माँ का पट खुलते ही श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़।

माँ का पट खुलते ही श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़।

श्रीनारद मीडिया, दारौंदा, सिवान, (बिहार)।

सिवान जिला सहित दारौंदा प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में 29 सितंबर सोमवार सप्तमी तिथि को मूल नक्षत्र में मंदिरों व पूजा पंडालों में बड़े धूम धाम और गाजे बाजे के साथ विधि विधान से

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शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति माता कालरात्रि की पूजन अर्चन षोडशोपचार विधि से कर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शक्ति की अधिष्ठात्री देवी भगवती दुर्गा देवी का पट खुला।

पट खुलते ही भक्तो ने माता रानी की जयकारे लगाने लगे तथा बैंड बाजे भी बजने लगे। वही पूजा पंडाल व मंदिरों में मां का पट खुलने के साथ ही भक्तो की काफी भीड़ पूजन अर्चन के लिए उमड़ पड़ी।

विशेष रूप से दारौंदा, रामा छपरा, मंछा व बगौरा, काली मंदिर सहित पूजा पंडालों में मातारानी के दर्शन और पूजन के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ हुई ।

वही महिलाएं भी माता जी के दर्शन कर सिंदूर, श्रृंगार सामग्री , वस्त्र और प्रसाद चढ़ाई।

वही बाजारों में काफी चहल पहल के साथ खिलौने की दुकानों से लेकर मिठाई की दुकानों पर भी भीड़ बढ़ने लगी।
देर रात तक श्रद्धालु जगह जगह पंडालों में विराजित मां के दर्शन किए।
इस दरम्यान प्रशासन भी मुस्तैद रही।

वही बगौरा के पण्डित श्री नितेश पाण्डेय ने कहा कि :– माता कालरात्रि को शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी भी कहा जाता है।

माता कालरात्रि की विधिवत रूप से पूजा अर्चना और उपवास करने से मां अपने भक्तों को सभी बुरी शक्तियां और काल से बचाती हैं अर्थात माता की पूजा करने के बाद भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
माता के इसी स्वरूप से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि को :–
लाल गुड़हल के फूल चढ़ाए जाते हैं और गुड़ और गुड़ से बनी चीजें जैसे हलुआ ,मालपुआ का भोग लगाया जाता है।
इन चीजों का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

शास्त्रों और पुराणों में बताया गया है कि मां कालरात्रि की पूजा व उपवास करने से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है तथा अपने भक्तों को आशीष प्रदान करती है।

माता कालरात्रि की पूजा रात्रि के समय में भी की जाती है।
रात को पूजा करते समय ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः’ मंत्र का जप करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

क्रोध की वजह से मां का वर्ण श्यामल हो गया। इसी श्यामल रूप से देवी कालरात्रि का प्राकट्य हुआ।

कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं ।
माँ कालरात्रि की आराधना विशेष फलदायी होती है।
मंत्र:-
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
‘दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।

वही महाष्टमी व्रत 30 सितंबर मंगलवार को और महानवमी का व्रत और हवन 01 अक्टूबर बुधवार को होगा।

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