मां और शिशु की सुरक्षा के लिए गर्भावस्था में एचआईवी और सिफलिस जांच है बेहद जरूरी: सिविल सर्जन

मां और शिशु की सुरक्षा के लिए गर्भावस्था में एचआईवी और सिफलिस जांच है बेहद जरूरी: सिविल सर्जन
• नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है यह निःशुल्क सुविधा
• कोई भी महिला डर या झिझक न रखें

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, सारण (बिहार):

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गर्भवती महिलाओं की सेहत और उनके गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा के लिए समय पर एचआईवी (HIV) और सिफलिस जांच कराना बेहद आवश्यक है। यह अपील सारण के सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने की है। उन्होंने कहा कि ये दोनों संक्रमण शुरुआती अवस्था में बिना लक्षण के भी हो सकते हैं और अगर समय रहते इनका पता नहीं चला तो संक्रमण मां से शिशु में स्थानांतरित होकर गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं या नवजात की मृत्यु तक का कारण बन सकता है।
कोई भी महिला डर या झिझक न रखें:

डॉ. सिन्हा ने कहा, “गर्भवती महिलाओं को एचआईवी और सिफलिस की जांच अवश्य करानी चाहिए ताकि यदि संक्रमण हो तो समय रहते इलाज शुरू हो सके और संतान सुरक्षित रह सके। यह जांच राज्य सरकार द्वारा सभी सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों पर निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है।” उन्होंने कहा कि कोई भी महिला डर या झिझक न रखें, और नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर ये जांच अवश्य करवाएं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के माध्यम से गांव-गांव में इस संबंध में जागरूकता फैलाई जा रही है।
एचआईवी संक्रमण के प्रमुख कारण:

• असुरक्षित यौन संबंध
• संक्रमित सुई या सिरिंज का प्रयोग
• संक्रमित रक्त या रक्त उत्पाद चढ़ाना
• संक्रमित मां से गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान शिशु में संक्रमण का फैलना
विवाह से पहले जांच है जरूरी
सिविल सर्जन ने यह भी कहा कि विवाह से पूर्व युवक और युवती दोनों को एचआईवी की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। यदि दोनों की रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो विवाह सुरक्षित है। लेकिन यदि किसी एक की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो सुरक्षा और भावी संतान की दृष्टि से विवाह नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर किसी युवती की शादी किसी एचआईवी संक्रमित युवक से हो जाती है और उसे इसकी जानकारी न हो, तो वह गर्भधारण के दौरान संक्रमित हो सकती है और उसका शिशु भी जन्म के समय संक्रमित हो सकता है।”

मातृत्व से पहले जिम्मेदारी जरूरी
सिविल सर्जन ने अंत में दोहराया कि एचआईवी और सिफलिस की जांच मातृत्व की जिम्मेदारी का पहला कदम है। इससे न केवल मां का जीवन सुरक्षित रहता है, बल्कि भावी पीढ़ी को भी संक्रमण से बचाया जा सकता है।

 

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