10 दिसम्बर 📜 विश्व मानवाधिकार दिवस (Universal Human Rights Day) पर विशेष
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:

हर साल विश्व मानवाधिकार दिवस 10 दिसंबर को मनाया जाता है। मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा 10 दिसंबर 1948 को सुयक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। इस दिन को चिन्हित करने के लिए 2 साल बाद 4 दिसंबर 1950 को मानवाधिकार दिवस की स्थापना की गई और तभी से इस दिवस को 10 दिसंबर के दिन मनाया जाता है। मानवाधिकार दिवस विश्व के सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अपने-अपने तरीके से मनाया जाता है। इस दिवस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में लोगों को उनके अधिकारों को लेकर जागरूक करना है।
मानवाधिकार सभी के लिए आवश्यक है। ये एक तरह से प्राकृतिक अधिकार है जो सभी को प्राप्त होने चाहिए। इसलिए हमें केवल अपने अधिकारों के लिए नहीं बल्कि दूसरों के अधिकारों के लिए भी आवाज उठानी चाहिए। दुनिया में जन्मा हर व्यक्ति समान है। उसके साथ नस्ल, रंग, भाषा, धार्मिकता और लिंग के अनुसार भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
>> विश्व मानवाधिकार दिवस 2025 का थीम <<
विश्व मानवाधिकार दिवस 2025 की संयुक्त राष्ट्र द्वारा चुनी गई थीम है- “मानवाधिकार, हमारी रोजमर्रा की अनिवार्यताएं” (Human Rights: Our Everyday Essentials), जो दर्शाती है कि समानता, न्याय और गरिमा जैसे मानवाधिकार कैसे हर व्यक्ति के जीवन के लिए बुनियादी ज़रूरतें हैं, खासकर अशांति के दौर में, और इन्हें हर दिन जिया जाना चाहिए। भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) इसी से जुड़ी थीम ‘दैनिक आवश्यकताएं: सभी के लिए सार्वजनिक सेवाएं और सम्मान’ पर एक सम्मेलन आयोजित कर रहा है।
>> मानवाधिकार दिवस से जुडे़ कुछ महत्वपूर्ण तथ्य <<
1. द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप मानवाधिकार का महत्व समझा गया। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना भी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लोगों को कई अत्याचारों का सामना करना पड़ा, जिस कारण से एक ऐसे दस्तावेज का निर्माण किया गया जिसे विश्व के सभी नेता माने और इससे मानवाधिकारों की रक्षा की जा सके, जिसके चलते मानव अधिकारों का सार्वजनिक घोषणापत्र (यूएचआरडी) की स्थापना की गई।
2. यूडीएचआर ड्राफ्ट को तैयार होने में 2 साल से कम का समय लगा था। इसका ड्राफ्ट तैयार करने के लिए आयोग 1947 में पहली बार मिले और 1948 में पेरिस में हुई बैठक के दौरान सयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे अधिकारिक तौर पर अपनाया गया था।
3. मानवाधिकारों का सार्वजनिक घोषणापत्र केवल एक दस्तावेज है जिसके माध्यम से दो संधियों का ड्राफ्ट तैयार किया गया था। जिसमें आर्थिक, सांस्कृतिक और समाजिक अधिकारों की अंतर्राष्ट्रीय संधि और नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की अंतर्राष्ट्रीय संधि शामिल है।
4. नागरिक और राजनीतिक अधिकारों अतर्राष्ट्रीय संधि (आईसीसीपीआर) में मानवाधिकारों के मूल्यों भाषाण, धर्म की स्वतंत्रता, जीवन जीने का अधिकार और मतदान का अधिकार शामिल है।
5. आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आधिकारों की अंतर्राष्ट्रीय संधि (आईसीईएससीआर) में भोजना, स्वास्थ्य, शिक्षा और आश्रय समस्याओं के समाधान को लागू करना है।
6. मानवाधिकार का दस्तावेज विश्व में सबसे अधिक अनुवादित होने वाला दस्तावेज है। ये करीब 370 भाषाओं में उपलब्ध है।
7. भारत में मानवाधिकार कानून की स्थापना 28 सितंबर 1993 में की गई थी। उसी साल 12 अक्टूबर को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग गठन भी किया गया था।
8. 17वीं सदी की समय पर मानवाधिकार शब्द की जगह प्राकृति अधिकार या व्यकित के अधिकार शब्द का अधिक प्रोयग किया जाता था। आपको बता दें कि प्राकृति अधिकारों की चर्चा हॉब्स और लॉक की रचनाओं में भी की गई थी।
9. 1776 में अमेरिका ने एक स्वतंत्र घोषणा में कहा था कि “सभी मनुष्य को समान बनाया गया है, निर्मात ने उन्हें जीवन, स्वतंत्रता और खुशी की प्राप्ती जैसे कुछ अधिकार दिए है।
10. मानवाधिकारों का सबसे व्यापक उल्लंघन हमें महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हो रही हिंसा और अपराधों में देखने को मिलता है। करीब 603 मिलियन महिलाएं ऐसे देशों में रहती है जहां घरेलु हिंसा को आम माना जाता है। जहां इसे अपराध की श्रेणी में नहीं लिया जाता है और न जाने कितनी महिलाओं की मृत्यु घरेलु हिंसा के कारण होती है। इसके अलावा कई अन्य अपराध है जो महिलाओं को उनके मानवाधिकारों से दूर करते हैं।
हर साल इस दिवस को दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन के साथ मनाया जाता है और इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों में उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता पैदा की जाती है।
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