बेंगलुरु में एक पिता ने अपनी बेटी की मृत्यु प्रमाण पत्र हेतु रिश्वत देने का आरोप लगाया है कैसे?

बेंगलुरु में एक पिता ने अपनी बेटी की मृत्यु प्रमाण पत्र हेतु रिश्वत देने का आरोप लगाया है कैसे?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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बेंगलुरु के एक सेवानिवृत्त भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) अधिकारी की ओर से सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई एक दिल दहला देने वाली पोस्ट ने हजारों लोगों को भावुक कर दिया है। उन्होंने बताया कि कैसे अपनी इकलौती बेटी की मौत के बाद हर जगह पर रिश्वत देनी पड़ी। हालांकि बाद में ये पोस्ट हटा लिया गया

के शिवकुमार नाम के इस व्यक्ति ने खुद को बीपीसीएल का पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) बताया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर एक भावुक नोट लिखा। पोस्ट में उन्होंने अपनी 34 साल की बेटी अक्षया की मौत के बाद आधिकारिक औपचारिकताएं पूरी करने में हुई कठिनाई और भ्रष्टाचार का जिक्र किया है।

रिश्वत की लंबी फेहरिस्त

अक्षया 18 सितंबर 2025 को घर पर ब्रेन हेमरेज से चल बसीं। वो गोल्डमैन सैक्स में 8 साल काम कर चुकी थीं। बीटेक और आईआईएम अहमदाबाद की एमबीए थीं। पिता के. शिवकुमार ने लिखा कि एम्बुलेंस वाले ने कासवनहल्ली से सेंट जॉन्स हॉस्पिटल तक लाने के लिए 3000 रुपये मांगे।

पुलिस ने एफआईआर और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के लिए चार दिन बाद बुलाया और खुले पुलिस स्टेशन में नकद रिश्वत मांगी। शिवकुमार ने कहा कि उन्हें रिश्वत देनी पड़ी क्योंकि ये उनकी मजबूरी थी।

श्मशान और बीबीएमपी में भी लूट

के शिवकुमार से श्मशान में रसीद देने के लिए पैसे भी मांगे गए। बीबीएमपी दफ्तर में डेथ सर्टिफिकेट के लिए पांच दिन चक्कर लगवाया गया। शिवकुमार ने कहा कि उन्हें वजह बताई गई कि ‘जाति सर्वे’ चल रहा है, कोई नहीं है।

हर जगह रिश्वत मांगने वालों का सामना किया- के शिवकुमार
शिवकुमार के अनुसार, बेटी की मौत के बाद भी कोई विभाग संवेदनशील नहीं था. एम्बुलेंस कर्मचारी ने शव अस्पताल ले जाने के लिए तीन हजार रुपये की मांग की. पुलिस अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज करने और पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंपने के लिए नकद रिश्वत मांगी. बीबीएमपी कार्यालय में मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए उन्हें कई दिनों तक चक्कर काटने पड़े.

आखिर अतिरिक्त भुगतान करने पर ही प्रमाण पत्र मिला. उन्होंने कहा कि जिस देश में अपने इकलौते बच्चे की मौत के बाद भी रिश्वत देनी पड़े, वहां आम नागरिक का क्या हाल होगा? मेरे पास पैसे थे इसलिए मैंने दे दिए, लेकिन जो गरीब होगा, वह क्या करेगा?”

आखिर में सीनियर अधिकारी से गुहार लगाई, तब सर्टिफिकेट मिला। इसके लिए भी उन्हें रिश्वत देनी पड़ी। शिवकुमार ने अपनी पोस्ट में सवालिया लहजे में लिखा, “क्या पुलिसवालों के अपने परिवार नहीं? जो इतनी बेरुखी से पैसे मांगते हैं?”पोस्ट वायरल होने के बाद व्हाइटफील्ड पुलिस हरकत में आई। बेल्लांडुर थाने के एक पीएसआई और एक कांस्टेबल को तुरंत सस्पेंड कर दिया।

 

 

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