ज़िले के छः प्रखंडों में “खुशहाल बचपन अभियान” का शुभारंभ 

ज़िले के छः प्रखंडों में “खुशहाल बचपन अभियान” का शुभारंभ

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जिला प्रशासन एवं समेकित बाल विकास परियोजना के सहयोग से संचालन:
बच्चों का स्वास्थ्य, पोषण एवं देखभाल के अलावा सामाजिक वातावरण की गुणवत्ता में आंगनबाड़ी सेविकाओं की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण: जिलाधिकारी
खुशहाल बचपन अभियान सरकारी स्तर पर एक सार्थक पहल: डीपीएम

श्रीनारद मीडिया, कटिहार (बिहार):


जिला प्रशासन एवं समेकित बाल विकास परियोजना के सहयोग से पिरामल फाउंडेशन द्वारा आयोजित “खुशहाल बचपन अभियान” का शुभारंभ जिला मुख्यालय स्थित समाहरणालय सभागार में किया गया। इस अभियान की शत प्रतिशत सफ़लता को लेकर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन जिलाधिकारी उदयन मिश्रा, उपसमाहर्ता तारिक़ रज़ा, स्वास्थ्य विभाग की ओर से डॉ किशलय कुमार, आईसीडीएस (पोषण अभियान) के जिला समन्वयक अनमोल कुमार, पिरामल स्वास्थ्य के ज़िला कार्यक्रम प्रबंधक अमित कुमार, कार्यक्रम लीड मनीष कुमार सिंह एवं आज़ाद सोहैल, केयर इंडिया के डीटीएल प्रदीप बोहरा के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस अवसर पर
डीआरडीए के निदेशक अनिकेत कुमार, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी, बचपन बचाओ आंदोलन के डीसी संतोष दास, गांधी फ़ेलो अनिकेत, रूमान एवं अष्ठम सहित जिले की सीडीपीओ एवं महिला पर्यवेक्षिका उपस्थित थी।

बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण एवं देखभाल के अलावा सामाजिक वातावरण की गुणवत्ता में आंगनबाड़ी सेविकाओं की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण: जिलाधिकारी
जिलाधिकारी उदयन मिश्रा ने उपस्थित सभी सीडीपीओ एवं महिला पर्यवेक्षिकाओं से कहा कि बच्चे देश के भविष्य होते हैं। बच्चों के शुरुआती दौर के छः वर्षों को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि इन वर्षों में विकास की दर विकास के किसी भी अन्य चरणों की तुलना में अधिक तीव्र होती है। ऐसा देखा गया है कि अधिकतम छः वर्ष तक के बच्चों के मस्तिष्क का विकास कम से कम 90% तक हो गया रहता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के शिशु और 5 वर्ष से कम आयु के मृत्यु दर में काफ़ी कमी आई है। जबकिं 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे एनीमिक हैं और 5 वर्ष से कम की आबादी का एक तिहाई आबादी नाटा एवं कम वजन का होता है। इन प्रारंभिक वर्षों में आपके बच्चों का स्वास्थ्य, पोषण, देखभाल की गुणवत्ता के साथ ही सामाजिक वातावरण की गुणवत्ता में आंगनबाड़ी सेवाएं काफ़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

खुशहाल बचपन अभियान सरकारी स्तर पर एक सार्थक पहल: डीपीएम
पिरामल स्वास्थ्य के जिला कार्यक्रम प्रबंधक अमित कुमार ने कहा कि खुशहाल बचपन अभियान समेकित बाल विकास परियोजना एवं पिरामल फाउंडेशन की ओर से एक सांझा सार्थक पहल है, जो प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के सिद्धांतों पर आधारित है। क्योंकि इसमें सुरक्षात्मक, सक्षम एवं स्वच्छ वातावरण में सुरक्षित देखभाल, स्वास्थ्य, पोषण, खेल और प्रारंभिक शिक्षा के तत्वों को गुणात्मक सुधार के लिए शामिल किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों के समग्र विकास के लिए एक मजबूत नींव तैयार करना और उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सक्षम बनाने के लिए एक उत्तरदायी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। कोविड-19 के बाद आंगनबाड़ी केंद्रों में सुधार लाने के उद्देश्य से ज़िले के छः प्रखंडों के 100 आंगनबाड़ी केंद्रों यथा- कुरसेला के 20, बलरामपुर के 10, मनिहारी के 20, बरारी के 20, कोढ़ा के 20 एवं फ़लका के 10 आंगनबाड़ी केंद्रों का चयन किया गया है।

 

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