फार्मेसी के क्षेत्र में नए शोध एवं विकास पर जोर दिया जायेगा-पीएम मोदी

फार्मेसी के क्षेत्र में नए शोध एवं विकास पर जोर दिया जायेगा-पीएम मोदी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow

विशेषज्ञों ने एक उद्योग कार्यक्रम में कहा, “भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र, जिसका वर्तमान मूल्य 55 बिलियन डॉलर है, 2030 तक 130 बिलियन डॉलर और 2047 तक 450 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

भारत का फार्मास्युटिकल क्षेत्र

  • भारत में दवा उद्योग का वर्तमान मूल्य $50 बिलियन है।
  •  उद्योग के प्रमुख क्षेत्रों में जेनेरिक दवाएँ, ओटीसी दवाएँ, थोक दवाएँ, टीके, अनुबंध अनुसंधान और विनिर्माण, बायोसिमिलर और बायोलॉजिक्स सम्मिलित हैं।
  • भारत में दवा उद्योग मात्रा के मामले में विश्व में तीसरा सबसे बड़ा और मूल्य के मामले में 14वाँ सबसे बड़ा है।
  •  फार्मा क्षेत्र वर्तमान में देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 1.72% का योगदान देता है।
  • भारत API का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसकी वैश्विक API उद्योग में 8% हिस्सेदारी है।

 देश को आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फार्मा उद्योग को भी ””नवाचार का नुस्खा”” सुझाया। ””विश्व की फार्मेसी”” कहे जाने वाले भारत की क्षमताओं को उल्लेखित करने के लिए उन्होंने याद दिलाया कि किस तरह कोराना के संक्रमण काल में आपदा को अवसर बनाते हुए भारत ने मानव जाति का कल्याण किया।प्रधानमंत्री ने फार्मा उद्योग से जुड़े युवाओं को उत्साहित-प्रेरित करते हुए कहा- वैक्सीन में हम नए-नए रिकॉर्ड स्थापित करते हैं, लेकिन क्या समय की मांग नहीं है कि हम शोध एवं विकास में और ताकत लगाएं? हमारे अपने पेटेंट हों।

दवा उत्पादन और निर्यात में वृद्धि के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बीच पीएम का यह प्रोत्साहन उस फार्मा उद्योग को ””मोरल बूस्टर डोज”” दे सकता है, जिसने बीते एक दशक में निर्यात के आंकड़े में 16.9 बिलियन डालर से 30.4 बिलियन डॉलर तक की छलांग लगाई है।

भारत के फार्मा उद्योग को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी ने मानव कल्याण को भी आधार बनाया। कहा कि हमारी अपनी बनाई हुई सस्ते से सस्ती और सबसे कारगर नई-नई दवाइयों का शोध हो और संकट में साइड इफेक्ट के बिना मानव जाति के कल्याण में काम आए।

वैक्सीन हमारी अपनी चाहिए तो देश ने करके दिखाया- पीएम

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा- मैं यह इसलिए कहने की हिम्मत करता हूं, क्योंकि मुझे देश के नौजवानों के साम‌र्थ्य पर भरोसा है। भरोसा सिर्फ इसलिए नहीं है कि वह मेरे देश के नौजवान है। कारण बताया कि कोविड के समय हम बहुत सारी चीजों पर निर्भर थे। जब मेरे देश के नौजवानों को कहा गया कि वैक्सीन हमारी अपनी चाहिए तो देश ने करके दिखाया।

कोविन प्लेटफार्म हमारा अपना होना चाहिए तो देश ने करके दिखाया। करोड़ों-करोड़ों लोगों की जिंदगी बचाने का काम हमने किया है। वही जज्बा चाहिए, हमें जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए अपना सब कुछ देना है, अपना जो बेस्ट है, हमें देखकर के रहना है। दरअसल, फार्मा उद्योग में आत्मनिर्भरता के लिए पीएम को यह आत्मविश्वास निराधार कतई नहीं है।

भारत को विश्व की फार्मेसी कहा जाता है

””इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन”” के अनुसार, भारत दुनिया में कम लागत वाले टीकों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। कम कीमत और उच्च गुणवत्ता के कारण भारतीय दवाइयों को दुनिया भर में पसंद किया जाता है।

इसी कारण से भारत को ””विश्व की फार्मेसी”” कहा जाता है। कारोबारी दृष्टिकोण से इसके आगे बढ़ने की संभावना इसलिए भी मजबूत है, क्योंकि भारत फार्मा क्षेत्र में पारंपरिक रूप से काफी मजबूत रहा है, जहां निर्माण की लागत कम है।

भारतीय फार्मा उद्योग का कुल बाजार 130 बिलियन डॉलर होगा

यह अमेरिका और यूरोप की तुलना में 30-35 प्रतिशत कम है। साथ ही कुशल अनुसंधान एवं विकास की लागत विकसित बाजारों की तुलना में लगभग 87 प्रतिशत कम है। विशेषज्ञों मानते हैं कि भारतीय फार्मा उद्योग का कुल बाजार आकार 2030 तक 130 बिलियन डॉलर और 2047 तक 450 बिलियन डालर तक पहुंचने की उम्मीद है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!