बौद्धिक संपदा के रूप में दार्जिलिंग टॉय ट्रेन का लोगो.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत ने अंतत: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित ‘टॉय ट्रेन’ (Darjeeling Toy Train) के लोगो (Logos) को अपनी बौद्धिक संपदा के रूप में पंजीकृत किया है।
- इसके बाद यह दावा विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) को भेजा गया, जो कि विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के वियना वर्गीकरण (VCL) में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार है। किसी भी प्रति-दावे को दर्ज करने के लिये छह महीने का समय निर्धारित है, जिसके बाद भारत सरकार के दावे को अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति प्राप्त होगी।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- दुनिया में कहीं भी इस लोगो के उपयोग के लिये अब भारत से लिखित अनुमति और शुल्क के भुगतान की आवश्यकता होगी।
- दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (DHR) के दो लोगो हैं, दोनों का पेटेंट कराया जा चुका है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक के साथ लोगो को पंजीकृत करने की प्रक्रिया अगस्त 2021 में शुरू की गई थी। इसके बाद इसे डब्ल्यूआईपीओ को भेजा गया था।
- दोनों लोगो (logo) एक सदी से अधिक पुराने हैं और विश्व विरासत सर्किट में लोकप्रिय हैं।
- यूरोप, यूके और अमेरिका में विभिन्न वाणिज्यिक संगठनों द्वारा व्यापारिक वस्तुओं और संचार सामग्री पर उनका अव्यवस्थित ढंग से उपयोग किया जाता है; यहाँ तक कि पश्चिम बंगाल सरकार ने अतीत में संचार और व्यापारिक वस्तुओं पर इसका इस्तेमाल किया है।
- महत्त्व: इससे दार्जिलिंग टॉय ट्रेन के ‘आयरन शेरपा’ ब्लू स्टीम लोकोमोटिव को स्विट्ज़रलैंड में प्रसिद्ध ट्रांसलपाइन रैटियन रेलवे (Rhaetian Railway ) के समान दर्ज़ा प्राप्त होगा और दुनिया भर में इसकी मान्यता और प्रमुखता को बढ़ावा देने की संभावना है।
- दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (DHR):
- DHR का निर्माण ब्रिटिश काल में वर्ष 1879 और 1881 के बीच किया गया था।
- यह पश्चिम बंगाल में हिमालय की तलहटी में स्थित है।
- यह पहाड़ी यात्री रेलवे का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका डिज़ाइन पहाड़ी इलाके में एक प्रभावी रेल लिंक स्थापित करने की समस्या के लिये साहसिक और सरल इंजीनियरिंग समाधान लागू करता है।
- इसे वर्ष 1999 में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
- अन्य पर्वतीय रेलवे जिन्हें विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया:
- नीलगिरि पर्वतीय रेलवे, तमिलनाडु (दक्षिण भारत) की नीलगिरि पहाड़ियों में स्थित है (2005)।
- कालका-शिमला रेलवे, हिमाचल प्रदेश (उत्तर पश्चिम भारत) (2008) की हिमालय की तलहटी में स्थित है।
- अन्य पर्वतीय रेलवे जिन्हें विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया:
- यह भी पढ़े…
- अमनौर पर्यटक स्थल बड़ा पोखरा के छठ घाटों का सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने किया निरीक्षण
- “बेल बॉक्स” जेल और किसी नागरिक की स्वतंत्रता के बीच किस प्रकार बाधा बन सकता है?
- 5G प्रौद्योगिकी की तैनाती के समक्ष विद्यमान चुनौतियां.
- श्वसन प्रणाली पर पराली जलाने का प्रभाव बुरा है?
- श्वसन प्रणाली पर पराली जलाने का प्रभाव बुरा है?