अजरबैजान की उल्टी गिनती शुरू,उसके दुश्मन से भारत ने की 720 मिलियन डॉलर की डील

अजरबैजान की उल्टी गिनती शुरू,उसके दुश्मन से भारत ने की 720 मिलियन डॉलर की डील

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

भारत के खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन करने वाला कट्टर इस्लामिक देश अजरबैजान को तगड़ा झटका लगने वाला है।भारत अज़रबैजान का दुश्मन देश अर्मेनिया को 720 मिलियन डॉलर के हथियारों की खेप भेजने की तैयारी कर रहा है।अजरबैजान और अर्मेनिया के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके पर कब्जे को लेकर लगभग चार दशक से विवाद चल रहा है।

इंडियन एयरोस्पेस डिफेंस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार अर्नेमिया इंडियन एयर डिफेंस सिस्टम आकाश-1S के सबसे अपग्रेडेड वर्जन की 15 यूनिट खरीदेगा।भारत की इस डील से तुर्की के रक्षा विशेषज्ञ टेंशन में आ गए हैं और इसको अर्मेनिया के लिए बड़े खतरे के तौर पर देख रहे हैं।

अजर न्यूज के अनुसार अजरबैजान में तुर्की के पूर्व सैन्य अताशे रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल यूसेल करोज ने जोर देकर कहा कि आकाश सिस्टम तकनीकी रूप से रक्षात्मक है, लेकिन संकटग्रस्त शांति वार्ता के बीच यह खरीद एक सही सिग्नल नहीं है।यूसेल करोज ने कहा कि आकाश सिस्टम निश्चितरूप से डिफेंसिव सिस्टम है और एयर डिफेंस सिस्टम हवाई रक्षा के लिए होते हैं, लेकिन ये आक्रामक हथियार नहीं होते हैं।

 

यूसेल करोज ने कहा कि यह दो हजार किलोमीटर के एरिया को कवर कर सकता है और यह खरीद अर्मेनिया को हमलों से देश की रक्षा करने में मदद करेगी,डिफेंस सिस्टम से दूसरे देश की पुलिस यूनिट,एयरक्राफ्ट,यूएवी और एसआईएचए को ट्रैक करके उन्हें तबाह करने में मदद मिलेगी,इसलिए ये डील अर्मेनिया के लिए रक्षात्मक तौर पर महत्वपूर्ण है।

बता दें कि आकाश डिफेंस सिस्टम को भारत के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने बनाया है,इसकी मारक क्षमता 30 किलोमीटर तक है और यह 4 टार्गेट्स को ट्रैक कर सकता है,पिछले दिनों पाकिस्तान की ओर से हुए हमलों में आकाश डिफेंस सिस्टम ने ड्रोन्स को हवा में ही मार गिराया था।

बताते चलें कि अजरबैजान और अर्मेनिया सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करते थे। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद बने 15 देशों में अजरबैजान और अर्मेनिया भी थे,लेकिन दोनों के बीच विवाद 1980 के दशक में ही शुरू हो गया था। यह विवाद नागोर्नो-कारबाख इलाके को लेकर है।सोवियत संघ टूटने के बाद यह इलाका अजरबैजान के पास चला गया था। यहां ईसाई आबादी रहती है और अर्मेनिया भी ईसाई बहुल मुल्क है,इसलिए यहां रहने वालों ने भी अर्मेनिया का हिस्सा बनने के लिए ही वोट किया था,जबकि अजरबैजान मुस्लिम देश है,हालांकि सोवियत संघ टूटने के बाद नागोर्नो-काराबाख अजरबैजान को दे दिया गया,तभी से ये विवाद चल रहा है।

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