Cyclone Biporjoy: गुजरात की तरफ बढ़ रहा ‘बिपोर्जॉय’ चक्रवात

Cyclone Biporjoy: गुजरात की तरफ बढ़ रहा ‘बिपोर्जॉय’ चक्रवात

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चक्रवाती तूफान बिपरजॉय की वजह से मुंबई में मरीन ड्राइव पर हाई टाइड देखा गया।

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का महाराष्ट्र और गुजरात में असर देखने को मिल रहा है। मौसम विभाग के अनुसार बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान बिपरजॉय 15 जून की शाम तक जखाऊ बंदरगाह के पास सौराष्ट्र और कच्छ से टकराएगा। वही, इसकी वजह से मुंबई में ऊंची लहरें देखी गई। द्वारका के गोमती घाट पर हाई टाइड देखा गया है।

बिपरजॉय चक्रवात का असर देखने को मिल रहा है। मौसम विभाग का कहना है कि बिपरजॉय 15 जून को सौराष्ट्र और कच्छ से टकराएगा। गुजरात में ही इसका सबसे ज्यादा असर होने की आशंका है। इसको लेकर गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने उच्च स्तरीय बैठक की है। एहतियात के तौर पर एनडीआरएफ की 21 और एसडीआरएफ की 13 टीमें तैनात की गई हैं। हजारों लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया जा चुका है।

2017 में ओखी तूफान, 2018 में तितली तूफान, 2019 में फानी तूफान, 2020 में अम्फान तूफान, 2021 में ताउते तूफान, 2022 में असानी तूफान और अब 2023 में बिपरजॉय तूफान आ गया है.

चक्रवात बिपरजॉय को लेकर गुजरात में अलर्ट जारी किया गया है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार एहतियात के लिए जरूरी कदम उठा रही है। गुजरात में NDRF की 12 टीमों को तैनात किया गया है। अभी से समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठ रही हैं। गुजरात के साथ साथ मुंबई में भी समुद्र उफान ले रहा है। मौसम विभाग ने बताया है कि बिपरजॉय अभी पोरबंदर से 290 किलोमीटर दूर है। वहीं जखाऊ बंदरगाह से ये 360 किलोमीटर दूर है। बिपरजॉय चक्रवाक को लेकर कुछ जरूरी सवालों के जवाब हम आपको बता रहे हैं।

  1. बिपरजॉय चक्रवात क्या है?
    दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर एक डीप-डिप्रेशन बना था, जो अब भयंकर तूफान में तब्दील हो गया है। इस चक्रवाती तूफान को बिपरजॉय तूफान नाम दिया गया है।
  2. बिपरजॉय का अर्थ क्या है?
    इस चक्रवात का नाम बांग्लादेश ने रखा है। बिपरजॉय का अर्थ होता है ‘बहुत खुशी’। हालांकि बिपरजॉय खुशी नहीं बल्कि मुसीबत बनकर भारत के कई समुद्री इलाकों पर मडरा रहा है।
  3. बिपरजॉय का राजस्थान में असर?
    बिपरजॉय चक्रवात के चलते गुजरात में तो अलर्ट जारी किया ही गया है, साथ में इसका असर राजस्थान में भी देखने को मिलेगा। मौसम एक्सपर्ट्स के अनुसार 15 जून से राजस्थान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में कई जगह भारी बारिश हो सकती है। इसके साथ ही तेज हवाएं भी चलेंगी।
  4. बिपोर्जॉय तूफान live location
    बिपरजॉय अभी पोरबंदर से 290 किलोमीटर दूर है। वहीं जखाऊ बंदरगाह से ये 360 किलोमीटर दूर है।
  5. बिपरजॉय का मुंबई पर कितना असर
    बिपरजॉय चक्रवात का असर मुंबई में भी देखने को मिल रहा है। मरीन ड्राइव समेत अन्य समुद्री तटों पर ऊंची-ऊंची लहरें देखने को मिल रही हैं।

हवा की गति के 129.64 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने के बाद बिपोर्जॉय अरब सागर में चौथा सबसे मजबूत तूफान बन गया है. इसके 15 जून को गुजरात के कच्छ के मांडवी से लेकर पाकिस्तान के कराची के बीच लैंडफॉल करने का अनुमान है

क्या होता है साइक्लोन लैंडफॉल?

