नव वर्ष में नये संकल्प के साथ आगे बढ़ा जाए,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नया साल आ गया, 2023 का खाता बंद और 2024 का शुरू. अक्सर नया साल शुरू होने से पहले हम बहुत सारी बातें सोचते हैं, नये संकल्पों पर विचार करते हैं, लेकिन साल की समाप्ति पर प्रायः यही नजर आता है कि जो संकल्प लिये गये थे, उनमें से बहुत से पूरे नहीं हो पाये. तो आखिर ऐसा होने की वजह क्या रही होगी! क्या बहुत ज्यादा सोचा गया था और उसमें से बहुत कम ही पूरा हो सका या फिर जो सोचा गया था, मन उसकी तरफ पूरी तरह नहीं लौटा? इसीलिए विशेषज्ञ यही सुझाव देते हैं कि संकल्प वे लें, जो आपकी दिनचर्या में शामिल हों,

जिन्हें याद करने के लिए अलग से कुछ न सोचना पड़े. लक्ष्य भी छोटे हों, क्योंकि छोटे लक्ष्यों के योग से ही बड़े लक्ष्य हासिल किये जा सकते हैं. जैसे कि यदि हम यहां से शुरू करें कि इस साल हम अपनी नींद पूरी लेंगे. आपको पता ही होगा कि पूरी दुनिया नींद की कमी और नींद न आने की बीमारी से ग्रस्त होती जा रही है. अब यदि नींद पूरी करनी है, तो जल्दी सोना होगा. अगले दिन के बहुत से काम भी निपटाने होंगे. जल्दी सो जायेंगे, तो जाहिर है, जल्दी उठेंगे भी और काम करने के लिए भी अधिक समय मिलेगा. फिर नींद पूरी होगी, तो थकान और चिड़चिड़ापन नहीं होगा. स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और कामों में मन लगेगा. आप देखेंगे कि एक नींद ठीक होने से बाकी के और लक्ष्य अपने आप पूरे होते चले जायेंगे.

इसी तरह, मान लीजिए कि इस साल में आप सोचें कि आने वाले दिनों के लिए कम से कम बीस प्रतिशत बचत करनी होगी, क्योंकि भविष्य के लिए बचत करना बहुत जरूरी है. इस योजना को बनाने के लिए महीने के खर्च और महीने की आय का हिसाब लगाना होगा. फिर खर्चे में कौन से खर्चे ऐसे हैं, जिनके बिना भी काम चल सकता है, यह सोचना पड़ेगा. इन्हें ही रोक कर जो पैसा बचेगा, उससे बचत होगी. अब ये फालतू खर्चे हो सकते हैं कि बाहर खाने के हों. जरूरत न होने पर भी ज्यादा चीजें खरीदने के हों.

यदि बाहर खाना बंद करेंगे और घर में पकायेंगे, तो तरह-तरह के भोजन को बनाने की प्रविधि भी सीखेंगे. यही नहीं, घर का खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है, तो स्वास्थ्य पर भी निवेश करेंगे. फालतू चीजें नहीं खरीदेंगे, तो घर में साफ-सफाई अधिक रहेगी. यह पछतावा भी नहीं होगा कि जिन चीजों की जरूरत नहीं थी, वे ले ली गयीं. इसके अलावा, जब बचत बढ़ेगी, तो आत्मविश्वास बढ़ेगा, भविष्य की चिंता भी कम होगी, इससे मानसिक स्वास्थ्य में भी बढ़ोतरी होगी. पिछले दिनों बचत के बारे में एक सर्वेक्षण आया था, जिसमें पचास साल आयु के लोगों ने कहा था कि उन्हें इस बात का सख्त अफसोस है कि उन्होंने सही समय पर बचत नहीं की, भविष्य के बारे में नहीं सोचा और अब उम्र निकल गयी. इन लोगों की बातें सुनकर भविष्य के लिए बचत करना एक अच्छा संकल्प होगा.

इस संकल्प में अगर स्वास्थ्य को भी जोड़ लिया जाए और पहले के दोनों संकल्पों के आधार पर बात की जाए, तो यदि आप जल्दी सोकर जल्दी उठेंगे, तो योग और प्राणायाम करने, व्यायाम करने, घूमने, प्रकृति के नजारे देखने, चिड़ियों के सुर में सुर मिलाने का पर्याप्त अवसर रहेगा. इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ठीक रहेंगे. और, अलग से कुछ खर्च भी नहीं होगा. फिर घर में बना खाना तो खायेंगे ही, जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है. चिंता अच्छे स्वास्थ्य की दुश्मन मानी जाती है. अक्सर हम भविष्य को लेकर चिंतित होते रहते हैं.

