भारत के लोकतांत्रिक मूल्य और संविधान

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत ने अपना 76वाँ गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2025) ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ थीम के साथ मनाया, जिसमें सैन्य शक्ति, विकास और सांस्कृतिक विविधता पर प्रकाश डाला गया। इस आयोजन के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो थे।

  • भारत में गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय उत्सव है जो 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के अंगीकरण के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिससे भारत एक गणराज्य बना, जो इसके लोकतांत्रिक मूल्यों और समृद्ध विरासत को दर्शाता है।

2025 गणतंत्र दिवस की झाँकी के मुख्य आकर्षण क्या हैं?

  • तीनों सेनाओं की संयुक्त झाँकी: पहली बार तीनों सेनाओं की संयुक्त झाँकी प्रदर्शित की गई, जिसमें सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच तालमेल को रेखांकित किया गया।
    • ‘सशक्त और सुरक्षित भारत’ थीम पर आधारित इस झाँकी में थल, जल और वायु में तीनों सेनाओं के संयुक्त ऑपरेशन को दर्शाया गया।
    • झाँकी में स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों जैसे अर्जुन मेन बैटल टैंकतेजस MKII लड़ाकू विमानएडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर और INS विशाखापत्तनम विध्वंसक को प्रदर्शित किया गया।
  • DRDO की झाँकी: ‘रक्षा कवच-बहु-क्षेत्रीय खतरों के विरुद्ध बहु-स्तरीय सुरक्षा’ थीम पर आधारित, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये अत्याधुनिक नवाचारों को प्रदर्शित किया गया।
    • इस झाँकी में सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित मिसाइल, मीडियम पावर रडार- अरुधरा, ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम, एडवांस्ड लाइट टारपीडोधर्मशक्ति इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और स्वदेशी मानव रहित वायवीय प्रणाली जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये देशज रूप से विकसित रक्षा प्रौद्योगिकियों पर भारत के फोकस को उजागर करता है।

