मन- वचन- कर्म की पवित्रता का संदेश देता है होली का त्यौहार: बीके अनामिका दीदी

मन- वचन- कर्म की पवित्रता का संदेश देता है होली का त्यौहार: बीके अनामिका दीदी

छपरा में आध्यात्मिक होली महोत्सव सह पत्रकार अभिनन्दन समारोह का हुआ आयोजन:

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माउंट आबू में प्रतिवर्ष होने वाले मीडिया कार्यशाला में सामूहिक रूप में शामिल होने के लिए किया आह्वान: डॉ विद्या भूषण श्रीवास्तव

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर/ छपरा (बिहार):


प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय संस्थान द्वारा रविवार को छपरा शहर स्थित स्थानीय सेवा केंद्र में आध्यात्मिक होली मिलन सह पत्रकार भाई बहनों का अभिनन्दन समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में ब्रह्माकुमारी संस्थान के भाई बहनों के साथ पत्रकार साथियों ने आध्यात्मिक होली का आनंद उठाया और सभी ने एक दूसरे को आत्म- स्मृति का तिलक लगाया गया। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। जिसमें सारण जिला पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष डॉ विद्याभूषण श्रीवास्तव, सेवा केंद्र संचालिका बीके अनामिका दीदी, किशोर कुमार, राजू जायसवाल, धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी, संजय कुमार, रंजीत भोजपुरिया, रंजीत सिंह, बीके प्रियांशी बहन, बीके आराधना बहन, बीके अर्पणा बहन, बीके निर्मला बहन, बीके सचिन भाई, बीके बंटी भाई और बीके अशोक भाई सहित सभी पत्रकार साथी शामिल हुए। इसके बाद कार्यक्रम के दौरान एक छोटी बच्ची सोना के द्वारा आध्यात्मिक गीतो के माध्यम से सभी को ईश्वरीय संदेश देने के साथ- साथ मनोरंजन भी किया गया।

सेवा केंद्र की प्रभारी बीके अनामिका दीदी ने होली के आध्यात्मिक रहस्य को उजागर करते हुए कहा कि होली पर्व का सच्चा अर्थ इसके नाम में ही समाया हुआ है। हालांकि होली के कई अर्थ हैं। कहा गया है होली अर्थात् पवित्र। यह त्योहार हमें मन- वचन- कर्म की पवित्रता का संदेश देता है। महाशिवरात्रि के कुछ दिनों के बाद ही होली मनाई जाती है, क्योंकि जब परमात्मा शिव का इस धरा पर अवतरण होता है और उस परमपिता से जब हमारा सच्चा परिचय होता है, उनसे संबंध का अनुभव होता है तो परमात्मा द्वारा हमें पवित्र भव:, योगी भव: का वरदान प्राप्त होता है। कहा गया है कि परमात्मा शिव आकर अपने ‘संग का रंग’ यानी ज्ञान-योग का रंग मनुष्य आत्मा को देते हैं। इसी की याद में शिवरात्रि के बाद होली मनाई जाती है। जैसे अंतरात्मा के बिना शरीर बेकार हो जाता है, वैसे ही अध्यात्मिक अर्थ समझे बिना त्योहार मनाना भी बेकार है। वस्तुतः भारत में जो भी त्योहार मनाए जाते हैं, उनमें एक ज्ञान-युक्त क्रम भी है।

अपने अनुभव बताते हुए वरीय पत्रकार डॉ विद्याभूषण श्रीवास्तव ने कहा कि आध्यात्मिक होली वास्तव में परमात्मा अवतरण का उत्सव है जो मनुष्यों के मन से देह अभिमान, अहंकार, विकार और बुराइयों का अज्ञान-अंधकार मिटाने का उत्सव है। आज के वर्तमान परिवेश में व्यस्तम जीवनचर्या के बीच कुछ पल शांति के लिए निकालना बेहद जरूरी है जिससे आम जनमानस में शांति सद्भाव स्थापित हो सके।

 

उन्होंने बताया कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय संस्थान एक आध्यात्मिक संस्थान है जो विश्व के लगभग 137 देशों में संचालित है उन्हीं वैश्विक केंद्रों में एक माउंट आबू जो कि राजस्थान में स्थित है वहां सभी को अपने परिवार के साथ एक बार जाना चाहिए जिससे उन्हें आध्यात्मिक जीवन के साथ साथ शान्तिपूर्ण जीवन जीने की कला को सीखने का मौका मिलेगा। ऐसे भी वर्ष में कई बार लोग अलग अलग जगहों पर भ्रमण के लिए जाते है। उन्होंने सभी साथियों से आह्वान किया माउंट आबू में प्रतिवर्ष होने वाले मीडिया वर्कशॉप में सामूहिक रूप में छपरा के पत्रकार साथियों को चलना चाहिए।

पत्रकार राजू जायसवाल के द्वारा संस्थान द्वारा चलाए जा रहे मेडिटेशन से पत्रकार साथियों को जोड़ने की मांग की गई। जिस पर संचालिका बीके

अनामिका दीदी के द्वारा उपस्थित सभी लोगों के बीच 5 मिनट का मेडिटेशन कार्यक्रम भी कराया गया। साथ ही आने वाले दिनों में सेवा केंद्र के द्वारा पत्रकार भाई और बहनों के लिए सप्ताह में एक दिन निःशुल्क मेडिटेशन सत्र आयोजित करने के लिए आम सहमति बनाई गई।

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