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हिंदू पंचांग में प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है। - श्रीनारद मीडिया

हिंदू पंचांग में प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है।

हिंदू पंचांग में प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

होलिका हिरण्यकश्यप की छोटी बहन और प्रह्लाद की बुआ थी। वह अग्नि की उपासक थी और उसे भगवान शिव से अग्नि में न जलने का वरदान मिला था। किसी भी प्रकार कि आग उसे जला नहीं सकती थी।

होली पर्व की पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा के अनुसार इस पर्व को मनाने की शुरुआत हिरण्यकश्यप के जमाने से होना मानी जाती है। हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। उनकी इस भक्ति से पिता हिरण्यकश्यप नाखुश थे। इसी बात को लेकर उन्होंने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से विरक्त करने के कई प्रयास किए, लेकिन भक्त प्रह्लाद को प्रभु की भक्ति से विरक्त नहीं कर पाए।

हताश होकर अंत में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने कि ही योजना बना डाली। और अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर अग्नि के हवाले कर दिया। हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को जिंदा जलाकर मारने के उद्देश से अपनी गोद में लेकर जलती अग्नि में बैठी तो थी, लेकिन प्रभु भक्ती के प्रताप से होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद आग से सुरक्षित बाहर निकल आए, तभी से होली पर्व को मनाने की प्रथा शुरू हुई।🚩

पूर्वजन्म में होलिका क्या थी…?

पूर्वजन्म में होलिका एक देवी थी जो ऋषि द्वारा दिए गए शाप के कारण राक्षसी के रूप में जन्म लेकर शाप भोग रही थी। अग्नी में दहन होने के कारण जहां वो शाप से मुक्त हो गई वहीं वो शुद्ध भी हो गई। इसी कारण से होलिका को दुराचारी होने के बाद भी होलिका दहन वाले दिन देवी के रूप में पूजा जाता है। 🚩

होलिका दहन पर करने योग्य उपाय…

1. आपको बता दें कि होलिका दहन में सभी घर वालों को यानी सभी सदस्यों को शामिल होना चाहिए और तीन परिक्रमा लेते हुए पीली सरसों, अलसी और गेहूं की बालियां अग्नि में डालनी चाहिए। इससे ग्रह अनुकूल होंगे, घर में शुभता आएगी।

2. होलिका दहन की भस्म का टीका करने से नजर दोष, ग्रह बाधा से मुक्ति मिलती है।

3. अपने इष्ट देवता, कुल देवी-देवता के साथ होली खेलने से घर में सुख-समृद्धि आती है। अत: धुलेंड़ी या होली के अवसर पर सबसे पहले देवी-देवता को रंग अर्पित करें।

होली उत्सव 2024 होलिका दहन का समय शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, होलिका दहन कैसे करते हैं

फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन होली का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 24 मार्च को होलिका दहन होगा और 25 मार्च को रंगोवाली होली मनाई जाएगी। आओ जानते हैं कि होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है और कैसे करते हैं होली की पूजा।

होलिका दहन की पूजा विधि :

01. सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें।
02. अब अपने आस-पास पानी की बूंदें छिड़कें।
03. गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं।
04. थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक कलश पानी रखें।
05. नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें।
06. अब सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं।
07. अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें।
08. इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं।
09. भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांच अनाज चढ़ाएं।
10. अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं।
11. कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें।
12. आखिर में गुलाल डालकर चांदी या तांबे के कलश से जल चढ़ाएं।
13. इसके बाद होलिका दहन होता है।

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