स्टिंग ऑपरेशन से कैसे बंगाल की सियासत में लाया भूचाल?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पश्चिम बंगाल में साल 2016 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो चुकी थी. इसको लेकर सारी राजनीतिक पार्टियों की सत्ता पाने की कोशिशों के बीच नारदा स्टिंग ऑपरेशन पब्लिक डोमेन में आया था. इसके बाद कोलकाता से लेकर दिल्ली तक सियासी भूचाल आ गया. इस स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम देने वाले शख्स का नाम मैथ्यू सैमुअल था. स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए मैथ्यु सैमुअल ने नारदा न्यूज पोर्टल बनाया था. यह मामला कोलकाता हाईकोर्ट भी पहुंचा था, जहां से साल 2017 में सीबीआई जांच का आदेश दिया गया. अब, इसी मामले में टीएमसी सरकार के मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी की सीबीआई गिरफ्तारी पर हंगामा मचा हुआ है. इस मामले में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी का नाम भी आया था. हालांकि, शुभेंदु अधिकारी तक सीबीआई जांच की आंच नहीं पहुंच सकी है.

कैसे अंजाम दिया गया नारदा स्टिंग ऑपरेशन?

कई इंटरव्यूज में मैथ्यू सैमुअल ने जिक्र किया था कि वो स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए खास तौर पर कोलकाता पहुंचे थे. इसके बाद उन्होंने टीएमसी के मंत्रियों और नेताओं से संपर्क साधे थे. उन्होंने खुद को व्यवसायी बताकर बंगाल में निवेश की बात कही थी. इसी दौरान रुपयों के लेन-देने की पेशकश भी की गई. रुपए लेते हुए टीएमसी के कई मंत्री और नेता मैथ्यू सैमुअल के हिडेन कैम में रिकॉर्ड भी हुए थे. साल 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले ही स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो पब्लिक डोमेन में आ गया था. इसके बाद सियासी हंगामा मच गया.

नारदा स्टिंग ऑपरेशन में इनके खिलाफ केस

नारदा स्टिंग ऑपरेशन का मामला हाईकोर्ट पहुंचा और सीबीआई जांच के आदेश दिए गए. इस मामले से ईडी भी जुड़ी और जांच को आगे बढ़ाया गया. ईडी ने सीबीआई की मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत पर एक दर्जन नेताओं और एक आईपीएस समेत 14 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था. इनमें फिरहाद हकीम, मदन मित्रा, मुकुल रॉय, सुलतान अहमद, सौगत रॉय, इकबाल अहमद, काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी, शुभेंदु अधिकारी, शोभन चटर्जी, सुब्रत मुखर्जी, अपरूपा पोद्दार और आईपीएस अधिकारी सैयद हुसैन मिर्जा शामिल थे. मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. शोभन चटर्जी भी बीजेपी में शामिल हुए थे और बाद में उन्होंने पार्टी को भी छोड़ दी थी. जबकि, सुलतान अहमद का साल 2017 में निधन हो गया था.

ईडी की रडार पर टीएमसी के कई दिग्गज नेता

दिन गुजरते गए और नारदा स्टिंग ऑपरेशन पर हंगामा मचता रहा. इसी बीच 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे निकले और प्रचंड बहुमत के साथ ममता बनर्जी की सरकार बन गई. समय गुजरता गया और मामले पर हंगामा शांत होता गया. अब, साल 2021 का बंगाल चुनाव आ चुका था. इसके पहले नवंबर 2020 में ईडी ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन में पूछताछ के लिए तीन टीएमसी नेताओं को नोटिस भेजे और कुछ कागजात मांगे. इसमें मंत्री फिरहाद हकीम, हावड़ा से एमपी प्रसून बनर्जी और पूर्व मंत्री मदन मित्रा से आय-व्यय का हिसाब मांगा गया था.

