शिकायत दुःख का और अहोभाव सुख का साधन है : औलिया
श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, हरियाणा
श्री दुर्गा देवी मन्दिर, पिपली, कुरुक्षेत्र के पीठाधीश और समर्थगुरु धाम हिमाचल के जोनल कोऑर्डिनेटर आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने शिव शक्ति आश्रम कसौली के महंत राघवेंद्र दास और मां अन्नपूर्णा और गोपाल भाई जी के साथ सनातन धर्म पर विशेष चर्चा हुई। आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया के आध्यात्मिक योगदान की विशेष जानकारी प्रदान की।
उनके द्वारा रचित श्री सिद्धार्थ रामायण में भगवान राम के जीवन और गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों की अद्भुत प्रस्तुति है।
श्रीमद्भगवद्गीता में समर्थगुरु ने काव्य रूप में कर्मयोग, ज्ञान योग और भक्ति योग का अनूठा संगम किया है ।
समर्थगुरु के संस्मरण पुस्तक में आदरणीय समर्थगुरु की साधना के अद्भुत सूत्रों का समावेश किया है और देवी देवताओं और संतो की अनुभूति आज भी की जा सकती है। अमूल्य ग्रंथ सभी सनातन धर्मियों के घर में होने चाहिए जिससे आध्यात्मिक विकास हो। समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने सभी जनमानस के लिए ज्ञान,ध्यान,योग, भक्ति, कर्मयोग और आध्यात्मिक विकास के लिए वैज्ञानिकता आधार पर योग और प्रज्ञा कार्यक्रम विशेष सुन्दर ढंग से निर्माण किए है जिससे सभी का आर्थिक,धार्मिक ,सामाजिक और आध्यात्मिक विकास हो।
समर्थगुरु धाम, मुरथल, हरियाणा के ध्यान योग और प्रज्ञा कार्यक्रम की विशेष जानकारी प्रदान की और समर्थगुरु धाम मुरथल हरियाणा में ध्यान योग कार्यक्रम अपने साधकों के साथ करने का विशेष निमंत्रण दिया ।
ट्विटर के माध्यम से समर्थगुरु धाम मुरथल, हरियाणा के मुख्य संस्थापक आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने बताया कि आत्म बोध का अर्थ है स्वयं को आत्मा के रुप में जानना और उससे तादात्म्य महसूस करना। जो नहीं है,उसकी कामना से तुम्हारा चित्त आक्रांत है,तो तुम्हे दुखी होने से कोई नहीं बचा सकता। यदि तुम्हारा ख्याल उस पर बना रहता है,जो तुम्हारे पास है,तो तुम्हे कोई दुखी नहीं कर सकता। शिकायत दुःख का और अहोभाव सुख का साधन है।यह सूत्र तुम्हारे जीवन मे क्रांति ला सकता है।
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