76 वें गणतंत्र दिवस की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • पद्म पुरस्कार: 76वें गणतंत्र दिवस पर 139 पद्म पुरस्कार प्रदान किये गए। इसमें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री शामिल हैं
    • ‘पद्म विभूषण’ असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिये प्रदान किया जाता है।
    • उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिये पद्म भूषण तथा किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिये पद्मश्री पुरस्कार दिया जाता है।
    • पद्म पुरस्कारों की सूची में पद्म विभूषण सर्वोच्च है, इसके बाद पद्म भूषण और पद्म श्री शामिल हैं। इन पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।
  • वीरता पुरस्कार और रक्षा अलंकरण: राष्ट्रपति ने सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के 93 कार्मिकों को वीरता पुरस्कार प्रदान किये।
    • इसमें कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र, बार टू सेना पदक, सेना पदक, नौसेना पदक और वायु सेना पदक शामिल हैं।
    • वीरता पुरस्कारों की घोषणा वर्ष में दो बार, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर की जाती है।
  • वीरता पुरस्कार: 
    • युद्धकालीन पुरस्कार: ये पुरस्कार मुख्य रूप से सशस्त्र बलों के कर्मियों के लिये दुश्मन के सामने बहादुरी के लिये दिये जाते हैं। 
      • उल्लेखनीय पुरस्कारों में परमवीर चक्रमहावीर चक्र और वीर चक्र शामिल हैं
    • शांतिकालीन पुरस्कार: ये पुरस्कार गैर-युद्धकालीन स्थितियों में बहादुरी को मान्यता देते हैं और इसमें अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र शामिल हैं। 
      • ये पुरस्कार सशस्त्र बलों, अर्द्धसैनिक बलों, पुलिस और नागरिकों को प्रदान किये जा सकते हैं।
    • अन्य वीरता पुरस्कार: सेना पदक (वीरता) भारतीय सेना में विशिष्ट सेवा के लिये दिया जाता है, तथा इसके बाद बहादुरी के कार्यों के लिये सेना पदक (वीरता) भी दिया जाता है।
      • नौसेना पदक (वीरता) नौसेना में साहस या कर्त्तव्य के लिये प्रदान किया जाता है , जबकि वायु सेना पदक (वीरता) वायु सेना में बहादुरी या असाधारण सेवा के लिये प्रदान किया जाता है।
  • रक्षा अलंकरण: राष्ट्रपति ने परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, बार टू सेना पदक, सेना पदक (कर्तव्य के प्रति समर्पण) नौ सेना पदक, वायु सेना पदक, बार टू विशिष्ट सेवा पदक और विशिष्ट सेवा पदक समेत 305 रक्षा अलंकरण प्रदान किये जाते हैं।
    • परम विशिष्ट सेवा पदक: असाधारण स्तर की विशिष्ट सेवा करने वाले व्यक्ति को प्रदान किये जाते हैं।
    • उत्तम युद्ध सेवा पदक: युद्ध या संघर्ष के दौरान विशिष्ट सेवा के लिये प्रदान किया जाता है।
    • अति विशिष्ट सेवा पदक: असाधारण स्तर की विशिष्ट सेवा करने वाले व्यक्ति को प्रदान किये जाते हैं।
    • युद्ध सेवा पदक: युद्ध या शत्रुता के दौरान विशिष्ट सेवा के लिये प्रदान किया जाता है।
    • सेना पदक (कर्त्तव्य के प्रति समर्पण): यह सम्मान सेना पदक प्राप्तकर्त्तओं को कर्त्तव्य के अतिरिक्त और अधिक कार्यों के लिये दिया जाता है।
    • विशिष्ट सेवा पदक: उच्च कोटि की सेवा, जिसे एक से अधिक बार सम्मान प्राप्त करने पर रिबन पर एक ‘बार’ द्वारा अंकित किया जाता हैं।
  • PTM और TM पदक: राष्ट्रपति ने 76 वें गणतंत्र दिवस पर भारतीय तटरक्षक कर्मियों को राष्ट्रपति तटरक्षक पदक (PTM) और तटरक्षक पदक (TM) प्रदान किये।
    • ये पुरस्कार उनकी विशिष्ट वीरता, कर्त्तव्य के प्रति असाधारण समर्पण और विशिष्ट/मेधावी सेवा को मान्यता देते हैं।
  • सेवा कार्मिक: पुलिस, अग्निशमन सेवा, होम गार्ड एवं नागरिक सुरक्षा (HG&CD), और सुधार सेवाओं के कुल 942 कार्मिकों को वीरता और सेवा पदक से सम्मानित किया गया है।
  • पुलिस वीरता पदक: वर्ष में दो बार घोषित किये जाने वाले ये पदक पुलिस कर्मियों की बहादुरी और अनुकरणीय आचरण के प्रदान किये जाते हैं। 
  • वीरता के लिये राष्ट्रपति पदक जीवन बचाने या अपराध रोकने में असाधारण साहस के लिये प्रदान किया जाता है, जबकि वीरता के लिये पुलिस पदक कर्त्तव्य के दौरान बहादुरी के कार्यों पर प्रदान किया जाता है।
    • विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम): यह विशिष्ट सेवा रिकॉर्ड के लिए प्रदान किया जाता है।
    • सराहनीय सेवा पदक (MSM): यह पदक कर्त्तव्य के प्रति समर्पण और निष्ठा से युक्त बहुमूल्य सेवा के लिए दिया जाता है।
  • जीवन रक्षा पदक पुरस्कार: 76वें गणतंत्र दिवस पर, जीवन बचाने में नागरिकों की बहादुरी को मान्यता देते हुए 49 जीवन रक्षा पदक पुरस्कार प्रदान किए गए।
    • यह पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं: सर्वोत्तम, उत्तम और जीवन रक्षा पदक।
    • सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक: अत्यंत खतरनाक परिस्थितियों में जीवन बचाने के लिए विशिष्ट साहस हेतु।
    • उत्तम जीवन रक्षा पदक: किसी बड़े खतरे में जीवन बचाने के लिए साहस और त्वरित कार्रवाई हेतु।
    • जीवन रक्षा पदक: गंभीर शारीरिक चोट की स्थिति में जीवन बचाने के लिए साहस और त्वरित कार्रवाई हेतु।

गणतंत्र दिवस का क्या महत्त्व है?

  • गणतंत्र दिवस: 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ, जिससे देश एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य में परिवर्तित हुआ।
    • संविधान को संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को अपनाया गया था।
    • यह दिन, संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करने तथा भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (INC) द्वारा 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज की घोषणा के उपलक्ष्य में चुना गया था।
  • पूर्ण स्वराज की घोषणा (1930): 19 दिसंबर 1929 को कॉन्ग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) प्रस्ताव पारित किया।
  • 26 जनवरी 1930 को एक सार्वजनिक घोषणा की गई, जिसमें कॉन्ग्रेस ने भारतीयों से इस दिवस को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का आग्रह किया।
    • वर्ष 1930 से 1947 तक 26 जनवरी को पूर्ण संप्रभुता की प्राप्ति के उपलक्ष्य में स्वतंत्रता दिवस या पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया गया।
  • ध्वजारोहण: गणतंत्र दिवस पर भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं, जो देश के ब्रिटिश उपनिवेश से संप्रभु गणराज्य में परिवर्तन का प्रतीक है।
    • झंडे को लपेटकर खंभे के शीर्ष पर लगा दिया जाता है और राष्ट्रपति लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में इसे फहराते हैं।
    • इसके विपरीत, स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वज को बॉटम से टॉप की ओर फहराते हैं जो औपनिवेशिक शासन के बाद एक नए राष्ट्र, स्वतंत्रता और देशभक्ति के उदय का प्रतीक है।
      • यद्यपि ये कार्य समान हैं, फिर भी ये भिन्न ऐतिहासिक एवं प्रतीकात्मक संदर्भों के परिचायक हैं।
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