सीवान के पुस्तक प्रेमी, जिन्हें पुस्तकों से है अदभुत लगाव
नियमित पुस्तकों के पढ़ने से इनके विचार व्यापक और तार्किक आधार पर आते हैं सामने
राष्ट्रीय पुस्तक प्रेमी दिवस 9 अगस्त पर विशेष खबर
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आज राष्ट्रीय पुस्तक प्रेमी दिवस है। यह दिवस पुस्तकों के प्रति हमारे स्नेह और उनके जीवन में महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। आज के डिजिटल युग में पुस्तकों को पढ़ने की परंपरा में गिरावट आ रही है। जबकि विचार को सकारात्मक, रचनात्मक और व्यापक बनाने में पुस्तकों की अहम भूमिका रहती है। सिवान में कुछ पुस्तक प्रेमी ऐसे हैं जो पुस्तकों से बेपनाह लगाव रखते हैं। पुस्तकें पढ़ना इनका सबसे प्रिय शगल तो पुस्तकें एकत्रित करना एक बेहद प्रिय शौक। पुस्तकों को नियमित पढ़ने के कारण जब ये अपने विचार रखते हैं तो वे विचार प्रेरित और उत्साहित करते हैं। उनको सुनना एक अद्भुत अनुभव बन जाता है।
रमेंद्र राय
बैकुंठ शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के अध्यक्ष, विद्या भारती अखिल भारतीय संगठन के पूर्व महामंत्री श्री रमेंद्र राय को पुस्तकों से बहुत लगाव है। इन्होंने दो पुस्तकें स्वयं के स्तर पर लिखी है। इनका मानना है कि पुस्तकों को नियमित पढ़ने की आदत जीवन में सार्थक और सकारात्मक बदलाव लाता है।
प्रो. रविन्द्र नाथ पाठक
डी ए वी पीजी कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रोफ़ेसर रविन्द्र नाथ पाठक जी को पुस्तकों से बेहद लगाव रहा है। इसी लगाव के चलते उन्होंने अपने घर में ही एक छोटा पुस्तकालय बना रखा है। उनका मानना है कि पुस्तकों को नियमित पढ़ने से जीवन सार्थक और अर्थपूर्ण बनता है।
पंकज कुमार झा
ये वर्तमान में सिवान के जिला अवर निबंधक हैं। ये कवि भी हैं इनके दो कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इन्हें पुस्तकों से इतना लगाव है कि ये बुके से बेहतर बुक को मानते हैं। इनके पास भी पुस्तकों का अच्छा संग्रह है।
डॉक्टर अशोक प्रियंवद
ये जेड ए इस्लामिया पीजी कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राध्यापक रहे हैं। भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े पुस्तकों का स्तरीय संग्रह इनके पास है। विचारों को समृद्ध और सशक्त बनाने में ये पुस्तकों के योगदान को महत्वपूर्ण मानते हैं।
डॉक्टर इरशाद अहमद
ये भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं। लेकिन लिखना और पढ़ना इनका बेहद प्रिय शौक है। इन्होंने स्वयं के स्तर पर कई पुस्तकों की रचना की है। सिवान के सांस्कृतिक विरासत को उद्घाटित करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
डॉक्टर एम डी शादाब
ये पेशे से ई एन टी सर्जन हैं लेकिन इनका पुस्तकों के प्रति प्रेम अद्भुत है। चिकित्सकीय व्यस्तताओं के बावजूद पुस्तकें पढ़ना इनका शौक है। पुस्तकों के प्रति स्नेह के चलते घर में इन्होंने एक अच्छा खासा पुस्तकालय बना रखा है।
गणेश दत्त पाठक
ये सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थियों को ऑनलाइन मार्गदर्शन प्रदान करते हैं लेकिन इनका पुस्तकों से लगाव अद्भुत है। ये उपहार के तौर पर पुस्तकों के आदान प्रदान को पसंद करते हैं। इन्होंने स्वयं घर पर एक छोटी सी लाइब्रेरी बना रखी है। जिसका लाभ स्थानीय युवा भी उठाते हैं।
राजेश पांडेय
महात्मा गांधी केंद्रीय विवि, मोतिहारी के शोधार्थी राजेश पांडेय पेशे से पत्रकार भी हैं। उनका पहला प्रेम पुस्तकें ही है। इनके पास स्तरीय पुस्तकों का अच्छा खासा संग्रह है। पुस्तकों को पढ़ने के शौक ने इनके विचारों को व्यापक बनाया है।