COP28 : सभी के समर्थन के लिए आभार- PM मोदी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई में COP28 वर्ल्ड क्लाइमेट एक्शन समिट में हिस्सा लिया। इसके ग्रीन क्रेडिट्स प्रोग्राम में मोदी ने कहा- जिस तरह हम अपने हेल्थ कार्ड के बारे में सोचते हैं, उसी तरह हमको पर्यावरण के बारे में भी सोचना चाहिए। हमें ये भी सोचना चाहिए कि हमारी तरह पृथ्वी के हेल्थ कार्ड में भी पॉजिटिव पॉइंट्स जुड़ें। मेरे हिसाब से यही ग्रीन क्रेडिट है।

मॉर्निंग सेशन में मोदी ने अमीर देशों पर निशाना साधा। किसी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि सदियों पहले चंद देशों के किए की कीमत पूरी दुनिया को चुकानी पड़ रही है। जो भी देश ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें क्लाइमेट चेंज का सामना करने के लिए विकासशील और गरीब देशों को निस्वार्थ होकर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करनी चाहिए। PM ने 2028 की क्लाइमेट समिट यानी COP33 भारत में होस्ट करने की मंशा जाहिर की।

उन्होंने कहा कि भारत ने इकोलॉजी और इकोनॉमी के संतुलन का उदाहरण दुनिया के सामने पेश किया है। 17 फीसदी आबादी के बावजूद कार्बन उत्सर्जन में हमारी हिस्सेदार सिर्फ 4 फीसदी है। हमारा लक्ष्य 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 45 फीसदी तक घटाना है। भारत ने ग्लोबल बायो फ्यूल एलायंस बनाया। क्लाइमेट फाइनेंस फंड को मिलियन से बढ़ाकर ट्रिलियन डॉलर तक करना चाहिए।

पीएम क्लाइमेट समिट में शामिल होने के लिए 30 नवंबर की रात दुबई पहुंचे थे। होटल के बाहर भारतीय मूल के लोगों ने PM मोदी का स्वागत किया था। लोग देर रात से PM के इंतजार में खड़े थे।

दुबई में वर्ल्ड लीडर्स के बीच पीएम मोदी
COP28 की बैठक में पहुंचे पीएम मोदी ने कई वर्ल्ड लीडर्स से मुलाकात की। वे इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जियो मेलोनी और नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट से मिले। दुबई पहुंचने के बाद PM ने भारतीय मूल के लोगों से मुलाकात की और हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया। इस दौरान एक डांस ग्रुप ने परफॉर्मेंस भी दी। PM ने कुछ देर खड़े होकर डांस देखा और कलाकारों की तारीफ की। इसके अलावा मोदी ने युवाओं और महिलाओं से भी मुलाकात की।

PM मोदी UAE के साथ ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम से जुड़े एक कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। इसके बाद स्वीडन के साथ एनर्जी ट्रांजिशन ग्रुप LeadIT 2.0 के लॉन्च करेंगे। PM मोदी वर्ल्ड लीडर्स के साथ मुलाकात करेंगे और कुछ नेताओें के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।

वहीं, समिट में क्लाइमेट फाइनेंस यानी क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए आर्थिक मदद देने पर भी चर्चा होगी। दरअसल, पिछले साल मिस्र में हुई COP27 समिट में 200 देशों ने एक समझौता किया था। इसमें क्लाइमेट चेंज के लिए जिम्मेदार अमीर देशों को गरीब और विकासशील देशों को दिया जाने वाला फंड बनाने के लिए कहा गया था। दुबई में इस एग्रीमेंट को स्वीकार कर लिया गया है और एक लॉस एंड डेमेज फंड बनाया गया है।

क्या है लॉस एंड डेमेज फंड, जिसके तहत अमीर देश विकासशील देशों को हर्जाना देंगे
पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे कहीं बाढ़ आ रही हैं तो कहीं सूखा पड़ रहा है। हालांकि, क्लाइमेट चेंज के नतीजे सभी देशों के लिए एक समान नहीं रहे हैं।

