सात समुंदर पार जाकर भी रामेश्‍वर नहीं भुले है अपनी धर्म, संस्‍कृति और मिट्टी

सात समुंदर पार जाकर भी रामेश्‍वर नहीं  भुले है अपनी धर्म, संस्‍कृति और मिट्टी

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बाबा विश्‍वना‍थ की नगरी में एकलौते पुत्र  आदित्‍य का  7 जुलाई को कर रहे है उपनयन संस्‍कार

4 से 7 जुलाई तक तक चलेगा विविध धार्मिक अनुष्‍ठान और कार्यक्रम

धर्मो रक्षति रक्षितः का अक्षरसह पालन करता है इनका परिवार

श्रीनारद मीडिया, डॉ0 राकेश कुमार तिवारी, सेंट्रल डेस्‍क *

आज के समय में   लोग उच्‍च शिक्षा, उंचे पद और अच्‍छा पैसा कमाने लग जा रहे हैं तो वे अपनी धर्म, संस्‍कृति और मिट्टी से विमुख हो जा रहे हैं। उनका अपना धर्म और संस्‍कृति में लाखों खामियां दिखाई देने लगता है और अन्‍य धर्म, पंथ अच्‍छा लगने लगता है।  जिस मिट्टी में पले बढ़े और इस काबिल बने उस मिट्टी, देश से सात समुंदर दूर जाकर दूसरे देश में बस जा रहे हैं। ऐसे लोग  रामेश्‍वर से सीख ले कि कैसे  अच्‍छा पैसा और उंचा पद पाकर भी अपनी धर्म, संस्‍कृति और मिट्टी को नहीं भुले हैं।

कौन है रामेश्‍वर तिवारी – 

बिहार के सारण जिले के मशरक  में  पले बढ़े और झारखंड से  उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त कर रामेश्‍वर तिवारी संयुक्‍त अरब अमीरात की राजधानी अबुधाबी में स्‍टॉक एक्‍सचेंज में एक उंचे पद पर कार्यरत है। वे विगत दो दशक से वहां कार्यरत है लेकिन अपनी धर्म, संस्‍कृति और मिट्टी से दूर नहीं हुए है। अपने व्रत, त्‍यौहार, गांव, शहर से आज भी जुड़े हुए है। जब भी अबुधाबी से आते हैं तो अपने गांव और झारखंड के जमशेदपुर के खड़गाझार, टेल्‍कों स्थित आनंद भवन को नहीं भुलते हैं।

एकलौते पुत्र का काशी में करा रहे हैं उपनयन संस्‍कार :

हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों का विधान है। उनमें एक उपनयन संस्कार है। इस संस्कार से बालक के मन में अध्यात्म चेतना जागृत होती है। ऐसा कहा जाता है कि जब बालक ज्ञान अर्जन योग्य हो जाता है, तब उपनयन संस्कार किया जाता है। खासकर ब्राह्मणों में इस संस्कार का अति विशेष महत्व है। कालांतर से इस संस्कार की विधि-पूर्वक निर्वाह किया जा रहा है। इसी उद्देश्‍य से रामेश्‍वर तिवारी और उनकी धर्मपत्‍नी श्‍वेता तिवारी अपने एकलौटे पुत्र आदित्‍य कुमार तिवारी का उपनयन संस्‍कार 7 जुलाई 24 को  बाबा विश्‍वनाथ की नगरी स्थित श्रृंगेरी मठ, गोपाल बिहार, महमुरगंज, वाराणसी में कर रहे हैं।

4 जुलाई से शुरू हो जाएंगें धार्मिक अनुष्‍ठान और रश्‍म  – 

रामेश्‍वर तिवारी अपने पुत्र के उपनयन संस्‍कार को यादगार और बाबा विश्‍वनाथ की आर्शीवाद पाने के लिए काफी श्रद्धा और विश्‍वास के साथ धार्मिक अनुष्‍ठान और रस्‍म करेंगें। 4 जुलाई को हल्‍दी कूटने का  रस्‍म होगा तथा 5 जुलाई को पूरे दिन विघ्‍न विनाशक गणेश अर्थवशीर्ष का सहस्‍त्रार्चन होगा। 6 जुलाई को कथा मटकोड होगा। 7 जुलाई को मातृ पूजा एवं उपनयन संस्‍कार होगें।

 

उपयन संस्‍कार के अवसर पर होगा कवि सम्‍मेलन और भजन संध्‍या –

आदित्‍य कुमार तिवारी के उपनयन संस्‍कार को यादगार बनाने के लिए रामेश्‍वर तिवारी एवं श्‍वेता तिवारी पूरे जोर शोर से लगे हुए हैं। 7 जुलाई की रात्रि में कवि सम्‍मेलन एवं भजन संध्‍या  का आयोजन होगा। कवि सम्‍मेलन में अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर के कवि सुनील कुमार तंग, भूषण त्‍यागी समेत कई कवि भाग लेंगें।

आदित्‍य के उपनयन को सफल बनाने में सीवान भी पीछे नहीं :  

रामेश्‍वर तिवारी एवं श्‍वेता तिवारी के पुत्र आदित्‍य कुमार तिवारी के 7 जुलाई को काशी में होने वाले उपनयन संस्‍कार और विविध धार्मिक अनुष्‍ठान को सफल बनाने में सीवान के प्रख्‍यात आचार्य एवं श्रीनारद मीडिया के आध्‍यमिक गुरू पंडित रंगनाथ उपाध्‍याय भी पीछे नहीं है। विधिवत मंत्रोच्‍चारण एवं रश्‍म हो इसके लिए  विद्वान आचार्यों, उपाचार्यों से लेकर हर रस्‍म पर होने वाले मांगलिक गीतों के लिए गीत गाने वाले टीम को काशी ले जाएंगे।

क्‍या कहते हैं रामेश्‍वर तिवारी

इस संबंध में रामेश्‍वर तिवारी ने कहा कि मानव शरीर में भारत में जन्‍म लेना बड़ी बात है। उससे भी बड़ी बात हिन्‍दू धर्म में जन्‍म लेना है। उसमें भी ब्राह्मण कुल में जन्‍म लेना और बड़ी बात है। हम जिस मिट्टी, धर्म और कुल में जन्‍म लिए है उसे भुलना नहीं चाहिए। अपनी मिट्टी की गौरव बढ़ाने, धर्म की रक्षा करने का कार्य निरंतर करते रहना चाहिए, तभी अपनी मिट्टी और धर्म के कर्ज से मुक्‍त हो पांएगें ।   धर्मो रक्षति रक्षितः । उन्‍होंने कहा कि  जो धर्म का नाश करता है, धर्म उसका नाश करता है और जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है। इसलिए धर्म का कभी नाश नहीं होना चाहिए ताकि नष्ट हुआ धर्म हमारा नाश न कर सके।

 

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