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स्वर्गीय शिक्षक शिव जतन सिंह के पूण्य तिथि  धूमधाम से मनाया गया - श्रीनारद मीडिया

स्वर्गीय शिक्षक शिव जतन सिंह के पूण्य तिथि  धूमधाम से मनाया गया

स्वर्गीय शिक्षक शिव जतन सिंह के पूण्य तिथि  धूमधाम से मनाया गया

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श्रीनारद मीडिया‚ सचिन पांडेय‚ मांझी‚ सारण (बिहार)

सारण। मांझी प्रखंड के मुबारकपुर पंचायत के मुबारकपुर गांव के स्वर्गीय शिक्षक शिव जतन सिंह के पूण्य तिथि मध्य प्रदेश के अलिराजपुर के एस एस पी मनोज सिंह के आवास पर बड़े ही धूमधाम से मनाया गया ।

साथ ही उन्होंने अपने पिता द्वारा एक किताब भी पूर्व में विमोचन किया था। कई कविताएं भी उस पुस्तक में उनके द्वारा लिखी गई थी । पढ़ने के बाद भावुक हो गए । साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मेरे पिताजी के आशीर्वाद से हम सभी हर जगह खुशी से जीवन बसर कर रहे हैं । पढ़ाई के समय अनेकों बाधा उत्पन्न हुआ करता था । लेकिन मेरे पिताजी अपना सारा जीवन बच्चे लोगों को अच्छा दिशा देने का कार्य किया।

17 मार्च सन 2000 में , सुबह 8.30 बजे अधकचरे नींद में था , टेलीफोन की घंटी बजी , दौड़कर फ़ोन उठाया , पर क्या मालूम ये टेलीफोन की घंटी मेरी ज़िंदगी की सबकुछ लूट ले जाएगी । रोता , बिलखता , चिल्लाता , बाबूजी की हर स्मृतियों को हृदय पटल पर अंकित करता , आत्मा को कचोटता हुआ, मानो पूरे परिवार का सहारा ही टुट गया हो , मानो विपत्ति अपने सारे रूपों में पहाड़ सी खड़ी हो , तत्काल घर के लिए रवाना हुआ । बाबू जी की मृत्यु के बाद उनकी ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह गई है । अपनी ज़िन्दगी को क़ुर्बान कर वे अनेक प्रश्न हमारे सामने छोड़ गए है जिसका उत्तर हम अपनी सारी ज़िंदगी ढूँढता रहे , फिर भी क्या पता मिले या नही ?

1934 में बाबू जी का जन्म हुआ था और 17 मार्च सन 2000 को महा निर्वाण को प्राप्त हुए । गोरखपुर विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर शिक्षण को अपना कार्यक्षेत्र बनाया था पिताजी ने , सेंट एणडूज कॉलेज की यादे , जीवन के उतार-चढ़ाव , विपरीत परिस्थितियों में सम – भाव , सभी का समान भाव से सम्मान , अपने शिष्यों के प्रति प्रगाढ़ प्रेम , शिक्षा को अपने विद्यार्थियों के ज़ेहन के रग रग में उतारना , पढ़ाई लिखाई के मामले में कहीं कोई समझौता नहीं करना , ये बाबूजी की पाठशाला की पहचान थी । पिताजी कहा करते थे , Failures are the pillars of success , जो सफलता का मूल मंत्र है ।

गाँव का स्कूल , गाँव का परिवेश और ग्रामीण अंचल की ही आबोहवा पर विजन देश दुनिया की , सोच विचार व दृष्टिकोण नए आयाम स्थापित करने की , क्लिष्ट रचनाओं को बहूत ही साधारण ढंग से चित्रण कर विद्यार्थियों को समझने योग्य निरूपित करना ये पिताजी के ख़ास व्यक्तित्व के निशानी थे , William Shakespeare और William Wordsworth की Common और Uncommon व्यक्तित्व की विशेषताएँ को निरूपित कर पिताजी ने मानस पटल पर एक अमिट छाप छोड़ी थी । किताबों में ही सबकुछ है , ये पाठ पढ़ाई बाबूजी ने , बहूत ही सादगी , सरलता के साथ जीवन के बहुआयामी व्यक्तित्व को निखारने की कला थी पिताजी मे , बहूत ही परिश्रम से सींचा था शिक्षा जगत के पौधों को , एक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ विद्यार्थियों को जीवन पथ के राह दिखा गए , मुझे आज काफ़ी गर्व होता है पिताजी के रूप में एक शिक्षक को पाकर , या यों कहें कि एक शिक्षक को पिताजी के रूप में पाकर ।

साहित्य से प्रगाढ़ प्रेम था बाबूजी को , जीवन की राह पर जब कभी कुछ सोचा , कविता के रूप में प्रस्फुटित हुआ जिसे उन्होंने अपनी लेखनी से आबद्ध कर डाला , उनकी प्रत्येक कविता कहीं न कहीं धैर्य, साहस , सहनशीलता , कर्मठता, प्रेरणा से ओतप्रोत होकर आशा को जगाने वाली है , “अनुभूतियाँ “ ( बाबूजी द्वारा रचित कविता संग्रह की पुस्तक ) । जो सीखा है उनकी ज़िंदगी से , उसका पूरा – पूरा प्रभाव जीवन – पथ पर रहे , यही बाबा महाकाल से प्रार्थना है , बाबूजी की

 

आज पुण्य तिथि है , उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि क्या होगी अभी भी समझ में नहीं आती , बाबू जी से विनती है कि जीवन मे दिग्भ्रमित होने से बचाकर सही राह पर चलने का आशीर्वाद दे , आप हमेशा हमलोगो के साथ है ऐसा अहर्निश महसुस होता है , आपके जीवन काल में जो भी ग़लतियाँ हमलोगो से हुई है , उस पर पछताने के सिवा और कुछ बचा भी नहीं है , बाबू जी का आशीर्वाद ही हमारा संबल व ताक़त है , आज हम हृदय की गहराइयों से आपके लिए बहुत ही विनम्रतापूर्वक श्रद्धा सुमन अर्पित करते है अपने गाँव मुबारकपूर की मिट्टी को भी नमन करता हूँ जहाँ ये सबकुछ घटित हुआ ।

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