*वाराणसी में प्राइवेट स्‍कूलों के लि‍ये बुरी खबर, अबतक 17,565 छात्रों ने नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में लि‍या दाखिला*

*वाराणसी में प्राइवेट स्‍कूलों के लि‍ये बुरी खबर, अबतक 17,565 छात्रों ने नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में लि‍या दाखिला*

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*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*

*वाराणसी* / बेसिक शिक्षा के स्कूलों में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है, जहाँ कान्वेंट स्कूलों से नाम कटवाकर बड़ी संख्या में परषदीय स्कूलों में बच्चे दाखिला ले रहे हैं। इनकी संख्या एक दो नहीं बल्कि हज़ारों में है। यह कार्य सरकार की कायाकल्प योजना से संभव हुआ है।

वाराणसी के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने बताया कि इस सत्र में 17,565 छात्रों ने कान्वेंट स्कूलों से नाम कटवाकर बेसिक शिक्षा स्कूलों में दाखिला लिया है। इसकी मुख्य वज़ह विद्यालयों की कायाकल्प योजना है, जिससे स्कूल का परिवेश बदला है। इंग्लिश मीडियम की आधुनिक तरीके से पढाई होना, जैसे कई कारण है जिसकी वजह से विद्यार्थियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।

वाराणसी में प्राथमिक स्कूल केशरीपुर ख़ास के सहायक अध्यापक व शिक्षक संकुल राजीव कुमार ने बताया कि जब अँग्रेजी माध्यम के स्कूल ऑनलाइन क्लास चला रहे थे। तब परिषदीय स्कूल के शिक्षक मोहल्ला पाठशाला चलाकर बच्चों को शिक्षा से सींच रहे थे। बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की सुविधा है। कोरोना काल में भी मिड डे मील का राशन मिलना जैसी कई योजना अभिभावकों को बेसिक शिक्षा के स्कूलों की ओर आकर्षित कर रही है।

माडल इंग्लिश प्राइमरी स्कूल मंडुवाडीह की शिक्षिका नीलम राय ने बताया कि स्कूलों की कायाकल्प योजना ने विद्यालयों के स्वरूप को बदल दिया है। अब बच्चों को विद्यालय में अच्छा परिवेश मिल रहा है। अच्छा फर्नीचर, स्मार्ट क्लास, प्रोजेक्टर, वाल पेंटिंग, गतिविधि आधारित शिक्षा, शैचालय, रनिंग वाटर, ऐप आधारित शिक्षा। साथ ही परिषदीय स्कूलों के मॉडल इंग्लिश स्कूल भी अभिभावकों को अपनी ओर आकर्षित कर हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की जड़े मजबूत करनी शुरू कर दी हैं। इससे कान्वेंट स्कूल की नींव हिलती हुई दिख रही है।

बेसिक शिक्षा स्कूल का कान्वेंट स्कूलों को चुनौती देने के पीछे सरकार की बेसिक शिक्षा की नीव को कायाकल्प योजना से मज़बूत करना है। अब प्राथमिक विद्यालय में मिलने वाली सुविधाएं किसी कॉन्वेंट स्कूल से कम नहीं है। कॉन्वेंट स्कूल के मंहगे ऐप को परषदीय स्कूल के प्रेरणा, दीक्षा, रीड एलॉन्ग ऐप टक्कर दे रहे है, जिसके माध्यम से बच्चों को वैज्ञानिक तरीके से पढ़ाया जा रहा है। कभी सरकारी स्कूलों को हेय दृष्टि से देखा जाता था लेकिन अब स्कूलों को योगी सरकार ने इतना सशक्त कर दिया है की अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूल से कटा कर बेसिक शिक्षा के स्कूलों में करा रहे है।

योगी सरकार ने वाराणसी के परिषदीय स्कूलों का ऐसा कायाकल्प कर दिया है, जिससे इन स्कूलों में दाखिले की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। ये दाखिला ऐसे विद्यार्थियों का है जो पहले शहर के कान्वेंट स्कूलों में पढ़ते थे। ऐसा इसलिए हो पाया है क्योंकि, योगी सरकार ने परिषदीय स्कूलों का कायाकल्प कर स्कूलों की बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त किया है। क्लास को स्मार्ट बनाया गया है। अंग्रेजी मीडियम के स्कूल बनाए गए है जहाँ इंग्लिश पढ़ाने वाले अध्यापकों की नियुक्ति की गई।

कान्वेंट स्कूलों में जहां मोटी फ़ीस वसूली जाती है, यूनिफार्म और किताबों के ख़र्च का बोझ अलग से है। वहीं इन स्कूलों में दाखिला से लेकर कॉपी, किताबें, यूनिफार्म व जूते सभी कुछ मुफ़्त में दिए जाते है। साथ ही स्कूल आने वाले हर विद्यार्थी को दोपहर का खाना (मिड डे मील) भी खिलाया जाता है।

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