भाजपा कार्यालय में आपातकाल को दर्शाती हुई प्रदर्शनी का आयोजन

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श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

सीवान भाजपा कार्यालय पर कांग्रेस के लोकतंत्र पर कुठाराघात आपातकाल को दर्शाती हुई प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम भाजपा के जिला अध्यक्ष राहुल तिवारी की अध्यक्षता में किया गया।

 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री धनराज शर्मा ने बताया की 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल थोप दिया। यह निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं बल्कि अपने चुनाव को रद्द किए जाने और सत्ता बचाने की हताशा में लिया गया था।

 

कांग्रेस ने इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रैदा बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता न्यायपालिका की निष्ठा और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया कि जब-जब उनकी सरकार संकट में होती है वह संविधान और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहीं हटते आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस इस मानसिकता के साथ चल रही है आज भी सिर्फ तरीके का बदलाव हुआ है नियत आज भी वैसे ही तानाशाह वाली है।

 

कार्यक्रम में आगे भाजपा प्रदेश मंत्री नंद प्रसाद चौहान ने बताया कि मार्च 1971 में लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीतने के बावजूद इंदिरा गांधी की वैधानिकता को चुनौती मिली उनके विपक्षी उम्मीदवार राज नारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव को भ्रष्ट आचरण और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आधार पर चुनौती दी। देश की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रहा था जिससे जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा था देश पहले से ही आर्थिक बदहाली महंगाई और खाद्य संकट से जूझ हा रहा था बिहार और गुजरात के छात्रों के नेतृत्व में नव निर्माण आंदोलन खड़ा हो चुका था।

 

8 मई 1974 को जॉर्ज फर्नांडीज के नेतृत्व में ऐतिहासिक रेल हड़ताल ने पूरे देश को जकर लिया। इस आंदोलन को रोकने के लिए 1974 में गुजरात में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया यही राष्ट्रपति शासन 1975 में लगने वाले आपातकाल की एक शुरुआत था।।

 

कार्यक्रम के अध्यक्ष और भाजपा के जिला अध्यक्ष राहुल तिवारी ने बताया कि 1975 में आपातकाल की घोषणा कोई राष्ट्रीय संकट का नतीजा नहीं बल्कि यह एक डरी हुई प्रधानमंत्री की सत्ता बचाने की रणनीति थी जिसे न्यायपालिका से मिली चुनौती से बौखला कर देश पर थोपा गया था इंदिरा गांधी ने आंतरिक शांति की आर को लेकर भारत के संविधान का दुरुपयोग किया। जबकि ना उस समय कोई युद्ध की स्थिति थी ना कोई विद्रोह था ना कोई बाहरी आक्रमण हुआ था यह सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने की जिद थी।

 

उस वक्त के कांग्रेस के सरकार ने संविधान की आत्मा को कुचलने का काम किया था कांग्रेस ने लोकतंत्र को एक झटके में तानाशाही में बदल दिया। और चुनाव में दोषी ठहराए जाने के बाद नैतिकता से इस्तीफा देने की वजह पूरी व्यवस्था को ही कठपुतली बनाकर रखने का षड्यंत्र रच दिया। कांग्रेस सरकार ने कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका सहित लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को बंधक बनाकर सत्ता के आगे घुटने टिकने पर मजबूर कर दिया था प्रेस की स्वतंत्रता पर ऐसा हमला हुआ कि बड़े-बड़े अखबारों के दफ़्तरो की बिजली काट दी गई थी।

 

सेंसरशिप लगाई गई और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया आज भी कांग्रेस शासित राज्यों में कानून व्यवस्था का हाल यह है कि वहां विरोध का दमन,धार्मिक तुष्टिकरण और सत्ता का अहंकार खुलेआम दिखाई देता है यह सब आपातकालीन की सोच की ही देन है। कार्यक्रम में गोरयाकोठी के विधायक देवेश कांत सिंह ने बताया कि इंदिरा इस इंडिया इंडिया इस इंदिरा जैसे नारे कि उस मानसिकता को दर्शाता है की किस तरह इंदिरा गांधी ने देश को व्यक्ति पूजा और परिवारवाद की प्रयोगशाला बना दिया था आपातकाल के दौरान एक परिवार को संविधान के ऊपर रखने वाली कांग्रेस आज भी राहुल प्रियंका के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है और सट्टा की चाबी अब भी सिर्फ खानदानी जेब में रखी जाती है।विपक्षी महागठबंधन की बैठकें आज भी कांग्रेस अध्यक्ष के घर होता है और यह बताने के लिए काफी है कि तंत्र आज भी परिवार के चरणों में समर्पित है एक निर्वाचित और किसी भी संवैधानिक पद पर ना रहा व्यक्ति देश की नीतियों पर निर्णय लेने लगा जो आपातकाल में कांग्रेस की अघोषित सत्ता का असली केंद्र बन चुका था।

 

मिसा जैसे काले कानून के जरिए एक लाख से अधिक नागरिकों को बिना किसी मुकदमे में जेल में भेज दिया गया था जिस में श्री जयप्रकाश नारायण,श्री अटल बिहारी वाजपेई, श्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह सहित तमाम वरिष्ठ विपक्षी नेता पत्रकार छात्र को जेल में सरने के लिए मजबूर कर दिया गया था। कार्यक्रम में दरौंदा के विधायक कर्णजीत सिंह उर्फ़ ब्यास सिंह ने बताया कि संविधान में संशोधन कर धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी जैसे शब्द जोड़े गए। इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी की परंपरा को तोड़ते हुए सभी निर्णय एक व्यक्ति के इसारे पर लेना शुरू कर दिया था लोकतंत्र का ऐसा पतन हुआ की जेल में बंद लोगों को अपने परिजनों की अंतिम क्रिया में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाती थी और इन लोगों में वर्तमान रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह तक शामिल थे उन्होंने खुद खुलासा किया कि उन्हें अपनी माता जी के अंत्येष्टि में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी।

 

कार्यक्रम में पूर्वी भाजपा के जिला अध्यक्ष रंजीत प्रसाद ने बताया कि आपातकाल के दौरान विरोधियों को जेल में मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी जाती थी किसी को दवा नहीं दी जाती थी गर्मी के दिनों में बिना पंख के रखा जाता था।महिला कैदियों के साथ और अमानवीय व्यवहार हुआ करता था आरएसएस, जनसंघ,एबीवीपी और कई अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगाकर यह सिद्ध कर दिया कि किसी भी विरोधी स्वर को कांग्रेस की सरकार बर्दाश्त नहीं कर सकती है कार्यक्रम मे मंच का संचालन देवेंद्र गुप्ता ने किया कार्यक्रम में भाजपा के प्रभारी लालबाबू कुशवाहा,पूर्व जिला अध्यक्ष संजय पाण्डेय नगर परिषद के उपसभापति किरण गुप्ता जिला महामंत्री हरेंद्र कुशवाहा, अवधेश पाण्डेय, प्रमोद तिवारी, कालीचरण प्रजापति,राजेश श्रीवास्तव भाजपा मीडिया प्रभारी आदित्य कुमार पाठक जिला पार्षद देवी देवी राम पुकार चौहान विजय चौधरी मुकेश सिंह कुशवाहा अर्जुन गुप्ता इत्यादि लोग रहे।

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