जलवायु परिर्वतन से बढ़ेंगी देश में अचानक सूखा पड़ने की घटनाएं,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), गांधीनगर के अनुसंधानकर्ताओं के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में भारत में अचानक सूखा पड़ने की घटनाओं में वृद्धि होगी। इसका फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, सिंचाई की मांग बढ़ेगी और भूजल का दोहन बढ़ेगा। अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, मिट्टी की नमी में तेजी से कमी आने के चलते अचानक सूखा पड़ने की घटनाएं बढ़ेंगी।

गांधीनगर स्थित आइआइटी के अध्ययन में किया दावा

उन्होंने बताया कि परंपरागत सूखे की तुलना में अचानक सूखा पड़ने से दो-तीन हफ्ते के अंदर एक बड़ा क्षेत्र प्रभावित हो सकता है, इससे फसल पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा और सिंचाई के लिए पानी की मांग बढ़ेगी। हालांकि भारत में वर्तमान और भविष्य की जलवायु में अचानक सूखे की घटनाएं और उनके प्रभाव के बारे में बहुत जानकारी नहीं है। यह अध्ययन एनपीजे क्लाइमेट एंड एटमेस्फेरिक साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें ग्रीष्म मानसून के दौरान पड़ने वाले सूखे में मानव जनित जलवायु परिवर्तन की भूमिका की पड़ताल की गई है।

अचानक सूखा पड़ने की घटनाओं में करीब सात गुना वृद्धि होने का अनुमान

अनुसंधानकर्ताओं ने देश में अब तक देखे गए और भविष्य के जलवायु परिदृश्यों के तहत अचानक सूखे की घटनाओं की पड़ताल के लिए मिट्टी में नमी की प्रक्रिया, भारतीय मौसम विभाग के अवलोकन और जलवायु अनुमानों का इस अध्ययन में उपयोग किया। अध्ययन टीम ने इस बात का जिक्र किया है कि 1951 से 2016 के बीच सबसे भीषण अचानक सूखा 1979 में पड़ा था, जब देश का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा प्रभावित हुआ था। शोधकर्ताओं का कहना है कि 21वीं सदी के अंत तक 1979 जैसी अचानक सूखा पड़ने की घटनाओं में करीब सात गुना वृद्धि होने का अनुमान है।

भारत में जलवायु की गंभीर स्थितियां होने का अनुमान

आइआइटी गांधीनगर में सिविल इंजीनियिरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर विमल मिश्रा ने कहा, ‘हमने पाया कि मानसून में अंतराल से या मानसून आने में देरी से भारत में अचानक सूखा पड़ने की स्थिति देखी गई है तथा भविष्य में अचानक सूखा पड़ने की घटनाएं बढ़ेंगी। शोधकर्ता सरन आधार और शांति स्वरूप महतो ने भी कहा कि भविष्य में भारत में जलवायु की गंभीर स्थितियां होने का अनुमान है। जलवायु परिवर्तन के कारण बेहद गर्म और शुष्क स्थितियों की वजह से अचानक सूखे की घटनाओं में वृद्धि होगी।

 

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