Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
मोदी काल में मुसलमानों को लेकर कैसे बदल गई भाजपा की रणनीति? - श्रीनारद मीडिया

मोदी काल में मुसलमानों को लेकर कैसे बदल गई भाजपा की रणनीति?

मोदी काल में मुसलमानों को लेकर कैसे बदल गई भाजपा की रणनीति?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भाजपा का संकेत साफ है. मुसलमानों में पैठ बनाने के लिए पार्टी दशकों से चली आ रही प्रतीकात्मक राजनीति का सहारा नहीं लेगी. इस वर्ग को उन मुश्किल सीटों पर अपनी प्रासंगिकता साबित करनी होगी, जहां उनके वोट निर्णायक स्थिति में हैं. भाजपा ने प्रभाव वाले राज्यों में मुसलमानों पर दांव लगाने से परहेज बरतने का स्पष्ट संदेश दिया है

400 से अधिक उम्मीदवार घोषित कर चुकी है भाजपा

आम चुनाव के लिए भाजपा अब तक 405 सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा कर चुकी है. केरल की मल्लपुरम सीट एकमात्र ऐसी सीट है, जहां से पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवार अब्दुल सलाम को उतारा है. कभी पार्टी का मुस्लिम चेहरा रहे शाहनवाज हुसैन, मुख्तार अब्बास नकवी जैसे नेताओं को उम्मीदवारों की सूची में जगह नहीं मिली है. वह भी तब, जब देश की 65 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की भागीदारी 30 से 65 फीसदी, तो करीब 35 सीटों पर प्रभावशाली उपस्थिति है.

मुसलमानों के संदर्भ में बदली है भाजपा की रणनीति

दरअसल, बीते एक दशक में पार्टी में मोदी-शाह युग की शुरुआत के बाद मुसलमानों के संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की रणनीति में बड़ा बदलाव आया है. पार्टी अब वोट की कीमत पर ही इस समुदाय को टिकट देना चाहती है. दो साल पूर्व जब हैदराबाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पीएम नरेंद्र मोदी ने पसमांदा मुसलमानों तक पहुंच बनाने का आह्वान किया, तब एकबारगी लगा कि इस बार पार्टी प्रभाव वाले राज्यों में इस वर्ग मौका देगी.

  • 100 सीटों पर मुस्लिमों का व्यापक असर
  • 65 सीटों पर 30 से 65 फीसदी मुस्लिम आबादी
  • 14 सीटें यूपी की तो 13 सीटें पश्चिम बंगाल की
  • 8 केरल, 7 असम, 5 जम्मू-कश्मीर, 4 बिहार, 3 मध्यप्रदेश, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, महाराष्ट्र, तेलंगाना की 2-2 और तमिलनाडु की एक सीट

भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने आयोजित किए कई कार्यक्रम

इस आह्वान के बाद पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने इस वर्ग में पहुंच के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश में भाईचारा, सूफी सम्मेलन सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया था. इस दौरान जब करीब 18 लाख मोदी मित्र बनाये गये, तब उम्मीदवारी में मुसलमानों को मौका मिलने की धारणा को मजबूती मिली थी. साल 1980 में स्थापना के बाद पार्टी ने मुस्लिम वर्ग के कई चेहरों को महत्व देकर इस वर्ग में पैठ बनाने की कोशिश की. इस वर्ग के नेताओं को बार-बार राज्यसभा और सत्ता मिलने पर सरकार में मौका दिया गया. बावजूद इसके पार्टी इन नेताओं के जरिये इस वर्ग में अपनी पैठ मजबूत करने में नाकाम रही.

यहां तक कि साल 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आयी, तब पहली बार पार्टी ने इस समुदाय के दो नेताओं एमजे अकबर और नजमा हेपतुल्ला को मंत्रिमंडल में जगह दी. हालांकि, पार्टी के सात मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीतने में असफल रहे थे. साल 2019 के आम चुनाव में भी पार्टी ने मुस्लिम बिरादरी को छह टिकट दिये. सभी उम्मीदवारों की हार के बाद मुख्तार अब्बास नकवी को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. हालांकि बदली रणनीति का अहसास तब हुआ, जब नकवी को राज्यसभा का नया कार्यकाल नहीं मिलने पर आजाद भारत में पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व शून्य हो गया.

  • भाजपा ने 2019 में 6 और 2014 में 7 मुस्लिमों को टिकट दिया, पर एक भी टिकट यूपी, बिहार या पार्टी के प्रभाव वाले राज्यों में नहीं दिये गये.
  • ज्यादातर पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप से मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, क्योंकि यहां इस समुदाय के वोट निर्णायक हैं.
  • संकेत साफ है, भाजपा में आने के लिए अब इस समुदाय के नेताओं को अपने समुदाय में पैठ साबित करनी होगी.

नयी दिल्ली में सिकंदर बख्त जनता पार्टी के टिकट पर एक बार चांदनी चौक से लोकसभा का चुनाव जीते. भाजपा की स्थापना के बाद इन्हें कई बार राज्यसभा भेजा गया. बख्त राज्यसभा में पार्टी के नेता भी रहे थे. उन्हीं की तरह आरिफ बेग 1977 और 1989 में लोकसभा चुनाव जीते. कई बार राज्यसभा सदस्य और मंत्री रहे मुख्तार अब्बास नकवी बस एक बार लोकसभा चुनाव जीते. सैयद शाहनवाज हुसैन इकलौते मुस्लिम चेहरा हैं, जिन्होंने तीन बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है. भाजपा के सत्ता में आने पर बख्त, शाहनवाज और नकवी कई बार मंत्री भी बने. इसके अतिरिक्त एमजे अकबर और नजमा हेपतुल्ला भी मंत्रिमंडल में रह चुके हैं. बख्त और नकवी ने संगठन में भी उच्च पद संभाला.

Leave a Reply

error: Content is protected !!