जब कोई चक्रवात समुद्र की तरफ से बढ़ते हुए जमीन पर प्रवेश करता है, तो उसे साइक्लोन लैंडफॉल कहा जाता है. ऐसी स्थिति में इसका असर पानी के बाद जमीन पर दिखने लगता है. जब कोई साइक्लोन जमीन पर लैंडफॉल करता है, तो इस दौरान तेज हवाएं चलने के साथ-साथ भारी बारिश होती है. इस दौरान समुद्र का जल स्तर बढ़ जाता है.

इसके बाद तूफान काफी कहर मचाता है और जहां ये टकराता है. वहां का जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित होता है. किसी भी साइक्लोन के लैंडफॉल के समय हवाओं की रफ्तार 110 से 120 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है. इसलिए साइक्लोन लैंडफॉल के समय बहुत सतर्क होने की जरूरत होती है, ताकि नुकसान कम से कम हो.

बिपोर्जॉय के बारे में क्या आ रही मुश्किल?

बिपोर्जॉय के बारे में चिंता की बात ये है कि उसका ट्रैक स्पष्ट नहीं है. डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस लेकर अलग-अलग पूर्वानुमान लगाए जा रहे हैं, लेकिन इसी के साथ एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि भारत को इससे सतर्क होना चाहिए. भारत मौसम विभाग ने 9 जून को अनुमान लगाया था कि बिपोर्जॉय तूफान अगले 48 घंटों में भारत में उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ेगा और फिर बाद के तीन दिनों में उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ेगा.

वहीं यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट ने बताया था कि बिपोर्जॉय 16 जून को पाकिस्तान के सिंध में लैंडफॉल करेगा. वहीं ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम का कहना है कि बिपोर्जॉय 16 जून को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में लैंडफॉल करेगा. वहीं 8 जून को जीएफएस मॉडल ने भविष्यवाणी की थी कि तूफान के 14-15 जून तक ओमान में लैंडफॉल होने की संभावना है.

पूर्वानुमान से ट्रैस करने में हो रही है परेशानी

यूनाइटेड किंगडम में यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के एक शोध वैज्ञानिक अक्षय देवरस ने कहा कि अलग अलग क्लाइमेट मॉडल के पूर्वानुमान में अंतर होता है, लेकिन इस बार ये अंतर काफी आश्चर्यजनक हैं. इसकी प्रमुख वजह ये है कि विंड प्रोफाइल आर्दश नहीं है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक तरफ एक दिशा में तेज हवाएं चल रही है और दूसरी दिशा में कमजोर हवाएं चल रही हैं.

ये उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का पक्ष नहीं लेता है. वहीं दूसरी प्रतिकूल स्थिति ये है कि पाकिस्तान और पश्चिम एशिया में शुष्क हवा है, जो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के लिए जहर हैं.जैसे-जैसे चक्रवात आगे बढ़ेगा, वे विभिन्न क्षेत्रों से शुष्क हवा खींचेंगे.समुद्र की सतह का तापमान अधिक होता है, जो चक्रवातों के पक्ष में काम करता है. इसी वजह से उष्णकटिबंधीय चक्रवात और ट्रैक की सटीक तीव्रता और स्थान का पता करने में परेशानी हो रहे हैं.

ऐसे में यदि उष्णकटिबंधीय चक्रवात अरब सागर के ऊपर बना रहता है और परिस्थितियां प्रतिकूल बनी रहती हैं, तो यह समुद्र के ऊपर ही खत्न हो सकता है या एक कमजोर हो सकता है. वहीं अगर ये तीव्रता बनाए रख सकता है तो ज्यादा बारिश हो सकती है. अक्षय देवरस ने कहा कि वहीं अगर यह पाकिस्तान या उत्तरी गुजरात की ओर आता है, तो यह बारिश को कम कर देगा लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह कोई तूफान लाएगा.

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