इनसे बदल जाएगी बिहार की पहचान!

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समय के साथ बिहार के पहचान में भी बदलाव आने के आसार दिख रहे हैं

बिहार में संभावनाएं अपार हैं गर सियासत शराफत से रह पाए तो…

बिहार दिवस विशेष आलेख श्रृंखला भाग 04
✍️गणेश दत्त पाठक, स्वतंत्र टिप्पणीकार

श्रीनारद मीडिया :

बिहार वर्षों से पलायन, गरीबी, बेरोजगारी, अपराध के लिए जाना जाकर बीमार प्रांत के रूप में ख्यात रहा है। परंतु बिहार में संभावनाएं भी अपार रही हैं। बिहार के संभावनाओं के दोहन के कुछ प्रयास प्रारंभ भी किए गए हैं। अगर ये प्रयास सार्थक अंजाम तक पहुंच जाए तो बिहार की पूरी पहचान बदल सकती है। बस शर्त यहीं कि सियासत की शराफत कायम रहे…

इथेनॉल हब बनने की कगार पर बिहार

इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने की अनुमति भारत सरकार द्वारा भी दिया जा रहा है। इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के तहत 2022 तक पेट्रोल के साथ 10 फीसदी और 2030 तक पेट्रोल के साथ 20 फीसदी तक इथेनॉल सम्मिश्रण की अनुमति भारत सरकार द्वारा दी जा रही है। बिहार में मक्का और गन्ना से इथेनॉल उत्पादन की व्यवस्थाएं बनाई जा रही है। बिहार में इथेनॉल उत्पादन के लिए उत्कृष्ट भौगोलिक परिस्थितियां उपलब्ध हैं। भोजपुर और गोपालगंज के सिधवलिया में इथेनॉल यूनिट लग गया है। इसके अलावा नालंदा, मुज्जफरपुर, मधुबनी, बक्सर, पटना, भागलपुर, आरा, बरौनी में तकरीबन 17 और इथेनॉल यूनिट लग रहे हैं। इससे जहां पेट्रोल के संदर्भ में विदेशी मुद्रा की बचत होगी वहीं भारी स्तर पर रोजगार भी निर्मित होंगे। किसानों की आमदनी बढ़ेगी। साथ ही पर्यावरण का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा। सबसे बड़ी बात कि इथेनॉल उत्पादन के संदर्भ में बिहार की विशेष पहचान सृजित होगी।

मछली, मखाना और मशरूम उत्पादन में बिहार कर सकता कमाल

बिहार में छोटे छोटे ताल तलैया, चौर, मौन की भरमार हैं। बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली से कई तालाबों को नया जीवन मिल रहा हैं। साथ ही, मछली उत्पादन को बढ़ाने के लिए केंद्र तथा राज्य स्तर पर मत्स्य संपदा योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। इन प्रयासों से बिहार में मछली उत्पादन में भारी बढ़ोतरी की उम्मीद लगाई जा रही हैं। बिडंबना यह है कि भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल होने के बावजूद बिहार को पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश से मछली मंगानी पड़ती है। मछली उत्पादन से बिहार के किसानों की आय में भारी इजाफा हो सकता है। बिहार में मखाना और मशरूम उत्पादन के लिए भी भौगोलिक परिस्थितियां अनुकूल हैं। मखाना और मशरूम की डिमांड भी बढ़ती जा रही हैं। यदि सार्थक पहले अंजाम तक पहुंचे तो मछली, मखाना और मशरूम भी बिहार की पहचान बन जायेंगे।

तरकारी और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भी जगा रहे आस

बिहार की मृदा विशेषकर सारण और तिरहुत प्रमंडल सब्जी उत्पादन के विशेष अनुकूल हैं। प्रखंड स्तर पर सब्जी उत्पादन समितियों के गठन के साथ सब्जियों के शीघ्र परिवहन की व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं। बिहार में निकट भविष्य में बनने वाले एक्प्रेस वे और हाई वे परिवहन की तीव्रता को बढ़ाएंगे ही। साथ ही, बिहार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए भी व्यवस्थाएं सृजित हो रही हैं। तरकारी उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ भारी संख्या में रोजगार भी सृजित करेंगे। इससे भी बिहार के आर्थिक परिदृश्य में परिवर्तन की आस लगाई जा रही है।

पर्यटन बिहार के लिए सदा रहा महत्वपूर्ण

बिहार की ऐतिहासिक विरासत के संदर्भ में पर्यटन के लिए बिहार सदा से आकर्षित करता रहा है। वैशाली, बोधगया, राजगीर, पटना के साथ मनेर, फुलवारी शरीफ, केसरिया, सीतामढ़ी, पावापुरी, पटना साहिब में लाखों पर्यटक आते रहे हैं। राम जानकी पथ तथा अन्य एक्सप्रेस वे के निर्माण से पर्यटन को भी गति मिलने की संभावना जताई जा रही है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या और काशी जैसी व्यवस्थाएं बिहार में भी सृजित हो जाएं तो बात ही अलग होगी।

उद्यमिता का बनता माहौल

बिहार के कई जिलों के युवाओं के लिए अरब देश रोजगार स्थल रहे हैं। परंतु खाड़ी देशों में अब रोजगार उतने लाभदायक नहीं रहे हैं। इसलिए उद्यमिता की तरफ युवाओं में रुझान देखा जा रहा है। बिहार में बिजली व्यवस्था में सुधार, सौर ऊर्जा उपकरणों की आसान उपलब्धता, कोरोना महामारी के दौर के अनुभव, बन रहे नए हाई वे, उद्यमिता प्रोत्साहन की सरकारी नीतियों के कारण बिहार में उद्यमिता के विकास की संभावनाएं जताई जा रही है। लेट्स इंस्पायर बिहार जैसे अभियान भी उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए भरपूर प्रयास करते दिख रहे हैं। उद्यमिता बिहार के युवाओं के भविष्य को सुनहरा बनाने की क्षमता से परिपूर्ण है।

5 G के दौर में बदल जाएगा बिहार भी

4जी केे दौर में जहां एंड्रॉयड फोन ने हर आदमी के जीवन को बदल दिया है वहीं जागरूकता और चेतना के स्तर पर भी कमाल किया है। इससे राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक, सांस्कृतिक, स्तर पर भी तमाम बदलाव देखे जा रहे हैं। 5 जी के दौर में डाटा का तीव्र प्रवाह बिहार के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जिसके आर्थिक आयाम से बिहार के परिदृश्य के प्रभावित होने की तमाम संभावनाएं दिखाई जा रही हैं। बिहार के विशाल मानव संसाधन के संदर्भ में भी तकनीक बड़ी भूमिका निभा सकती है।

बिहार का अतीत गौरवपूर्ण रहा है तो भविष्य में संभावनाएं भी समृद्धि खुशहाली की बयार बहा सकती है। गर सियासत शराफत से रहे…

जय बिहार??

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