मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के सामने रखे प्रश्न
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में मतदाता सूची के चल रहे विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान को लेकर आरोपों से घिरे से मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने अपना बचाव किया है। उन्होंने सवाल करते हुए पूछा है कि क्या चुनाव आयोग किसी के प्रभाव में आकर संविधान के विरुद्ध मृत, स्थाई रूप से पलायन कर चुके, दो जगहों पर पंजीकृत और विदेशी मतदाताओं को मतदाता सूची में जगह दे सकता है?
विपक्षी दलों का हंगामेदार प्रदर्शन
उन्होंने साफ किया कि ऐसे लोगों को मतदाता सूची में जगह नहीं दी जा सकती है। जो लोग मतदाता सूची से ऐसे लोगों के नाम हटने को लेकर सवाल खड़े कर रहे, उन्हें व देश के आम मतदाताओं को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने गुरुवार को यह टिप्पणी तब की है, जब बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष दलों की ओर से संसद में इसके खिलाफ हंगामेदार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
मुख्य चुनाव आयुक्त के सवाल
विपक्ष की ओर से दावा किया जा रहा है कि आयोग के इस कदम से करोड़ों पात्र लोग मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। इस विवाद के बीच ज्ञानेश कुमाार ने सवाल किया “क्या चुनाव आयोग द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से तैयार की जा रही एक शुद्ध मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव की राह में नींव का पत्थर नहीं है?”
उन्होंने पूछा, “क्या पहले बिहार में और बाद में पूरे देश में अयोग्य लोगों को मतदान देने की अनुमति संविधान देता है।” मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इन यक्ष प्रश्नों पर तो कभी न कभी हम सबको और भारत के सभी नागरिकों को मिलकर राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर गहन चिंतन तो करना ही होगा। सभी के लिए मौजूदा समय इस आवश्यक चिंतन के लिए सबसे उपयुक्त है।
चुनाव आयोग का दावा
गौरतलब है कि बिहार में मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण के दौरान चुनावा आयोग ने अब तक 21 लाख से अधिक मृत मतदाता, 31 लाख से अधिक स्थायी से पलायन कर चुके मतदाता और सात लाख मतदाताओं के दो जगहों से पंजीकृत होने का दावा दिया है।