अंतरिक्ष से विमान तक और ट्रेन से टेलीकॉम तक, इसमें कैसे आत्मनिर्भर होगा भारत?

अंतरिक्ष से विमान तक और ट्रेन से टेलीकॉम तक, इसमें कैसे आत्मनिर्भर होगा भारत?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आत्मनिर्भर भारत के नारे के परिणाम अब जमीन पर दिखने लगे हैं। स्वदेशी ट्रेन, स्वदेशी विमान से लेकर अंतरिक्ष यान तक का निर्माण देश में तेजी से हो रहा है। आत्मनिर्भर अभियान की सफलता कोरोना महामारी के दौरान भी देखी गई। जब कोरोना से लड़ने के लिए मास्क और पीपीई किट जैसा सामान जो पहले विदेशों से आयात किया जाता था कुछ ही दिनों में देश में बनने लगा। जल्द ही इनका निर्यात भी शुरू हो गया।

केंद्र सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जिनसे आने वाले दिनों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के कल्याण के लिए कुल 16-घोषणाएं की गई हैं। आइये जानते हैं कि कैसे अलग-अलग सेक्टर में देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और अगले पांच साल में क्या होने वाला है।

लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष बलदेव भाई प्रजापति बताते हैं कि आजादी के बाद दीन दयाल उपाध्याय ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया था। लेकिन काफी समय तक इस दिखा में बड़ा काम नहीं हुआ। वर्तमान सरकार ने एक बार फिर आत्मनिर्भर भारत अभियान पर जोर देना शुरू किया है। आज लघु उद्योग भारतीय ने उत्पाद समूह बना कर 28 ऐसे उत्पाद को फिर से शुरू करने का काम किया जो भारत में आयात किए जाते थे।

आज देश मेडिकल उपकरण, मास्क, पीपीई किट सहित कई ऐसे उत्पाद बना कर निर्यात कर रहा है, जो पहले देश में आयात किया जाता था। उद्योगों ने आत्मनिर्भर भारत भारत अभियान को और तेज करने का निश्चय किया है। आत्म निर्भर अभियान के चलते देश के आयात में कमी आई है और निर्यात बढ़ा है।

1. रेलवे-देश में दौड़ेंगी स्वदेशी सेमी हाई स्पीड ट्रेनें

पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले से 2023 तक 75 नई वंदे भारत एक्सप्रेस शुरू करने करने का ऐलान किया है। रेलवे वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रत्येक महीने में अपनी पूरी क्षमता के साथ ट्रेनों का प्रोडक्शन शुरू कर देगा। इसके लिए रेलवे ने टेंडर भी जारी कर दिया है। इससे निर्धारित समय सीमा में 75 वंदे भारत एक्सप्रेस देश के सभी प्रमुख शहरों से शुरू हो सकेंगी। फिलहाल देश में दो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जा रही है। गौरतलब है कि वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन भारत में रेलवे की फैक्ट्रियों में ही बनाई जाएंगी। ये आत्म निर्भर भारत अभियान की बड़ी सफलता है।

आईसीएफ के पूर्व जीएम सुधांशु मणि बताते हैं कि ट्रेन 18 या वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन आत्मनिर्भर भारत की स्पिरिट को रीप्रेजेन्ट करती हैं। सरकार ने फैसला किया है कि 102 ट्रेनें और बनेंगी। ये भी देखना होगा कि इस ट्रेन में सुधार के नाम पर सिर्फ ऐसे बदलाव ही किए जाएं जो यात्री अनुभव कर सकें। साथ ही इसे एक विश्व स्तरीय ट्रेन बनाने के लिए हर कदम उठाया जाए।

वहीं भारतीय रेलवे अपने रेलवे स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए प्रयास कर रहा है। हाल ही में गांधी नगर रेलवे स्टेशन को इस तरह विकसित किया गया है। उम्मीद है कि अगले तीन सालों में इस तरह के 15 से 20 इस तरह के स्टेशन विकसित हो कर सामने आएंगे। वहीं रेलवे जो प्राइवेट ट्रेनें चलाने का प्रयास कर रहा है उसे जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। इससे यात्रियों को प्रीमियम सेगमेंट की सुविधा मिल सकेगी।

2, रक्षा क्षेत्र में तेजस एक बड़ी सफलता

भारतीय वायुसेना को तेजस लड़ाकू विमानों से लैस करने के लिए सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Ltd, HAL) के साथ बड़ा करार किया है। सरकार ने 83 तेजस हल्के लड़ाकू विमान खरीदने के लिए एचएएल को 48 हजार करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया है। ये रक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ा ‘मेक इन इंडिया’ ऑर्डर है। भारतीय वायुसेना को तेजस एलसीए की आपूर्ति मार्च 2024 से शुरू हो जाएगी। कुल 83 विमानों की आपूर्ति पूरी होने तक सालाना करीब 16 विमानों की आपूर्ति की जाएगी। भारत के अलावा दुनिया के कई दूसरे मुल्कों ने भी तेजस विमान खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।

