बिहार में कोरोना ने मचाया हाहाकार, उजड़ने लगे घर.

बिहार में कोरोना ने मचाया हाहाकार, उजड़ने लगे घर.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में कोरोना का कहर अब संक्रमित लोगों के परिजनों पर भी बरपने लगा है। परिजनों की मौत से पहले ही लोग सदमे में जी रहे हैं। अब तो सदमे में मृतकों के अन्य नजदीकी रिश्तेदार भी जान गंवाने लगे हैं। इससे लोगों के घर उजड़ने लगे हैं।

बिहारशरीफ के बिंद के कथराही गांव में बैंककर्मी बेटे के बाद उनके पिता तो हरनौत में शिक्षक भाई के बाद बहन की कोरोना से मौत हो गयी। इनके अन्य परिजनों की भी हालत गंभीर बनी हुई है। इससे इन गांवों में मातमी सन्नाटा छाया हुआ है। कथराही में तो बेटे की मौत की खबर सुनते ही माता-पिता की तबीयत खराब हो गयी थी। इससे पिता की शुक्रवार को मौत हो गयी। जबकि, माता गंभीर रूप से बीमार हैं।

बिन्द के कथराही गांव मे कोरोना के कहर से एक परिवार का घर उजड़ गया। दो दिनों के अंतराल में एक ही परिवार के दो लोगों की मौत हो गई। दो दिन पहले बेटे की मौत हुई थी। शुक्रवार को पिता की मौत हो गयी। जबकि, इस परिवार के एक महिला सदस्य की हालत गंभीर है। परिजनों के क्रंदन से घर में कोहराम मचा है। गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया है। लोगों की आंखें नम हैं।

परिजन आशीष कुमार ने बताया कि मृतक सुरेन्द्र प्रसाद यादव का परिवार काफी खुशहाल था। मृतक के तीन पुत्र हैं। बड़े बेटे जितेन्द्र कुमार पटना में कोचिंग चलाते हैं। दूसरे बेटे धर्मेन्द्र कुमार केनरा बैंक बिहारशरीफ में कार्यरत हैं। जबकि, सबसे छोटे पुत्र दक्षिण मध्य बिहार ग्रामीण बैंक बिहारशरीफ में कार्यरत थे। पत्नी संगीता देवी कथराही पोस्ट ऑफिस में पोस्टमास्टर के पद पर कार्यरत हैं।

दो सप्ताह पहले बिहारशरीफ केनरा बैंक में पदस्थापित धर्मेन्द्र कुमार कोरोना पॉजिटिव हो गए। उसके कुछ दिन बाद ही उसके छोटे भाई ग्रामीण बैंक मे कार्यरत वीरेन्द्र कुमार पॉजिटिव हो गए। दोनों का इलाज चल रहा था। इलाज के बाद धर्मेन्द्र की जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी। लेकिन, छोटे भाई वीरेन्द्र की सोमवार को पटना में इलाज के दौरान मौत हो गई। पहले से बीमार चल रहे पिता को पुत्र की मौत की खबर मिलते ही उनकी तबीयत काफी बिगड़ गयी। इलाज के लिए बड़ी पहाड़ी के निजी क्लीनिक में भर्ती कराया।

डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए पावापुरी विम्स में रेफर कर दिया। वहां गुरुवार की शाम इलाज के दौरान उनकी भी मौत हो गई। कोरोना ने इस हंसते-खेलते घर को उजाड़ दिया। बेटे की मौत की खबर से मृतक की पत्नी संगीता देवी की तबीयत काफी बिगड़ गयी है। हालत चिंताजनक बनी हुई है। उनका इलाज चल रहा है। पति की मौत की जानकारी संगीता को नहीं दी गई है। सुरेन्द्र की मौत के बाद सभी परिवारों का कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया गया है। लेकिन, अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आयी है। दो दिनों में दो परिजनों को खोने के बाद पूरा परिवार सदमे में है। पूर्व जिला परिषद सदस्य गनौरी यादव ने कहा कि कोरोना ने एक परिवार की खुशियों को खत्म कर दिया है।

भाई बहन दोनों की ही उठी अर्थी
कोरोना कहर के काल के गाल में भाई बहन समा गए। इसने एक पखवारा के अंदर भाई बहन की जीवन लीला को समाप्त कर दिया। न राखी बंधवाने के लिए हाथ रहा, न ही राखी बांधने वाली का साथ रहा। भाई के श्राद्ध कर्म खत्म होने के दो दिन बाद बहन का श्राद्ध करना पड़ा। इसे संयोग ही कहेंगे कि दोनों भाई बहन की अर्थी भी शुक्रवार को कही उठी। जिसने भी इस घटना को सुना, उसका ह्रदय जार जार कर रो उठा।

16 अप्रैल को भाई व 30 अप्रैल को बहन की अर्थी उठने पर इन दोनों परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया।  एक बहन के लिए भाई का खोने का गम सहन नहीं हो पाया। भाई के मरने के एक पखवारा के अंदर दुनिया छोड़ कर चली गई।

सरथा गांव के कोरोना पॉजिटिव शिक्षक सुधांशु कुमार की 16 अप्रैल को पावापुरी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार की सुबह इलाज के दौरान मौत हो गई थी। मौत के बाद अस्पताल से कोरोना गाइडलाइन के अनुसार बैग में लपेट कर शव परिजन के हवाले कर दिया गया। शव सरथा पहुंचते ही गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया था। चाह कर भी परिजन व गांव के लोग उनका अंतिम दर्शन नहीं कर पाए थे। अंतिम संस्कार करने के लिए गांव के कुछ साहसी युवा आगे आए थे। लोगों ने गंगा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया था।

ठीक पंद्रहवां दिन शुक्रवार की सुबह बहन पूनम देवी की भी अर्थी उठ गई। कल्याण बिगहा थाना क्षेत्र के महथवर गांव के छोटे सिंह की पत्नी 45 वर्षीया पूनम देवी की शुक्रवार की सुबह मौत हो गई। पूनम देवी पहले से भी बीमार रहती थी। भाई की मौत के बाद काफी सदमे में थी। भाई की मौत से वे नहीं उबर सकी थीं। बीमार होते हुए भी श्राद्ध कर्म में शामिल रहीं। उसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई। कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गयी। पटना के निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां उन्होंन शुक्रवार की सुबह दम तोड़ दिया। कोरोना के चलते शव को गांव नहीं लाया गया। बख्तियारपुर के गंगा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।

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