देशभर में लाखों लोगों को काटते हैं कुत्ते,क्यों?

देशभर में लाखों लोगों को काटते हैं कुत्ते,क्यों?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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देश में आवारा कुत्तों के काटने की समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है, इसका पता राज्यों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए आंकड़ों से चलता है। राज्यों से मिले आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इन्हें देखने से पता चलता है कि प्रति वर्ष लाखों लोगों को कुत्ते काटते हैं।

उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष 1,64,009 लोगों को कुत्तों ने काटा, जबकि असम में 1,66,232, मध्य प्रदेश में 1,42,948 तथा केरल में 1,15,046 मामले कुत्तों के काटने के हुए हैं। स्थिति की गंभीरता को सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में दर्ज किया है।

शीर्ष अदालत ने आदेश में कुछ आकलनों के आधार पर कहा है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद दुनिया में रैबीज से संबंधित सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं। नौ राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कुत्ता काटने के चार वर्ष के आंकड़े भी दिए हैं।

राज्यों द्वारा भेजे गए आंकड़े देखें, तो सबसे चौंकाने वाले आंकड़े असम के हैं। वहां कुत्ता काटने की घटनाओं में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है। असम में 2022 में 39,919 लोगों को कुत्तों ने काटा था। 2023 में यह संख्या बढ़कर 94,945 हो गई और अगले वर्ष 2024 में संख्या 1,66,232 हो गई। इस वर्ष जनवरी में ही 20,900 घटनाएं हुई हैं।

इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी स्थिति गंभीर है। 2022 में उत्तर प्रदेश में 1,91,361 लोगों को कुत्तों ने काटा था, जबकि 2023 में यह संख्या बढ़कर 2,29,921 हो गई। 2024 में आंकड़ा 1,64,009 था। इस वर्ष जनवरी में उत्तर प्रदेश में कुत्ता काटने की 20,478 घटनाएं हुई हैं।

मध्य प्रदेश में भी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 2022 में 66,018 लोगों को कुत्तों ने काटा था, जबकि 2023 में कुत्ता काटने की 1,13,499 घटनाएं दर्ज हुईं। 2024 में इसमें और वृद्धि हुई और ऐसी कुल 1,42,948 घटनाएं दर्ज हुईं। इस वर्ष जनवरी में मध्य प्रदेश में कुत्ता काटने के 16,710 मामले हुए।

केरल की स्थिति भी खराब है। वहां भी ऐसी घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। केरल में 2022 में कुत्ता काटने की सिर्फ 4000 घटनाएं हुईं, जबकि 2023 में संख्या बढ़कर 71,606 हो गई। 2024 में आंकड़ा लाख को पार कर गया और कुल 1,15,046 मामले दर्ज हुए। इस वर्ष जनवरी में 11,649 लोगों को कुत्तों ने काटा।

बाकी राज्यों में आंकड़ा एक लाख नहीं पहुंचा है। यह अभी हजारों में ही है, लेकिन हर जगह का आंकड़ा 10 हजार से ऊपर है।कोर्ट ने भी आदेश में दर्ज किया है कि कुत्ता काटने की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, खेल परिसरों और स्टेडियम, बस डिपो और रेलवे स्टेशनों पर हुई ऐसी कुछ घटनाओं को आदेश में दर्ज किया है।

आदेश में अस्पतालों की जो घटनाएं दी गई हैं, उनमें लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कालेज में दो डाक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और एक अटेंडेंट को कैंपस के भीतर रेडियोलॉजी विभाग के बाहर आवारा कुत्ते के काटने की घटना का भी जिक्र है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि कुत्ता काटने का सबसे ज्यादा खामियाजा बच्चों, बुजुर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को भुगतना पड़ा है, जो न केवल कमजोर होते हैं, बल्कि उन्हें समय पर रैबीज की रोकथाम की सुविधा भी नहीं मिलती।

 

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