2022 में पाकिस्तान में खतरनाक बाढ़ आई थी। इसका 33 लाख लोगों पर असर हुआ था। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को 30 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। वहीं, वांताउ नाम के आइलैंड देश को सी लेवल बढ़ने की वजह से अपने 6 शहर रिलोकेट करने पड़े हैं।

इसके चलते विकासशील देश लगातार फंड की मांग कर रहे हैं ताकि वे क्लाइमेट चेंज की वजह से आ रही त्रासदियों से अपने लोगों का बचा सकें। भारत और चीन जैसे विकासशील देशों का मानना है कि इनका खामियाजा अमीर देशों को भुगतना चाहिए। क्योंकि उनके किए कार्बन उत्सर्जन की वजह से धरती का तापमान बढ़ा है।

1975 से 2021 कार्बन उत्सर्जन में 25% हिस्सेदारी सिर्फ अमेरिका की रही है। जबकि भारत ने सिर्फ 3.4 फीसदी कार्बन उत्सर्जन किया है। इसके चलते अब अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी समेत कई देशों को विकासशील देशों को सालाना हर्जाने के तौर पर कुछ रुपए देने होंगे।

बैठक का एजेंडा- कार्बन एमिशन कम करना
COP28 क्लाइमेट समिट 12 दिसंबर तक चलेगी। इसमें PM मोदी के अलावा किंग चार्ल्स, ऋषि सुनक, कमला हैरिस समेत दुनियाभर के 167 नेता क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) और इसके समाधान के मुद्दे पर चर्चा करेंगे। पिछले कुछ सालों में क्लाइमेट चेंज पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। इस बैठक का फोकस फॉसिल फ्यूल और कार्बन एमिशन (उत्सर्जन) पर लगाम लगाना है।

तीसरी बार क्लाइमेट समिट का हिस्सा बने PM मोदी
PM मोदी तीसरी बार जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले PM मोदी ने 2021 में ग्लासगो में हुए COP26 सम्मेलन में हिस्सा लिया था। तब उन्होंने क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए पंचामृत नीति और मिशन लाइफस्टाइल फॉर एनवायर्नमेंट (LiFE) की घोषणा की थी।

PM मोदी 2015 में पेरिस में हुई COP21 में भी शामिल हुए थे। इस दौरान 190 से ज्यादा देशों ने पेरिस समझौते पर सहमति जताई थी। इस समझौते के तहत बढ़ते ग्लोबल टेम्प्रेचर को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की बात हुई थी। इसका मकसद ग्लोबल वॉर्मिंग कम करना था।

अब COP28 में तय किया जाएगा कि किस देश को कितना मुआवजा औऱ किस आधार पर मिलेगा। कौन-कौन से देश मुआवजा देंगे, इसका फैसला भी होगा।

PM मोदी का छठा UAE दौरा
PM बनने के बाद मोदी का ये छठा UAE दौरा है। पहले कार्यकाल में वे अगस्त 2015 में यहां आए थे। उन्होंने 2018 और 2019 में भी UAE का दौरा किया था। 2019 में UAE सरकार ने मोदी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ जाएद’ से नवाजा था। इसके बाद मोदी जून 2022 और जुलाई 2023 में दुबई गए थे।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी इस सम्मान से नवाजा जा चुका है। UAE में करीब 33 लाख भारतीय रहते हैं। यह देश की कुल जनसंख्या का 30% है और भारतीयों की तादाद यहां किसी भी दूसरे देश की तुलना में सबसे ज्यादा है। वहीं, रूस, सऊदी अरब और इराक के बाद UAE भारत का चौथा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है।

UAE भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
UAE भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार है। इसमें UAE ने भारत से 2 लाख करोड़ रुपए का इम्पोर्ट किया है।

भारत का UAE के साथ वित्तीय घाटा है। यानी भारत UAE से आयात ज्यादा करता है और निर्यात कम। भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में UAE से 4 लाख करोड़ रुपए का इंपोर्ट किया है। भारत ने UAE के साथ एक ट्रेड पैक्ट पर भी साइन किया था।

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