।
    • यह वैश्विक धन प्रेषण का 14.3% था, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है तथा इस क्षेत्र में भारत के प्रभुत्व को रेखांकित करती है।
    • भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में धन प्रेषण का योगदान 3.3% है, जो परिवारों को महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है तथा स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में उपभोग व्यय एवं निवेश को समर्थन प्रदान करता है।
    • भारतीय उद्यमों को वैश्विक बाज़ारों से जोड़कर और सहयोग को बढ़ावा देकर, प्रवासी समुदाय भारत के व्यापार परिदृश्य को समृद्ध बनाता है, वंचित क्षेत्रों को सहायता प्रदान करता है तथा देश को विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर अग्रसर करता है।
  • प्रशासन और सॉफ्ट पावर में भूमिका: भारतीय प्रवासी प्रशासनिक कार्यढाँचे को प्रभावित करने और प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • अमेरिका और ब्रिटेन में भारतीय मूल के पेशेवर और सांसद व्यापार, रक्षा एवं प्रौद्योगिकी में भारत-अमेरिका सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
    • उदाहरण के लिये, भारतीय मूल के अधिकारियों ने भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका प्रदर्शित हुई है।
  • सांस्कृतिक संपर्क बढ़ाना: सांस्कृतिक राजदूत के रूप में कार्य करते हुए, प्रवासी समुदाय मेज़बान देशों में भारत की परंपराओं, कला और विरासत को बढ़ावा देकर भारत की सॉफ्ट पावर को प्रबल करते हैं।
    • कई अमेरिकी राज्यों में दिवाली पर अवकाश घोषित करने जैसी पहल, विदेशों में भारतीय संस्कृति के सफल एकीकरण को उजागर करती है तथा अधिक स्वीकृति एवं प्रशंसा को बढ़ावा देती है।
    • भारतीय त्यौहार, योगबॉलीवुड और व्यंजनों ने वैश्विक लोकप्रियता हासिल की है, जिससे भारत की सॉफ्ट पावर बढ़ी है।
  • ज्ञान अर्थव्यवस्था: वैश्विक प्रौद्योगिकी केंद्रों में भारतीयों की महत्त्वपूर्ण उपस्थिति है, उदाहरण के लिये: गूगलमाइक्रोसॉफ्ट और एडोब जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों के CEO भारतीय मूल के हैं।
    • कई प्रवासी सदस्य भारत वापसी कर रहे हैं, अपनी विशेषज्ञता लेकर आ रहे हैं और नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं, विशेष रूप से IT और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में।
  • परोपकारी योगदान: भारतीय मूल के परोपकारी लोग भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास के लिये उदारतापूर्वक योगदान देते हैं।
    • उदाहरण के लिये, प्रवासी भारतीयों के लिये भारत विकास फाउंडेशन (IDF-OI) जैसी पहल ऐसे योगदान को सुगम बनाती है।

प्रवासी भारतीयों से जुड़ने के लिये सरकार की क्या पहल है?

  • सांस्कृतिक एवं विरासत जुड़ाव:
    • भारत की विदेशी नागरिकता (OCI) योजना: यह योजना भारतीय मूल के लोगों को आजीवन वीज़ा-मुक्त यात्रा और अन्य विशेषाधिकार प्रदान करती है, जिससे भारत के साथ उनके संबंधों को मज़बूती मिलती है।
      • लाभों में संपत्ति का स्वामित्व, वित्तीय निवेश और भारत में शैक्षणिक संस्थानों तक अभिगम शामिल हैं।
    • चलो इंडिया कार्यक्रम: विश्व भर में भारतीय मूल के युवाओं को भारत आने और अपनी विरासत से जुड़ने के लिये प्रोत्साहित करता है।
      • इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक पर्यटन, धरोहर स्थलों की यात्रा और स्थानीय समुदायों के साथ समन्वय शामिल है।
    • भारत को जानिये क्विज़ (BKJ): यह प्रवासी युवाओं को भारत के इतिहास, संस्कृति और समकालीन विकास से जोड़ने तथा उनमें गर्व एवं अपनेपन की भावना को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन की गई एक ऑनलाइन क्विज़ है।
  • अनुसंधान और शैक्षणिक पहल:
    • विज़िटिंग एडवांस्ड ज्वाइंट रिसर्च (VAJRA) फैकल्टी योजना: यह योजना विदेशी वैज्ञानिकों को भारतीय संस्थानों में काम करने के लिये आकर्षित करती है तथा अत्याधुनिक क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देती है।
    • रामानुजन फेलोशिप: यह फेलोशिप विदेशों में भारतीय शोधकर्त्ताओं को विज्ञान, इंजीनियरिंग और चिकित्सा के क्षेत्र में भारतीय संस्थानों में काम करने का अवसर प्रदान करती है।
    • रामलिंगस्वामी पुनः प्रवेश फेलोशिप: प्राणी विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में अनुसंधान करने के लिये भारत लौटने वाले वैज्ञानिकों को सहायता प्रदान करती है।
    • बायोमेडिकल रिसर्च कैरियर प्रोग्राम (BRCP): भारत में बायोमेडिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्रों में शोधकर्त्ताओं के लिये करियर विकास की सुविधा प्रदान करता है।
      • उदाहरण के लिये, DBT/वेलकम ट्रस्ट इंडिया अलायंस जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), भारत सरकार के बीच एक सहयोगी साझेदारी है तथा वेलकम ट्रस्ट, UK का उद्देश्य बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम (BRCP) का समर्थन करना है।
    • प्रवासी बच्चों के लिये छात्रवृत्ति कार्यक्रम: NRI और POI के बच्चों को भारत में उच्च शिक्षा के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • सामुदायिक सहायता और कल्याण:
    • भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF): यह कोष विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों को आपातकालीन सहायता प्रदान करता है, जिसमें संकट के दौरान स्वदेश वापसी, कानूनी सहायता और आपात स्थितियों में वित्तीय सहायता शामिल है।
    • प्रवासी भारतीय केंद्र: यह प्रवासी-संबंधी गतिविधियों के लिये एक केंद्र और नई दिल्ली में एक संसाधन केंद्र है जो सम्मेलनों और कार्यक्रमों के लिये सुविधाएँ प्रदान करता है।
    • वरिष्ठ अनुसंधान एसोसिएटशिप (SRA) – वैज्ञानिक पूल योजना: वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा प्रशासित यह योजना, भारत में रोज़गार के बिना विदेश से लौटने वाले उच्च योग्यता प्राप्त भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रौद्योगिकीविदों और चिकित्सा कर्मियों को अस्थायी नियुक्ति प्रदान करती है।

प्रवासी भारतीय भारत की वैश्विक पहचान के स्तंभ हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और सॉफ्ट पावर में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। सक्रिय भागीदारी एवं सुदृढ़ नीतियों के साथ, भारत इन संबंधों को और भी मज़बूत कर सकता है, जिससे पारस्परिक विकास तथा समृद्धि सुनिश्चित हो सके।

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