3. अंतरिक्ष के क्षेत्र में हुए आत्मनिर्भर

इसरो ने चंद्रयान 2 और एक साथ कई उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित कर अपनी क्षमताओं को पूरी दुनिया को दिखा दिया है। इसरो कई बड़ी योजनाओं पर काम कर रहा है जो अगले कुछ सालों में भारत के स्पेस प्रोग्राम को और ऊंचाइयों पर पहुंचा देगी।

इसरो प्रमुख के. सिवन के मुताबिक चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग अगले साल 2022 में होगी। चंद्रयान-3 में अपने पूर्ववर्ती यानों की तरह ‘ऑर्बिटर’ नहीं होगा। वहीं इसरो अपने मानव अंतरिक्ष यान गगनयान मिशन के तहत तीन अंतरिक्ष मिशनों को अंतरिक्ष की कक्षा में भेजेगा। गगनयान मिशन के तहत तीन भारतीय को 2022 तक अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। वहीं भारत की इसरो और फ्रांस की स्पेस एजेंसी सीएनईएस मिल कर 2025 तक शुक्र मिशन पर काम कर रहे हैं।

ऑप्टिकल एस्ट्रोनार्मर शशि भूषण पांडेय कहते हैं कि इसरो की मदद से देश ने रिमोट सेंसिंग और कम्युनिकेशन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। भारत ने रिमोट सेंसिंग, कम्यूनिकेशन और कई स्ट्रैटिजिक सेक्टर्स में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है। भारत में और नई प्रयोगशालाओं को स्थापित करने का काम भी किया जा रहा है। आने वाले दिनों में भारत अंतरिक्ष में एक बड़े खिलाड़ी के रूप में सामने आएगा।

4. टेलिकॉम सेक्टर में मेड इन इंडिया को बढ़ावा

टेलिकॉम सेक्टर में भारत ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। भारत सरकार ने कोर ट्रांसमिशन उपकरण, 4G / 5G नेक्स्ट जेनरेशन रेडियो एक्सेस नेटवर्क और वायरलेस उपकरण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) एक्सेस डिवाइस, वायरलेस उपकरण और स्विच, राउटर आदि जैसे एंटरप्राइज़ उपकरण बनाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। दूरसंचार उपकरणों के भारी-भरकम आयात को कम करने की कोशिश की जा रही है। घरेलू बाजारों और निर्यात, दोनों, के लिए “मेड इन इंडिया” उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

5. कृषि में हुए आत्मनिर्भर

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (कृषि विस्तार) डॉ. अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि जब देश आजाद हुआ तो खाद्यान्न उत्पादन 50 मिलियन टन था जो आज बढ़कर 308 मिलियन टन हो गया है। हम खाद्यान्न में आत्मनिर्भर है। हम दूध, मछली और बागवानी में भी आत्मनिर्भर हैं। केवल एक क्षेत्र तिलहन का है जिसमें थोड़ी कमी है लेकिन सरकार इसे सुधारने के लिए काम कर रही है।

डॉ. अशोक कुमार सिंह कहते हैं कि अगले पांच सालों में हमें भंडारण और प्रसंस्करण पर काम करना होगा ताकि सब्जी-फल और अन्य फसलों की बर्बादी कम हो। हमें फसलों की विविधता बढ़ानी होगी, जिससे लोग लाभ वाली फसलें उगाएं। वहीं बागवानी को आगे बढ़ाना होगा। जलवायु परिवर्तन के हिसाब से खेती में बदलाव लाएं। इस पर हम काम कर रहे हैं। देश में कई स्टार्टअप ने कृषि सेक्टर में काम करना शुरू किया है।

वे कृषि को इनोवेशन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी तकनीक से जोड़ रहे हैं। एक विश्लेषण के अनुसार, 2025 तक, एग्रीटेक का बाजार 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। वर्तमान में, केवल एक प्रतिशत (204 मिलियन अमेरिकी डॉलर) है।

