छपरा रोटी बैंक भूखों को भोजन कराकर सच्ची श्रद्धांजलि दे रहा है लोकनायक को

छपरा रोटी बैंक भूखों को भोजन कराकर सच्ची श्रद्धांजलि दे रहा है लोकनायक को

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लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर देशभर में हुए आयोजन लेकिन रोटी बैंक छपरा ने कायम की मिसाल

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पूरे देश में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर मंगलवार को जगह जगह आयोजन हुए। कहीं परिचर्चा होती रही है तो कहीं गोष्ठी। कहीं वृक्षारोपण हो रहा था तो कहीं सर्वधर्म प्रार्थना। लेकिन जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उनके गृह जिला छपरा में रोटी बैंक के ऊर्जावान और संवेदनशील सदस्य भूखों को भोजन कराकर लोकनायक जयप्रकाश नारायण को सच्ची श्रद्धांजलि देते दिखाई दिए।

शिक्षाविद् श्री गणेश दत्त पाठक ने बताया कि लोकनायक की संपूर्ण क्रांति की अवधारणा बेहद व्यापक संदर्भ में थी। संपूर्ण क्रांति से उनका अभिप्राय ऐसी राजनीतिक, सामाजिक व्यवस्था का सृजन करना था जहां समाज के अंतिम पायदान पर स्थित व्यक्ति को प्रसन्नता प्राप्त हो सके। हालांकि लोकनायक का यह सपना अभी भी अधूरा ही रहा है।

लेकिन उनके गृह जिले छपरा के रोटी बैंक के सदस्य भूखों को रोटी देकर उन्हें राहत प्रदान करते मंगलवार को छपरा में दिखे। इस पर शिक्षाविद् गणेश दत्त पाठक ने कहा कि भूखों को रोटी देने से बड़ा मानवीय सेवा का कोई कार्य नहीं होता है। जब भूखे व्यक्ति को अन्न का दाना मिलता है तो वह प्रसन्न हो उठता है। इस कारण छपरा रोटी बैंक के सदस्य मानवता की सेवा के लिए जो प्रयास कर रहे हैं वहीं लोकनायक जय प्रकाश नारायण के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

राष्ट्र सृजन अभियान के महासचिव श्री ललितेश्वर कुमार ने कहा कि भूखों को भोजन करा देना मानवता की महान सेवा है। जिसके प्रबल हिमायती थे जय प्रकाश नारायण। छपरा रोटी बैंक के अध्यक्ष रविशंकर उपाध्याय ने बताया कि रोटी बैंक छपरा पिछले चार सालों से अनवरत भूखों को भोजन कराने के अभियान में जुटा हुआ है। श्री रविशंकर उपाध्याय ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान हमारे रोटी बैंक के संस्थापक स्वर्गीय किशोर कांत तिवारी भूखों को भोजन कराने के क्रम में कोरोना संक्रमित हो गए और उन्हें अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। उन्होंने कहा कि आम जनता के सहयोग से हम हर संभव स्थिति में भूखों को भोजन कराते रहेंगे।

सीवान के दरौंधा के एक युवक (मानवीय गरिमा का ख्याल रखते हुए नाम नहीं दिया जा रहा है) ने बताया कि एक बार मुंबई से आते समय छपरा स्टेशन पर उतरा तो सारे पैसे खत्म हो गए थे। ट्रेन में भी कुछ खाया नहीं था। भूख से हालत खराब हो गई थी लेकिन जब छपरा जंक्शन स्टेशन से बाहर निकला तो रोटी बैंक के कुछ लोग खाना बांट रहे थे। मुझे जब खाना मिला तो मन बड़ा प्रसन्न हुआ। बस रोटी बैंक छपरा का यहीं प्रयास तो लोकनायक के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि साबित हो जाता है।

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