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बिहार काव्य महोत्सव : दीप प्रज्वलन से गूंजा साहित्य का स्वर, युवाओं ने दिखाई रचनात्मक उड़ान

बिहार काव्य महोत्सव : दीप प्रज्वलन से गूंजा साहित्य का स्वर, युवाओं ने दिखाई रचनात्मक उड़ान

श्रीनारद मीडिया, पटना (बिहार):

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बिहार की ऐतिहासिक धरा पर साहित्य की नई गूंज सुनाई दी जब बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रांगण में “आज उठी है आवाज़” एवं मोब्लिक्स इंटरप्राइजेज के सौजन्य से बिहार काव्य महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन न केवल साहित्य प्रेमियों का उत्सव था, बल्कि युवा रचनाकारों की सृजनात्मक ऊर्जा का जीवंत प्रदर्शन भी।
दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री मृत्युंजय कुमार झा (अध्यक्ष, बिहार संस्कृत बोर्ड समिति), अति विशिष्ट अतिथि सुश्री अप्सरा मिश्रा (अध्यक्ष, बिहार महिला आयोग), विशिष्ट अतिथि यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ इंडिया के उप संपादक प्रेम कुमार, प्रदीप उपाध्याय, उद्घाटनकर्ता डॉ. अनिल सुलभ (अध्यक्ष, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन), तथा मोब्लिक्स एंटरप्राइजेज के फाउंडर मृणाल किशोर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। दीप की पावन आभा ने वातावरण को साहित्यिक ऊष्मा से आलोकित कर दिया।
कार्यक्रम में देवाशीष जी, हिमांशु जी, डॉ. अर्चना त्रिपाठी सहित अनेक विद्वानों की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को और बढ़ाया। बिहारी फॉक की लोकप्रिय प्रेजेंटर निहारिका कृष्ण अखौरी भी विशेष रूप से उपस्थित रहीं।

 

मृणाल किशोर (फाउंडर, मोब्लिक्स एंटरप्राइजेज) ने कहा—
“मोब्लिक्स केवल तकनीकी नवाचार का प्रतीक नहीं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक उन्नति का वाहक भी है। साहित्य आत्मा की रोशनी है और इस रोशनी को हर घर तक पहुँचाना ही हमारा उद्देश्य है।”
मुख्य अतिथि मृत्युंजय कुमार झा ने कहा—
“कविता केवल भावनाओं का प्रकटीकरण नहीं, बल्कि समाज का सच बोलने वाला दर्पण है। बिहार की युवा प्रतिभाएं आज जिस जज़्बे के साथ लिख रही हैं, वह भविष्य में देश को नई दिशा देने वाली है।”
अति विशिष्ट अतिथि अप्सरा मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा—

“महिलाएं और युवा साहित्य की संवाहक शक्ति हैं। इस मंच पर प्रतिभाओं की विविधता देखकर गर्व होता है कि बिहार साहित्य की परंपरा को और भी समृद्ध कर रहा है।”
वरिष्ठ कवियों आनंद कुमार, अरुण श्रीवास्तव, अर्चना त्रिपाठी, कुंदन सिंह क्रांति, गौरव झा, संतोष सिंह राख ने अपनी सारगर्भित कविताओं से श्रोताओं को बांधे रखा। उनके बाद जब युवा कवियों की बारी आई तो मंच ने एक नया रूप ले लिया।

तल्हा जिया गोड्डावी ने अपनी ग़ज़ल “उदासियों का ये मौसम बदल भी सकता था…” सुनाकर तालियां बटोरीं। चांद कुमार की पंक्तियाँ “ज़िंदगी भी खेल है जुए का…” श्रोताओं को गहरे चिंतन में ले गईं। वहीं सौरभ भारद्वाज समेत अनेक युवा कवियों की प्रस्तुतियों ने महोत्सव को ऊर्जामय बना दिया।
कार्यक्रम में शिशिर झा, मुर्शीदुल खैर, स्तुति झा, हसनैन रजा गोंडवी, रजनीश गौरव, रचना मजूमदार, साहिल कुमार, राहुल राज, कुमार प्रिंस, मुस्कान कुमारी, प्रीति कुमारी, रितेश अस्थाना, अंजू प्रकाश, श्रीकांत, रिंपी ऐश्वर्य आदि युवा रचनाकारों ने भी अपनी रचनाओं से मंच को जीवंत कर दिया।

मंच संचालन प्रेरणा प्रिया ने सरस और आकर्षक ढंग से किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन सौरव भारद्वाज ने दिया।
यह महोत्सव न केवल पीढ़ियों के बीच साहित्यिक सेतु साबित हुआ, बल्कि इसने यह भी सिद्ध किया कि बिहार की साहित्यिक परंपरा आज भी उतनी ही सशक्त और जीवंत है जितनी कभी रही हैं।

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