विधानसभा सत्र के बीच ही यूरोप चले गए तेजस्वी यादव?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार विधानसभा सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की गैरहाजिरी को लेकर सत्ता पक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने दावा किया है कि तेजस्वी यादव विधानसभा सत्र के बीच ही परिवार के साथ विदेश यात्रा पर चले गए हैं। उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे पर एक बार फिर हमला बोलते हुए कहा कि तेजस्वी ने मैदान छोड़ दिया है, अगले 5 साल तक विरोधी दल के नेता की भूमिका निभाने की क्षमता उनमें नहीं है।
शिवानंद तिवारी ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान गैर हाजिर थे। कहा गया कि वे दिल्ली गए। उनकी पत्नी एवं बच्ची पहले ही दिल्ली चले गए थे। अब बताया जा रहा है कि तेजस्वी अपने परिवार के साथ यूरोप की यात्रा पर निकल गए हैं।
शिवानंद ने कहा कि बिहार में विरोध की राजनीति का पूरा मैदान ख़ाली है। नीतीश कुमार पांच वर्षों तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे, यह भी संदेह के घेरे में है। बिहार पर अपना झंडा फहराने का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का सपना पूरा होता दिखाई दे रहा है। इसके लिए जवाबदेह कौन है। केवल जदयू या उनके नेताओं को इसके लिए जिम्मेवार नहीं माना जा सकता। वह इस निष्कर्ष से सहमत नहीं हैं।
बता दें कि बिहार चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत और महागठबंधन की करारी हार के बाद राज्य में नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले दिनों नई सरकार का गठन किया गया। इसके बाद 1 दिसंबर से बिहार विधानसभा का सत्र बुलाया गया। पहले दिन नए विधायकों का शपथ ग्रहण और दूसरे दिन स्पीकर का चुनाव हुआ। दोनों दिन तेजस्वी यादव सदन में मौजूद रहे। इस दौरान उन्हें औपचारिक रूप से सदन का नेता प्रतिपक्ष भी घोषित किया गया।
हालांकि, विधानसभा सत्र के तीसरे दिन तेजस्वी यादव सदन में नहीं पहुंचे। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद आरिफ खान का बुधवार को अभिभाषण हुआ, उस समय वे गैर हाजिर रहे। इस पर जेडीयू और बीजेपी के विधायकों ने आरजेडी को घेरना शुरू कर दिया है। अब शिवानंद तिवारी द्वारा तेजस्वी के विदेश यात्रा पर जाने के दावे से सियासी पारा और गर्मा गया है।
हार के बाद यूरोप टूर पर तेजस्वी
2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में तेजस्वी यादव ने आत्मविश्वास के साथ प्रचार किया था और यहां तक कि अपनी जीत की तारीख तक की भविष्यवाणी कर दी थी। उन्होंने कहा था कि 14 नवंबर कोपरिणाम और 18 को शपथ। हालांकि, जनादेश आने पर स्थिति पूरी तरह से पलट गई। 202 सीटों के साथ NDA सत्ता में लौटी। जबकि, राजद सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई और महागठबंधन 35 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया। इस बड़ी हार के बाद, तेजस्वी का सार्वजनिक जीवन से अचानक कट जाना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बन गया।
राजनीतिक गलियारे में गरमाई चर्चा
बिहार चुनाव में हार के बाद तेजस्वी 14 से 23 नवंबर के बीच मीडिया, सड़कों और पार्टी कार्यक्रमों से पूरी तरह दूर रहे। उनकी अनुपस्थिति तब और अधिक मुखर हो गई जब वो 20 नवंबर को गांधी मैदान में आयोजित भव्य शपथ ग्रहण समारोह से भी से अनुपस्थित रहे। इस समारोह में प्रधानमंत्री और 11 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए थे। भाजपा विधायक नीरज कुमार ने सार्वजनिक रूप से सदन से उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठाया। तेजस्वी ने केवल सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार सरकार को एक औपचारिक बधाई संदेश तक ही अपनी प्रतिक्रिया सीमित रखी।
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