निठारी कांड में पंधेर और कोली को बड़ी राहत-सुप्रीम कोर्ट

निठारी कांड में पंधेर और कोली को बड़ी राहत-सुप्रीम कोर्ट

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई और निठारी कांड के पीड़ितों को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड के अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को बरी करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सीबीआइ और शिकायतकर्ताओं की ओर से दाखिल सभी 14 अपीलें बुधवार को खारिज कर दीं।

निठारी कांड लगभग खत्म हो गया है

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निठारी कांड लगभग खत्म हो गया है, क्योंकि सिर्फ एक मामले में सुरेंद्र कोली को उम्रकैद की सजा मिली है, जो वह काट रहा है। अन्य सभी मामलों में दोनों आरोपित बरी हो चुके हैं।

निठारी कांड के 12 मामलों में सुरेंद्र कोली को बरी करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखे जाने के बाद भी वह जेल में ही रहेगा, क्योंकि उसे रिंपा हलदर की हत्या के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

पंधेर के घर के पीछे के नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिले थे

29 दिसंबर, 2006 में नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पीछे के एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के बाद यह हत्याकांड प्रकाश में आया था। इसके बाद पंधेर के घर के पीछे के नाले में और ज्यादा तलाशी और खोदाई के बाद और कंकाल मिले। इनमें से ज्यादातर अवशेष उस इलाके से लापता हुए गरीब बच्चों और युवतियों के थे।

10 दिन के भीतर ही सीबीआइ को सौंप दिया गया था मामला

इस मामले को 10 दिन के भीतर ही सीबीआइ को सौंप दिया गया था। सीबीआइ ने जांच की तो और अधिक अवशेष मिले। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा पंधेर और कोली को बरी करने के फैसले के खिलाफ कुल 14 अपीलें सुनवाई पर लगी थीं। इनमें से 12 अपीलें सीबीआइ की थीं और दो अपीलें पीड़ित परिजनों पप्पू लाल और अनिल हलदर की ओर से दाखिल की गई थीं।

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस विनोद चंद्रन की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई में सभी अपीलें खारिज करते हुए कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में कोई खामी नहीं है।

इससे पहले कोर्ट ने सीबीआइ की ओर से पेश वकील राजा बी ठाकरे और पीडि़त परिवारों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गीता लूथरा से पूछा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में दिए गए निष्कर्षों में क्या गलत है?

सीजेआइ ने कही ये बात

जब सीबीआइ के वकील ठाकरे और गीता लूथरा ने अपहृत बच्चों की खोपडि़यों, अवशेषों और सामान की बरामदगी का जिक्र किया तो सीजेआइ ने कहा कि उन्हें एक भी ऐसा फैसला दिखाइए, जिसमें कहा गया हो कि पुलिस के सामने किसी आरोपित का बयान दर्ज किए बगैर की गई कोई भी बरामदगी कानूनन जायज है। कोर्ट ने अभियुक्तों के घर के पास नाले से बरामदगी का भी हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि बरामद की गई वस्तुएं और सामग्री अभियुक्तों की हो सकती हैं, बशर्ते कि बरामदगी की जगह पहुंच केवल अभियुक्तों के लिए ही सुलभ हो।

 16 गरीब बच्चे लापता हो गए

जब गीता लूथरा ने कहा कि 16 गरीब बच्चे लापता हो गए और ये खोपड़ियां और सामान नाले से बरामद किए गए हैं, तो पीठ ने कहा कि आप यहां हाई कोर्ट से अभियुक्तों को बरी किए जाने के आदेश के खिलाफ अपील में आई हैं। ऐसे में आपको साबित करना होगा कि हाई कोर्ट का फैसला गलत था।

चीफ जस्टिस ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 पुलिस हिरासत में किसी अभियुक्त द्वारा दी गई जानकारी के उस हिस्से को स्वीकार्य मानती है, जिससे किसी सुसंगत तथ्य का पता चलता हो। भले ही वह जानकारी अपराध स्वीकारोक्ति के बराबर क्यों न हो।

कोर्ट ने कहा कि प्रविधान के मुताबिक यदि कोई अभियुक्त ऐसी जानकारी देता है, जिससे पुलिस को अपराध से जुड़ी कोई जानकारी प्राप्त करने में मदद मिली हो, तो उस विशिष्ट जानकारी के केवल उस हिस्से को ही सुबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

चार मई, 2024 को सुप्रीम कोर्ट सुरेंद्र कोली को बरी करने के मामलों में दाखिल अपीलों पर सुनवाई के लिए राजी हो गया था। इनमें में एक अपील पीडि़तों में से एक पप्पू लाल ने दाखिल की थी, जिसमें सिर्फ कोली को पक्षकार बनाया गया था। लाल ने अपनी अपील में हाई कोर्ट के 16 अक्टूबर, 2023 के फैसले को चुनौती दी थी।

हाई कोर्ट ने जांच पर भी सवाल उठाए थे,इस मामले में निचली अदालत ने पंधेर को बरी कर दिया था, जबकि कोली को मृत्युदंड सुनाया था।हाई कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों को बरी करते हुए कहा था कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे मामला साबित करने में नाकाम रहा है। हाई कोर्ट ने जांच पर भी सवाल उठाए थे।

पंधेर को दो मामलों में मृत्युदंड

हाई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को 12 और पंधेर को दो मामलों में मृत्युदंड को पलटते हुए कहा था कि अभियोजन पक्ष दोनों अभियुक्तों के खिलाफ संदेह से परे मामला साबित करने में नाकाम रहा है। यह जांच जिम्मेदार एजेंसियों पर जनता के भरोसे के साथ विश्वासघात से कम नहीं है। हाई कोर्ट ने मामले में हुई बरामदगियों और अभियुक्तों की अपराध स्वीकारोक्ति के बयानों को स्वीकार नहीं किया था।

निठारी कांड ने देश को हिला दिया था

निठारी कांड ने देश को हिला दिया था। इसमें अभियुक्तों पर अपहरण करने, हत्या और यौन शोषण के आरोप थे। इस मामले में कुल 19 केस दर्ज हुए थे। सीबीआइ ने सुबूतों के अभाव में तीन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, जबकि शेष 16 मामलों में से तीन में कोली को पहले ही बरी कर दिया गया था।

हाई कोर्ट ने उसकी फांसी उम्रकैद में तब्दील कर दी थी

एक मामले में उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। वकील के मुताबिक कोली की मौत की सजा उम्रकैद में बदलने के आदेश को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है, जो अभी लंबित है। हालांकि इस मामले में कोली को निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से फांसी की सजा हुई थी, लेकिन फांसी में अत्यधिक देरी के आधार पर हाई कोर्ट ने उसकी फांसी उम्रकैद में तब्दील कर दी थी। इसका मतलब है कि आज के फैसले के बावजूद कोली जेल से बाहर नहीं आएगा।

पंधेर को कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा

सुप्रीम कोर्ट में पंधेर के खिलाफ दो अपीलें सीबीआइ की थीं और एक अपील पीड़ित अनिल हलदर की ओर से थी। अनिल हलदर की अपील के मामले में पंधेर को निचली अदालत से फांसी की सजा हुई थी, जबकि हाई कोर्ट ने उसे बरी कर दिया था, जिसके खिलाफ हलदर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सीबीआइ की ओर से दाखिल दोनों अपीलों में कोली और पंधेर दोनों अभियुक्त थे।

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