6. प्रोडक्शन लिंक स्कीम से बढ़ेगा उत्पादन

भारत सरकार ने देश में उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रोडक्शन लिंक स्कीम को शुरू किया है। इसके तहत उद्योग जितना अधिक उत्पादन करेंगे उसी हिसाब से उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस योजना को शानदार प्रतिक्रिया मिली थी। दुनिया के सभी प्रमुख मोबाइल इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनियां भारत में निवेश करते हुए यहां प्रोडक्शन बढ़ाने के साथ ही यहां से निर्यात भी कर रही हैं। ये कंपनियां हजारों भारतीयों को रोजगार भी दे रही हैं। इस स्कीम का फायदा उठाते हुए अगले पांच सालों में तेजी से नए उद्योग लगाने और छोटे उद्योगों के बड़ा होने की संभावना है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के पांच स्तम्भ

(1) अर्थव्यवस्था – एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें छोटे-छोटे परिवर्तन नहीं, बल्कि ऊंची छलांग देखी जाएगी।

(2) बुनियादी ढांचा – सरकार का उद्देश्य एक ऐसा बुनियादी ढांचा तैयार करने का है जो जो आधुनिक भारत की पहचान बने। इससे विदेशी कंपनियां भारत में निवेश के लिए आकर्षित होंगी।

(3) टेक्नॉलॉजी– देश मे एक ऐसा सिस्टम बनाए जाने की तैयारी है जिसमें आधुनिक तकनीक को अपनाने और समाज में डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ाना शामिल है।

(4) जनसंख्या– भारत की बड़ी आबादी हमारी बड़ी ताकत बन सकती है। इसके जरिए उद्योगों को आसानी से बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए श्रमिक मिल सकेंगे।

(5) मांग – भारत के पास बड़ा घरेलू बाजार और मांग है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।

दो चरणों में लागू होगा अभियान

‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत देश में प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए वैश्वीकरण कंपनियों का बहिष्कार नहीं किया जाएगा बल्कि दुनिया के विकास में मदद की जाएगी। मिशन को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। द्वितीय चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने आर्मी, एयरफोर्स और नेवी की सलाह के बाद 101 डिफेंस प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने निगेटिव लिस्ट भी जारी कर दी है, जिसमें बंदूक से लेकर मिसाइल तक कई प्रोडक्ट्स शामिल हैं। आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने और इम्पोर्ट का बोझ कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है। आइये, जानते हैं कि यह फैसला किस तरह भारतीय क्षमताओं को बढ़ाएगा और दूसरे देशों पर निर्भरता कम करेगा।

हाल में हासिल हुईं बड़ी उपलब्धियां

1. भारत आज पीपीई किट का विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है।

2. सीएसआईआर-एनएएल ने 35 दिनों के भीतर बाइपैप वेंटिलेटर का विकास किया।

3. वस्त्र समिति (मुम्बई) ने स्वदेशी डिजाइन और ‘मेक इन इण्डिया’ वाला पीपीई जाँच उपकरण बनाया।

5. बिजली क्षेत्र में ट्रांसमिशन लाइन टॉवर से लेकर, ट्रांसफार्मर और इन्सुलेटर तक देश में ही बनाने पर जोर। सभी सेवाओं में सरकारी खरीद व अन्य के लिए ‘मेक इन इण्डिया’ नीति में संशोधन किया गया है।

दो बड़े कदम

1. प्रधानमंत्री स्वनिधी योजना

भारत में कोरोना महामारी से लॉकडाउन के कारण नाई की दुकान, मोची, पान की दुकानें व कपड़े धोने की दुकानें, रेहड़ी-पटरी वालों की आजीविका पर सबसे ज्यादा असर पड़ा। इस समस्या को ख़त्म करने के लिए प्रधानमंत्री के द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक नई योजना की घोषणा की है जिसका नाम है पीएम स्वनिधि योजना। इस योजना के अंतर्गत रेहड़ी पटरी वालों को सरकार द्वारा 10,000 रुपये का ऋण मुहैया कराया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत दी जा रही अल्पकालिक सहायता 10,000 रुपये छोटे रेहड़ी पटरी विक्रेताओं को अपना काम फिर से शुरू करने में सक्षम बनाएंगे। इस योजना के जरिये भी आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति मिलेगी।

2. राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा परियोजना

देशवासियों के जीवन को, देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना के प्रभाव से जल्दी से जल्दी बाहर निकालना आज हमारी प्राथमिकता है। इसमें अहम भूमिका रहेगी नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइप लाइन प्रोजेक्ट की। इस पर 110 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च किये जाएंगे। इसके लिए अलग-अलग सेक्टर में लगभग सात हजार प्रोजेक्ट की पहचान कर ली गई है। इससे देश के इंफ्रा विकास को एक नई दिशा भी मिलेगी, एक नई गति भी मिलेगी।

 

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