इंदिरा गांधी से रेहान वाड्रा तक,ऐसा रहा शादियों का इतिहास
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राजस्थान के रणथम्भौर में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और कारोबारी राबर्ट वाड्रा के बेटे रेहान वाड्रा की सगाई होने जा रही है। रेहान ने अवीवा बेग को प्रपोज किया था। अवीवा के पिता इमरान बेग बिजनेसमैन और मां नंदिता बेग इंटीरियर डिजाइनर हैं। बेग का परिवार गांधी परिवार का काफी करीबी है।
इंदिरा और फिरोज की मोहब्बत
रेहान के नाना की मां और देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी फिरोज गांधी से प्रेम विवाह किया था। हालांकि शुरू में इंदिरा गांधी के पिता जवाहर लाल नेहरू इस शादी को लेकर बहुत खुश नहीं थे।यहां तक कि जब इंदिरा ने फिरोज से शादी की इच्छा जब अपने बुआ के सामने रखी थी तो उन्होंने उन्हें कुछ और लड़कों से मिल लेने की सलाह दे दी थी।
राजीव और सोनिया की शादी
रेहान के नाना राजीव गांधी ने भी प्रेम विवाह किया था। राजीव गांधी 1965 में इंजीनियरिंग का एक कोर्स करने कैंब्रिज गए हुए थे। सोनिया से उनकी मुलाकात वहीं हुई थी। सोनिया से उनसे पहली नजर का प्यार हो गया था। हालांकि शुरूआत में सोनिया को यह नहीं बताया था कि वो किस परिवार से आते हैं। इंदिरा की मां भी फिरोज को नापसंद करती थीं।
प्रियंका और रॉबर्ट की शादी
रेहान की मां प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी प्रेम विवाह किया था। रॉबर्ट वाड्रा से उनकी मुलाकात 1991 में दिल्ली में एक कॉमन दोस्त के घर पर हुई थी। इसके करीब छह साल बाद प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा ने 18 फरवरी, 1997 को शादी कर ली थी।
गांधी परिवार की प्रेम कहानियों का इतिहास
गांधी परिवार की प्रेम कहानियों का इतिहास बहुत ही रोमांटिक है। इंदिरा और फिरोज, राजीव और सोनिया, प्रियंका और रॉबर्ट की शादी ने गांधी परिवार को एक नए रूप में पेश किया। रेहान और अवीवा की सगाई भी इसी परंपरा को आगे बढ़ा रही है।
– 19 नवंबर 1917 को यूपी के इलाहाबाद में उनका जन्म हुआ था। उनके घर का नाम ‘इंदू’ था और वे अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं।
– इंदिरा का नाम उनके दादा पंडित मोतीलाल नेहरू ने रखा था। इसका मतलब होता है कांति, लक्ष्मी और शोभा।
– फिरोज के पिता का नाम जहांगीर और मां का नाम रतिबाई था। फिरोज के पिता जहांगीर मरीन इंजीनियर की पढ़ाई के बाद मुंबई शिफ्ट हो गए थे। और इस तरह फिरोज का जन्म मुंबई में हुआ।
– इसी दौरान उनकी और इंदिरा गांधी के बीच नजदीकियां बढ़ीं। फिरोज जब इलाहाबाद में रहने लगे, तब भी वे अक्सर आनंद भवन जाया करते थे।
– दोनों के अलग-अलग धर्मो के होने की वजह से भारतीय राजनीति में खलबली मचने का डर जवाहरलाल नेहरू को भी सताने लगा था।


