एकमा व आसपास के क्षेत्र में जिउतिया व्रत का अनुष्ठान कर माताओं ने पुत्रों के लिए मांगी लंबी उम्र, संपन्‍न

एकमा व आसपास के क्षेत्र में जिउतिया व्रत का अनुष्ठान कर माताओं ने पुत्रों के लिए मांगी लंबी उम्र, संपन्‍न

श्रीनारद मीडिया, के के सिंह सेंगर,  एकमा (सारण)।

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लोक आस्था का व्रत जिउतिया का अनुष्ठान निर्जला उपवास रखकर रविवार को पुत्रवती महिलाओं ने नगर पंचायत एकमा बाजार सहित प्रखंड क्षेत्र समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों मे पारंपरिक श्रद्धा व आस्था के साथ किया। महिलाओं ने जिउतिया व्रत के अनुष्ठान के लिए दिन भर निर्जला उपवास रख कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर माताओं ने अपने पुत्रों की सुख-समृद्धि के अलावा लंबी उम्र की कामना की। एकमा, हंसराजपुर, राजापुर, भरहोपुर, परसागढ़, आमडाढ़ी, रसूलपुर, हरपुर, नचाप, भजौना, मुबारकपुर, टेघरा, महम्मदपुर, लाकठ छपरा, विशुनपुरा कला, खानपुर, एकड़ीपुर, गंजपर, गौसपुर, देकुली, पचरुखिया, पांडेय छपरा, रामपुर आदि गांवों में इस पर्व का अनुष्ठान किया गया।

शाम में व्रती महिलाओं ने विभिन्न जलाशयों एवं घरों पर पवित्र स्नान कर जिमूत बंधन गोसाईं की कथा का श्रवण किया गय। इसी क्रम में प्रखंड मुख्यालय एकमा स्थित शिव मंदिर परिसर में पुत्रवती महिलाओं ने सांयकाल समूह में बैठकर चिल्लो (चिल) व सियारो (सियारिन) की कथा का श्रवण कर पवित्र नये जिउतिया को धारण किया। अनुष्ठान के दौरान महिलाओं ने जीमूत बंधन गोसाई को पूजा कर पुत्रों के दीर्घायु होने की कामना की।
बता दें कि शनिवार को व्रती महिलाओं ने नहाय-खाय के साथ इस व्रत का अनुष्ठान शुरू किया था। वहीं ब्रह्म मुहूर्त में महिलाओं ने जगकर पुनः स्नान किया और अपने पूर्वजों (पितरों) को तरोई के पत्ते पर चूड़ा-दही, मिष्ठान व अन्य सामग्रियों को अर्पित किया।

व्रती आज करेंगी पारण:

एकमा। 24 घंटे के निर्जला उपवास के दौरान जिउतिया व्रत का अनुष्ठान करने वाली व्रती महिलाओं की ओर से सोमवार की सुबह पवित्र स्नान व पूजा-अर्चना करके अन्न जल ग्रहण कर पर्व के पारण की रस्म पूरा किया जाएगा। इसके साथ ही अनुष्ठान का समापन होगा। चावल-दाल रोटी, पकौड़े व सतपुतिया की सब्जी खाने में सुबह मुख्य रूप से शामिल होता है।

पतिदेव ने संभाली रसोई की कमान :

एकमा। लोक आस्था का पर्व जिउतिया का अनुष्ठान महिलाओं ने रविवार को किया। व्रत में कठिन निर्जला उपवास रखना होता है। इसलिए घरों में पतिदेव को रसोई की कमान संभालनी पड़ी। क्योंकि व्रत में महिलाओं को रसोई में जाना वर्जित होता है। ऐसे में छोटे परिवारों को पसंद करने वाले परिवार के मुखिया यानी पतिदेव को सुबह और शाम का नाश्ता और खाना भी बनाना पड़ा।
इस संबंध में आमडाढ़ी गांव निवासी वरिष्ठ जदयू नेता श्रीप्रकाश सिंह उर्फ महेश सिंह, पांडेय छपरा गांव निवासी आशीष पांडेय व नचाप गांव निवासी डीलर मदन गोपाल सिंह आदि ने बताया कि पत्नी जिउतिया व्रत का उपवास रही। इसके कारण अपना काम निपटाने के अलावा किचन की भी कमान स्वयं ही संभालनी पड़ी। वहीं नचाप गांव निवासी विभूति नारायण तिवारी ने बताया कि यह व्रत कठिन होता है। इसमें जल व फल का भी सेवन करना वर्जित होता है। ऐसे में स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बदलते समय में इस पर्व के कठिन अनुष्ठान में सुधार की आवश्यकता है।
रसूलपुर निवासी शिक्षक अमरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पत्नी के लिए सुबह पारण का खाना हमें ही बनाना पड़ेगा। व्रत की पवित्रता के बारे में शिक्षक डॉ शशि भूषण शाही, लायन राकेश कुमार मिश्रा व छात्रा कृतिका सिंह ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति किसी हादसे में बाल-बाल बच जाता है तो हमारे यहां कहा जाता है कि उसकी मां ने खर जिउतिया व्रत का विधि विधान से अनुष्ठान जरूर किया होगा।

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