भीड़ पर अब पूरी तरह नियंत्रण: डीआईजी

भीड़ पर अब पूरी तरह नियंत्रण: डीआईजी

चार बजे तक कुल 5.71 करोड़ श्रद्धालुओं ने किया स्नान

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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प्रयागराज में महाकुंभ में हुए हादसे में प्रशासन ने 30 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि की है। मंगलवार रात मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं की भीड़ में भगदड़ मच गई थी। हादस संगम तट के पास हुआ। हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने में जुट गया। देर शाम तक महाकुंभ नगर के डीआईजी वैभव कृष्ण ने जानकारी देते हुए बताया कि भगदड़ में 90 लोग घायल हुए हैं।

महाकुंभ हादसे को लेकर डीआईजी वैभव कृष्ण ने प्रेसवार्ता कर बताया कि भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई है। वहीं, 90 से अधिक घायल हुए हैं। उन्होंने बताया कि 30 मृतकों में से 25 की पहचान की जा चुकी है। बहुत बड़ी संख्या में भीड़ आई है। आसपास के जनपदों से भारी भीड़ प्रयागराज पहुंची है। अनुमान है कि 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज में आए हैं। संगम समेत सभी घाटों पर लोग बड़ी संख्या में स्नान कर रहे हैं। भीड़ पर अब पूरी तरह नियंत्रण कर लिया गया है और स्थिति पूरी तरह सामान्य है।

बुधवार के दिन शाम चार बजे तक कुल 5.71 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में स्नान किया। वहीं, अब तक महाकुंभ में स्नान करने वालों की संख्या 19.94 करोड़ से अधिक पहुंच चुकी है।  पूर्वोत्तर रेलवे की सभी ट्रेनें प्रयागराज के लिए यथावत संचालित हो रही हैं, कोई भी ट्रेन रद्द नहीं की गई है। पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षित वापसी के लिए रेलवे ने विशेष इंतजाम किए हैं। रेलवे प्रशासन यात्रियों की सुरक्षा और सुचारू यात्रा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह अलर्ट है। श्रद्धालुओं को किसी भी असुविधा से बचाने के लिए अतिरिक्त सहायता दल तैनात किए गए हैं।

कुंभ मेला ग्रहों की स्थिति के अनुसार आयोजित किया जाता है, जिसमें सूर्य, चंद्र, देवगुरु वृहस्पति का विशेष महत्व होता है. इसे सनातन धर्म का सबसे पवित्र मेला माना जाता है, जो किसी निश्चित दिन या अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नहीं मनाया जाता, बल्कि यह खगोलीय घटनाओं से संबंधित ग्रहों की स्थिति के आधार पर निर्धारित होता है. वर्ष 2025 में 144 वर्षों के बाद महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, और मौनी अमावस्या पर शाही स्नान के लिए आए श्रद्धालुओं को इस अफवाह ने परेशान कर दिया.

इस दिन मीन राशि में पहले से ही राहु उपस्थित है, जिसके साथ शुक्र का युति होना होगा. मीन राशि शुक्र ग्रह की उच्च राशि मानी जाती है, लेकिन इसके स्वामी देवगुरु वृहस्पति हैं. गुरु और शुक्र का एक साथ होना देश और दुनिया के लिए शुभ नहीं माना जाता. मीन राशि में राहु और शुक्र का एक साथ होना अशुभता का संकेत है, क्योंकि राहु एक पाप ग्रह है और छाया ग्रह भी है. इसके प्रभाव से व्यक्ति की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है और मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं रहती. राहु के कारण अव्यवस्था फैलती है और इसके अशुभ प्रभाव से देश-दुनिया में गलत गतिविधियां बढ़ जाती हैं.

 

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