शुभेंदु अधिकारी पर मैथ्यू सैमुअल के सवाल

नारदा स्टिंग ऑपरेशन में आरोपी काकोली दस्तीदार भी थीं. सितंबर 2019 में पत्रकारों से बात करते हुए टीएमसी सांसद काकोली दस्तीदार ने कबूल किया था कि उन्होंने मैथ्यू सैमुअल से रुपए लिए थे. उन्होंने रुपए को पार्टी डोनेशन से जोड़ा था और खुद के पास रसीद होने की बात कही थी. दिलचस्प बात यह है नारदा स्टिंग केस में बीजेपी नेता (टीएमस सुप्रीमो ममता बनर्जी के पूर्व सहयोगी) शुभेंदु अधिकारी का नाम भी सामने आया था. वो भी स्टिंग ऑपरेशन में दिखे थे. सोमवार को जब सीबीआई ने ममता बनर्जी के चार करीबियों को पकड़ा था तब मैथ्यू सैमुअल ने भी सवाल किया था कि आखिर शुभेंदु अधिकारी कैसे बच गए हैं? जबकि, बीजेपी में शामिल हो चुके मुकुल रॉय के खिलाफ भी सीबीआई की कार्रवाई नहीं होने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.

पश्चिम बंगाल में नारदा स्टिंग ऑपरेशन को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच टीएमसी सुप्रीमो और सीएम ममता बनर्जी के दो मंत्रियों और एक विधायक समेत चार करीबियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. कोलकाता होईकोर्ट ने चारों टीएमसी नेताओं की जमानत पर रोक लगा दी है. अब सभी को सीबीआई की न्यायिक हिरासत में रहना होगा. इसके पहले सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने सभी को जमानत दे दी थी. बाद में फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

कोलकाता हाईकोर्ट से सभी की जमानत पर रोक

दरअसल, सोमवार को मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी को सीबीआई ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में गिरफ्तार किया था. इसके बाद करीब छह घंटे तक सीएम ममता बनर्जी भी सीबीआई के कोलकाता ऑफिस निजाम पैलेस में डटी रहीं. इस दौरान सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि इस मामले पर कोर्ट फैसला करेगी. सीबीआई कोर्ट ने सभी को जमानत दी तो टीएमसी समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई. बाद में कोलकाता हाईकोर्ट ने सभी की बेल पर रोक लगा दी थी.

कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई

इस मामले पर जारी सियासी घमासान के बीच सीएम ममता बनर्जी ने कोर्ट के फैसले का जिक्र किया था. कोलकाता हाईकोर्ट ने ही नारदा स्टिंग ऑपरेशन में कार्रवाई का आदेश सीबीआई को दिया था. इसके बाद सीबीआई ने कार्रवाई की तो सीएम ममता बनर्जी समेत उनकी पार्टी टीएमसी ने विरोध शुरू कर दिया. टीएमसी समर्थकों ने तो कोलकाता में जबरदस्त हंगामा भी किया था. इसको लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर भी सीधे आरोप लगाए जा रहे हैं.

ममता बनर्जी को अधीर रंजन चौधरी का भी समर्थन

नारदा स्टिंग ऑपरेशन केस में सीबीआई की कार्रवाई पर टीएमसी को कांग्रेस पार्टी ने भी साथ दिया है. पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सीबीआई कार्रवाई का विरोध किया है. उन्होंने फेसबुक पर लिखा है गिरफ्तारी पहले भी हो सकती थी, कुछ दिन बाद भी हो सकती थी, लेकिन क्या इस समय कोरोना महामारी के दौरान यह गिरफ्तारी बहुत जरूरी थी? क्या यह अपमानजनक नहीं है? और भी आरोपी थे, किसी को पकड़ो- किसी को छोड़ दो!!! अधीर रंजन चौधरी ने सीएम ममता बनर्जी को नैतिक समर्थन दिया है. बड़ा सवाल है कि कोर्ट के फैसले का समर्थन करने वाली सीएम ममता बनर्जी अब हाईकोर्ट के फैसले से नाराज क्यों हैं?

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