भारत की टेक्नोलॉजी से चीन भी हैरान,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और गुलाम जम्मू-कश्मीर में मौजूद आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक कर उन्हें तबाह कर दिया था। ये वही ठिकाने थे, जहां आतंकियों की ट्रेनिंग और लॉन्चिंग होती थी। भारत की स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम पर सवाल उठने लगे थे। दरअसल पाकिस्तान ने अपना एयर डिफेंस चीन से खरीदा है। पीआईबी ने एक प्रेस रिलीज में बताया है कि चीन में बने इस एयर डिफेंस को भारतीय वायु सेना ने स्ट्राइक के दौरान जाम और बाइपास कर दिया था। वहीं भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक और लक्ष्यभेदी हमले किए थे।

पाकिस्तान के सभी हमले नाकाम

पीआईबी की प्रेस रिलीज में बताया गया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान को विदेशों से मिली कई टेक्नोलॉजी को न्यूट्रलाइज कर दिया था। इसके ठोस सबूत भी मौजूद हैं। इसमें चीन में बने पीएल-15 मिसाइल के टुकड़े, तुर्किए में बने यूएवी और लंबी दूरी के रॉकेट, क्वाडकॉप्टर और कॉमर्शियल ड्रोन शामिल हैं।

भारत की जवाई कार्रवाई में पाकिस्तान के प्रमुख एयरबेसों- नूर खान और रहीमयार खान को सर्जिकल सटीकता के साथ निशाना बनाया गया। भारत के अत्याधुनिक हथियारों ने दुश्मन के रडार और मिसाइल सिस्टम सहित कई सिस्टम को खोजकर नष्ट कर दिया।

बता दें कि भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में सात मई की सुबह पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत सटीक हमले किए। भारतीय कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने की नाकाम कोशिश की।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के दौर में युद्ध भी अब हाईटेक हो चुकी है, जहां ड्रोन सबसे बड़ा और घातक हथियार बन चुका है। हाल ही में भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष में बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध में भी ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी के मद्देनजर भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार मजबूत करता जा रहा है।
पाकिस्तान से चल रहे तनाव के बीच भारत ने स्वदेशी ‘भार्गवास्त्र’ ड्रोन-रोधी प्रणाली की सफल टेस्टिंग की है। यह प्रणाली एक साथ 64 गाइडेड माइक्रो-मिसाइल दागने में सक्षम है, जो इसे ड्रोन झुंडों के खिलाफ एक अभूतपूर्व समाधान बनाती है।
सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड द्वारा ड्रोन-रोधी प्रणाली को तैयार किया गया है। सबसे खास बात है कि इस प्रणाली को विकसित करने में ज्यादा पैसे भी खर्च नहीं किए गए। यह प्रणाली भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति और ‘मेक इन इंडिया’ मिशन की एक और सफलता को उदाहरण है।

भार्गवास्त्र’ की हुई तीन बार टेस्टिंग

13 मई को ओडिशा के गोपालपुर सीवर्ड फायरिंग केंज में इस प्रणाली के माइक्रो रॉकेट्स की टेस्टिंग की गई। टेस्टिंग में रॉकेट्स ने सभी टारगेट (ड्रोन) को हिट किया। आर्मी एयर डिफेंस (एएडी) के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में रॉकेट के लिए तीन टेस्टिंग की गई।

पहली दो टेस्टिंग में एक-एक रॉकेट दागे गए। इसके बाद तीसरे टेस्टिंग में: सैल्वो मोड में दो सेकंड के अंतराल में दो रॉकेट दागे गए।  चारों रॉकेट्स ने शानदार प्रदर्शन किया। रॉकेट्स ने सभी लॉन्च पैरामीटर हासिल किए।
आसान भाषा में समझें तो झुंड में आने वाले ड्रोन को मार गिराने में भी ‘भार्गवास्त्रने सफलता हासिल की है। बता दें कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ 400 से ज्यादा ड्रोन दागे थे। हालांकि, भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने सभी ड्रोन को मार गिराया था।

भार्गवास्त्र’ की खास विशेषताएं

‘भार्गवास्त्र’ ड्रोन-रोधी प्रणाली को मुख्य तौर पर तीन अलग कामों के लिए डिजाइन किया गया है।
पहला: अनगाइडेड माइक्रो रॉकेट्स। इन रॉकेट्स का काम ड्रोन झुंड के झुंड को मार गिराना है।
दूसरा: गाइडेड माइक्रो-मिसाइल। इस मिसाइल का काम ड्रोन पर सटीक हमला करना है।
तीसरा:  सॉफ्ट-किल परत। यह जैमिंग और स्पूफिंग की वैकल्पिक सुविधा देती है।  सॉफ्ट-किल परत के जरिए ड्रोन को बिना नष्ट किए निष्क्रिय किया जा सकता है।

सबसे बड़ी बात है कि ‘भार्गवास्त्र’ ड्रोन-रोधी प्रणाली को थल सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों के लिए रक्षा ढाल का काम कर सकती है। इस प्रणाली की वजह से भारत की एयर डिफेंस सिस्टिम और भी मजबूत बन चुकी है।

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