प्रौद्योगिकी से संवार रहे हिंदी का सौभाग्य!

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माइक्रोसॉफ्ट के वरिष्ठ तकनीकिविद् श्री बालेंदु शर्मा दाधीच सर को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं-गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 

जरा याद कीजिए, आज से तकरीबन तीन दशक पहले का दौर, जब सूचना प्रौद्योगिकी की क्रांति के आहट के साथ ही हिंदी के भविष्य को लेकर प्रश्न चिन्ह लगने शुरू हो गए थे। लेकिन समय के साथ हिंदी ने तकनीक के साथ ऐसा सुर ताल कायम किया कि चार जी के दौर में हिंदी खिलखिला उठी और पांच जी के दौर में हिंदी के और प्रखर स्वरूप में उद्घाटित होने की उम्मीदें लगाई जा रही हैं। हिंदी के तकनीक के साथ समन्वय स्थापित करने में भारत के एक व्यक्तित्व की विशेष भूमिका रही है।जिन्होंने हिंदी को तकनीकी कलेवर से सुसज्जित करने के लिए अथक प्रयास किए।

जिन्होंने हिंदी भाषा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मंथन पर सक्रिय भूमिका निभाकर नीति निर्माण में भी सहयोग दिया। जिन्होंने अखबारों में निरंतर आलेखों, वेबीनारों, सम्मेलनों से हिंदी के तकनीकी आयाम पर अपने विचारों को जन जन तक प्रेषित करने में अद्वितीय योगदान दिया। हम बात कर रहे हैं हिंदी के यशस्वी सुपुत्र, माइक्रोसॉफ्ट के वरिष्ठ तकनीकीविद श्री बालेंदु शर्मा दाधीच सर की। आज उनके जन्मदिन पर उनको कोटि कोटि बधाई और अनेकानेक स्वस्तिक कामनाएं।

हिंदी में नवाचारों को देते रहते प्रोत्साहन

श्री बालेंदु शर्मा दाधीच सर सदैव हिंदी को तकनीकी तौर पर सुसज्जित करने के लिए नवाचारों के समर्पित प्रयास को प्रोत्साहित करते दिखते हैं। हर व्याख्यानमाला में साहित्य साधकों और युवाओं को भविष्य की शोधपरक मार्गदर्शन देते हुए वे इस बात पर बल देते हैं कि यथास्थितिवाद ही हिंदी के सेहत के लिए अच्छी बात नहीं है। कुछ नया, कुछ नवीन ही हिंदी के तकनीकी कलेवर को श्रृंगारित करेगा।

भारतीय भाषाओं का तकनीक सुसज्जित कलेवर दे रहा उज्जवल भविष्य का संकेत

श्री दाधीच सर हिंदी के तकनीकी स्वरूप के प्रति विशेष योगदान तो दे ही रहे हैं। अन्य भारतीय भाषाओं के तकनीकी सक्षमता के लिए भी भरपूर प्रयास कर रहे हैं। मां भारती के सपूत श्री दाधीच के प्रयासों से भारतीय भाषाएं तकनीकी सौष्ठव से सुसज्जित होती जा रही हैं, जो भविष्य के लिए एक शानदार संकेत है। समय समय पर उनको मिलने वाले राष्ट्र भाषा गौरव जैसे पुरस्कार उनके प्रयासों की सार्थकता की तस्दीक करते दिख जाते हैं।

तकनीक के प्रति विशेष आग्रही स्वभाव

श्री दाधीच, जहां भारतीय सॉफ्टवेयर की वैश्विक धूम से अभिभूत दिखते हैं। वहीं स्मार्ट गांव के लिए लाई फाई को कुंजी बताते हैं। वे साइबर ठगी के बारे में भी जनमानस को सचेत करने के प्रयास में भी रत रहते हैं। वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सार्थकता पर भी अपने विचारों को तार्किक अंदाज में प्रस्तुत कर तकनीक के प्रति अपने विशेष आग्रही स्वभाव को प्रकट कर देते हैं।

हर सुझाव और विचार का स्वागत
उनकी मृदुलता का ही परिचायक

तकनीकी तौर पर विशेष योग्यता से युक्त रहने के बावजूद श्री दाधीच सर हर सुझाव और विचार का सम्मान करते दिखते हैं। अपने निजी वेबसाइट के स्वरूप की बात हो या पुस्तक के कवर की बात, उनका फेसबुक पोस्ट के माध्यम से सुझाव मांगना, उनके व्यक्तित्व की स्वाभाविकता और निर्मलता को ही उजागर कर जाता है। उनकी सुमधुर मुस्कान उनके व्यक्तित्व की सहजता और सरलता की परिचायक हैं ही।

आज उनके जन्मदिन पर मैं यहीं कामना करता हूं कि श्री दाधीच सर को परम् पिता परमेश्वर असीम ऊर्जा से अभिसिंचित करते रहें ताकि तकनीकी उन्नति के दौर में हिंदी अपनी विशेष प्रतिष्ठा को कायम रख सकें तथा श्री दाधीच सर की कर्मठता अनंतकाल तक बरकरार रह सके।

एक बार फिर जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सहित.

 

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