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जमशेदपुर के तीहरे हत्‍याकांड से जरायम के दुनिया में मो0 शहाबुद्दीन का हो गया दबदबा - श्रीनारद मीडिया

जमशेदपुर के तीहरे हत्‍याकांड से जरायम के दुनिया में मो0 शहाबुद्दीन का हो गया दबदबा

जमशेदपुर के तीहरे हत्‍याकांड से जरायम के दुनिया में मो0 शहाबुद्दीन का हो

गया दबदबा

 श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

बिहार प्रदेश के सीवान लोकसभा क्षेत्र के राजद के पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की देश की राजधानी दिल्ली में  कोरोना से मौत हो गइ। दिल्ली के तिहाड जेल में सजा काट रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन को कोरोना संक्रमित होने के बाद दिल्ली के ही एक अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। बताया गया कि कोरोना ने शहाबुद्दीन की जिंदगी छीन ली।

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20 अप्रैल को जेल ही स्थिति बिगडने पर जांच हुइ तो पता चला कि मोहम्मद शहाबुद्दीन कोरोना पाॅजिटिव हैं। इसके बाद उन्हें दिल्ली के डीडीयू अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उनकी देखरेख के लिए पुत्र ओसामा मौजूद हैं। पत्नी हीना शहाब भी दिल्ली में ही हैं। इंटरनेट मीडिया की खबरों में बताया गया कि शहाबुद्दीन को बचाने की कोशिश नाकाम रही। शुक्रवार की देर रात्रि तीन बजकर चालीस मिनट पर उन्हाेंने अंतिम सांस ली। हालांकि अंत में मौत की  तिहाड जेल प्रशासन ने भी पुष्‍टी कर दी है।

तत्‍कालिन डीजीपी डीपी ओझा से शहाबुदीन को पंगा लेना  पड़ा था महंगा  

अपराध के बल   पर गरीबों के तथाकथित मसीहा लालू यादव के राज के राजनीति की दुनिया की बडी हस्ती बने शहाबुद्दीन ने अपराध का ककहरा जमशेदपुर में सीखा था। 1989 तक उसकी सक्रियता यहां बिहार के साथ-साथ बनी रही। लालू राज के अभ्युदय के साथ वह बिहार में ही जम गया। राजनीति का लबादा धारण कर शहाबुद्दीन ने लंबे अर्से तक बिहार की सत्ता राजनीति के केंद्र में खुद को जमाए रखा। राबडी राज में तत्कालीन डीजीपी डीपी आेझा से सीधा पंगा लेना इस शख्स को भारी पडा। भारी दबाव के बीच शहाबुद्दीन को सरेंडर करना पडा। संयोग से लालू-राबडी राज के अवसान के बाद एक के बाद एक मुकदमों में सजा सुनाइ गइ एवं जेल से निकलना दुश्वार हो गया। आखिरकार जेल में ही शहाबुद्दीन जिंदगी खत्‍म हो गई।

 

मो0 शहाबुदीन का जमशेदपुर के तिहरे हत्याकांड में आया था नाम

 

मोहम्मद शहाबुद्दीन का जन्म बिहार के सीवान जिले के प्रतापपुर में 10 मइ 1967 को हुआ था। साधारण परिवार से आनेवाले शहाबुद्दीन ने राजनीति विज्ञान में एमए किया। उन्होंने बिहार विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के निर्देशन में पीएचडी की उपाधि हासिल की। काॅलेज जीवन से अपराध की दुनिया में कदम रखनेवाले शहाबुद्दीन का नाम जमशेदपुर के तिहरे हत्याकांड में आया था। दो फरवरी 1989 को युवा कांग्रेस के नेता प्रदीप मिश्रा, रेलवे ठेकेदार आनंद राव एवं जनार्दन चौबे की हत्या कर दी गइ थी। इस मामले में 28 साल चली सुनवाइ के बाद शहाबुद्दीन बरी हो गया।

जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर की हत्या में आया था नाम

31 मार्च 1997 को सीवान में दिनदहाडे जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष की गोली मारकर हत्या कर दी गइ थी। बिहार बंद के प्रचार-प्रसार के लिए निकले चंद्रशेखर को जयप्रकाश चौक पर शहाबुद्दीन के गुर्गों ने गोली मारी थी। बताया गया था कि सीवान में शहाबुद्दीन की बादशाह तो चुनौती देने की कीमत चंद्रशेखर को जान देकर चुकानी पडी। देश स्तर पर सुर्खियां बनने के बाद दबाव में तत्कालीन लालू प्रसाद की सरकार ने 31 जुलाई 1997 मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया था। सीबीआई की अदालत ने मामले में चार अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

मो. शहाबुद्दीन का जमशेदपुर से रहा है गहरा जुड़ाव

बिहार के सिवान के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन का जमशेदपुर से गहरा जुड़ाव रहा है। इनके गांव के कई रिश्तेदार शहर में रहते हैं। संयुक्त बिहार के समय मो. शहाबुद्दीन का शहर में आना-जाना लगा रहता था। मो. शहाबुद्दीन के खिलाफ जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय में शहर के युवा कांग्रेस के नेता प्रदीप मिश्रा, रेलवे ठेकेदार आनंद राव और उसके साथी जर्नादन चौबे की हत्या का मामला 28 साल तक चला। 17 अप्रैल 2017 को जमशेदपुर न्यायालय ने साक्ष्य अभाव में बरी कर दिया था। उस समय मो. शहाबुद्दीन दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद थे। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिले के तत्कालीन अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजीत कुमार सिंह की अदालत में पेशी हुई थी। 28 साल तक चली इस तिहरा हत्याकांड की सुनवाई के दौरान 12 जज और 20 सरकारी वकील बदले जा चुके थे। लेकिन इतने लंबे समय के बाद इस केस में सबूतों के अभाव में मो. शहाबुद्दीन को बरी कर दिया गया था। इस मामले में कुल नौ लोगों की गवाही हुई थी। वर्ष 2005 में इस मामले के अन्य आरोपी बिहार के वैशाली से सांसद रहे रामा सिंह के अलावा पारस सिंह, कल्लू सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था।

  जुगसलाई में युवा कांग्रेस के नेता समेत तीन की हुई थी हत्या

जमशेदपुर के जुगसलाई थाना क्षेत्र पावर हाउस के सामने युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रहे प्रदीप मिश्रा, रेलवे ठेकेदार आनंद राव और जर्नादन चौबे की दो फरवरी 1989 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रदीप मिश्रा के अंगरक्षक ब्रम्हेश्वर पाठक की शिकायत पर जुगसलाई थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसमें रामा सिंह, पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के अलावा कल्लू सिंह, पारस सिंह समेत चार अन्य को आरोपी बनाया गया था। प्रदीप मिश्रा जुगसलाई एमई स्कूल रोड, जर्नादन राव परसुडीह के लोको कालोनी और जर्नादन चौबे जुगसलाई सात मंदिर के रहने वाले थे। प्रदीप मिश्रा बिहार के मुख्यमंत्री रहे बिंदेश्वरी दुबे के करीबी माने जाते थे।

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