कालाजार मरीज रवीना को खून देकर बच्चू ने बचायी जान

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• सरकारी अस्पताल बना रवीना के लिए सहारा
• बच्ची के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित थे परिवार के लोग
• रवीना के पिता लोन लेकर करा रहे थे इलाज

श्रीनारद मीडिया, गोपालगंज,(बिहार):

रवीना गोपालगंज सदर प्रखंड के नवादा बरईपट्टी गांव निवासी छोटे लाल राम की सबसे बड़ी पुत्री है। उसकी ऊम्र 17 साल और वजन चालीस किलो है। वह पिछले दो माह से बुखार से पीड़ित थी। रवीना की माता सुगी देवी दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करती है, क्योंकि इनके पिता जी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। जिसके कारण वह परिवार को आर्थिक सहायता नहीं कर पाते हैं। इनके परिवार में कुल सात लोग हैं। तीन बहन ,दो भाई और सबसे बड़ी रवीना ही है ।

रवीना के पिता लोन लेकर करा रहे थे इलाज:
रवीना की माता अपने बीमार बच्ची का उपचार जीविका और निजी लोगों से ऋण लेकर कई निजी चिकित्सीय संस्थानों में कराया लेकिन उसके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ। बल्कि स्थिति और गंभीर होती चली गई। वह इतनी कमजोर हो गई कि अपने दैनिक कर्तव्यों का निर्वहन भी खुद से नहीं कर पा रही थी। अत्यधिक चिकित्सीय खर्च के कारण बच्ची की माता काफी मानसिक तनाव में आ गई।
पूर्व कालाजार मरीज सुलेहरी देवी के पुत्र कृष्ण कुमार के लखनऊ से आने के बाद रवीना कुमारी की कालाजार के संभावित मरीज के रूप में पहचान की गई। तत्पश्चात सदर अस्पताल गोपालगंज में कालाजार जांच हेतु 22 मार्च को लाया गया और जांच उपरांत कालाजार पॉजिटिव पाया गया । लेकिन एक बहुत बड़ी समस्या आ गई कि उसके शरीर में ब्लड की अत्यधिक कमी हो गई। जिसके कारण कालाजार का इलाज नहीं हो पा रहा था ।

सिविल सर्जन से किया था खून के लिए अनुरोध:
रवीना के ब्लड के लिए केयर के प्रखंड समन्वयक आशुतोष कुमार और कंसल्टेंट अमित कुमार के द्वारा सिविल सर्जन से ब्लड उपलब्ध कराने हेतु अनुरोध किया गया । लेकिन ब्लड बैंक के अधिकारियों का कहना था कि किसी व्यक्ति द्वारा एक यूनिट ब्लड दान करने पर ही ब्लड बैंक से ब्लड दिया जाएगा लेकिन रवीना के घर के कोई भी व्यक्ति ब्लड देने योग्य नहीं था। तत्पश्चात केयर डीपीओ आनंद के द्वारा पीसीआई के आरएमसी बच्चू आलम से संपर्क कर ब्लड देने के लिए अनुरोध किया एवं एक यूनिट पॉजिटिव ब्लड दान किया । जब रवीना के शरीर में हीमोग्लोबिन संपूर्ण हुआ। तब 26 मार्च को कालाजार का इलाज सदर अस्पताल गोपालगंज में कालाजार के मेडिसीन एंबिसोम से सम्पूर्ण इलाज किया गया । यह सफलता पीसीआई के आरएमसी बच्चू आलम के साथ साथ एक दूसरे से समन्वय स्थापित कर पायी गयी। जैसे डीपीओ केयर आनंद कश्यप, केबीसी आशुतोष कुमार , वीबीडीसी अमित कुमार , वीबीडीसीओ प्रशांत कुमार, बिपिन कुमार और ब्लड बैंक के एलटी मोo मोबिन जी , अंबा जी और जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुषमा शरण की भी इस सफलता में अहम भूमिका थी।

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