हमले में दोनों पैर गंवाए, फिर भी सी सदानंदन ने समाजसेवा नहीं छोड़ी
वामपंथियों ने पैर काटे! संघ ने खड़ा किया
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कभी-कभी जिंदगी ऐसे मोड़ लेती है, जहां इंसान या तो टूट जाता है या फिर इतिहास रच सबके के लिए मिसाल बन जाता है… केरल के त्रिशूर जिले के एक साधारण स्कूल टीचर सी सदानंदन मास्टर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है… बहन की शादी का कार्ड देकर घर लौट रहे सी सदानंदन के साथ वो हो गया जो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा…
केरल के कन्नूर जिले में एक गांव है पेरिंचेरी. यहां की गलियों में आज भी वो चीखें गूंजती हैं जो 1994 की उस डरावनी रात को उठी थीं. एक शिक्षक घर लौट रहा था तभी कुछ लोग पीछे से आए… बम फेंके, चीख-पुकार मची… और फिर उसी सड़क पर उस शिक्षक के दोनों पैर काट दिए गए. दुकानदारों ने शटर गिरा दिए, कोई मदद के लिए नहीं आया. वो लहूलुहान पड़ा रहा… और आज वही शिक्षक भारत की सबसे ऊंची पंचायत यानी राज्यसभा में सांसद की कुर्सी पर बैठने जा रहा है. नाम है- सी सदानंदन मास्टर.
एक दर्दनाक हमले के बाद दोनों टांग काट दी गई लेकिन उन्होंने हिम्मत कभी नहीं हारी, फिर खड़े हुए लेकिन इस बार नकली पैरों और अपने हौंसले के बलबूते… बेबसी से जीत उन्होंने अपना सफर तय किया है देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी राज्यसभा तक… खुद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उन्हें राज्यसभा भेजने के लिए ऐलान किया… इसलिए सी सदानंदन बनें हैं हमारे शो के चर्चित चेहरा..
कौन है सी सदानंदन जिनके लिए खुद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने देश के सामने आकर किया ऐलान, कैसे एक हादसे या कहें कि हमले से लाचार होने के बाद दिखाई ऐसी हिम्मत की खुद पीएम मोदी ने मंच पर बुलाकर कर दिया वायरल और क्या हुआ था 25 जनवरी 1994 को जो उनकी जान के लिए बनी आफत.
सी सदानंदन केरल के कन्नूर से हैं, जहां विचाराधारा के टकराव के कारण राजनीतिक हिंसा का इतिहास रहा है। 25 जनवरी 1994 को सीपीएम समर्थकों ने सदानंदन पर जानलेवा हमला किया था। हमलावरों ने घर से खींचकर उनके दोनों पैर इस तरह काटे थे, जिसे वापस जोड़ा नहीं जा सके। उस समय उनकी उम्र 30 वर्ष थी। सीपीएम समर्थकों ने उन्हें आरएसएस समर्थक होने की सजा दी थी। इसके बाद भी सदानंदन नहीं डरे, नकली पैर के सहारे उन्होंने सीपीएम के गढ़ कुन्नूर समेत पूरे प्रांत में हिंदुत्व का प्रचार जारी रखा।
शांति के लिए हमेशा बुलंद की है आवाज
अपनी शुरुआती दौरे से ही सदानंदन मस्ते केरल में राजनीतिक हिंसा के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। उन्होंने बार-बार यह कहा है कि राजनीतिक मतभेद के बावजूद समाज में शांति बनाए रखना जरूरी है। वे भारतीय विचार केंद्र से भी जुड़े हैं, जो केरल में वैचारिक और सामाजिक कार्यों से जुड़ा संगठन है। सदानंदन मस्ते की पत्नी वनीता रानी भी शिक्षिका हैं। उनकी बेटी यमुना भारती बीटेक की छात्रा हैं। उनका पूरा परिवार शिक्षा और समाज सेवा से जुड़ा हुआ है।