इसका मुख्य कारण पास में पैसे का न होना है, लेकिन यदि हमने अपने जीवन की शुरुआत से ही यह नियम बना रखा है कि चाहे जो हो, हम कुल आय में से बीस प्रतिशत बचायेंगे, तो यह बीस प्रतिशत अगले साल बीस प्रतिशत ही तो नहीं रहेगा. इसमें ब्याज शामिल हो जायेगा. सोचिए कि यदि आपने तीस साल नौकरी की, तो साल दर साल बढ़ती हुई यह राशि बढ़ कर कहां पहुंचेगी. इस तरह आप भविष्य में पैसा कहां से आयेगा, खर्चे कैसे चलेंगे, ऐसी चिंताओं से अपने आप मुक्त हो जायेंगे.

इन लक्ष्यों को आप आराम से प्राप्त कर सकें, इसके लिए यह जरूरी होगा कि हम अपने जीवन से नकारात्मकता की विदाई कर दें. हम जीवन के उन पक्षों के बारे में सोचें, जो हमें खुशी देते हैं, जो हमारी उमंगों को बढ़ाते हैं. हम अहंकार से बचें. दूसरों से बेमतलब लड़ाई-झगड़ा मोल न लें, क्योंकि इसमें बहुत ऊर्जा खर्च होती है. मन की शांति भी भंग होती है. उन घटनाओं को हमेशा जीवन में आगे रखें, जिन्होंने हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी,

अच्छे सबक दिये, लोगों से व्यवहार के तरीके सिखाये. जब ज्यादा गुस्सा आये, तो किसी से लड़ने के मुकाबले अच्छा संगीत सुना जा सकता है. पांच-दस मिनट के लिए इधर-उधर घूमा जा सकता है, सीढ़ियां चढ़ी जा सकती हैं. इससे आप पायेंगे कि जिस बात पर इतना गुस्सा रहा था, वह गुस्सा करने लायक बात नहीं थी और न ही लड़ने लायक. इस तरह आपके संकल्प तो पूरे होंगे ही, जीवन में शांति भी बनी रहेगी.

नये वर्ष का पहला दिन केवल कैलेंडर बदलने का दिन नहीं होना चाहिए. पहली जनवरी अपने जीवन, आचरण और दिनचर्या को नये कलेवर में सजाने का संकल्प लेने का दिन भी है. मानवता का इतिहास दर्शाता है कि तमाम आपदाओं, दुर्घटनाओं और विपत्तियों के बावजूद मनुष्य ने आशा का दामन नहीं छोड़ा, आकांक्षाओं और सपनों से उसका नाता बना रहा. इसीलिए तो कहते हैं कि उम्मीद एक जिंदा शब्द है. यह सच है कि देश और दुनिया के सामने समस्याओं और संकटों का अंबार लगा हुआ है, पर यह भी सच है कि उनके समाधान के लिए भी सतत प्रयास हो रहे हैं.

जलवायु परिवर्तन की चुनौती बड़ी है. बढ़ते तापमान के कारण धरती पर जीवन के अस्तित्व को लेकर आशंका बढ़ती जा रही है. इससे प्राकृतिक आपदाओं की संख्या में भी तीव्र वृद्धि हो रही है. समाधान के क्रम में स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन और उपभोग बढ़ाने तथा उत्सर्जन में कमी लाने की कोशिशें हो रही हैं. हम सभी को इन कोशिशों के साथ जुड़ना चाहिए और अपना योगदान करना चाहिए. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के साथ-साथ हमें वित्तीय स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देनी चाहिए.

इस वर्ष भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विस्तार का क्रम जारी रहेगा. इस बढ़ोतरी में हम सबकी अधिकाधिक सहभागिता होनी चाहिए, ताकि हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को पूरा कर सकें. यह भी आवश्यक है कि हम अपने देश और अपनी सांस्कृतिक विविधता को अधिक से अधिक जानें.

सुप्रसिद्ध यायावर राहुल सांकृत्यायन कहा करते थे कि हर व्यक्ति को कम से कम अपने निवास के डेढ़ सौ किलोमीटर की परिधि में यात्रा तो करनी ही चाहिए. कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आह्वान किया है कि हमें देश भ्रमण करना चाहिए. भारत में तीर्थ स्थलों की बड़ी संख्या तो है ही,

हर मौसम के हिसाब से देखने-घूमने लायक पर्यटन के केंद्र भी हैं. इस वर्ष हमारी योजना में यात्राओं के लिए भी जगह होनी चाहिए. सकारात्मक वातावरण में ही समृद्ध राष्ट्र का निर्माण संभव है. इसलिए हमें घर-परिवार और समाज से हिंसा, अपराध और भ्रष्टाचार की मौजूदगी खत्म करने की कोशिश भी करनी चाहिए. बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और वंचितों के लिए सुरक्षित परिवेश बनाना हम सभी का दायित्व होना चाहिए.

तकनीक, जीवन शैली और कामकाज के बदलते रूपों के कारण सामुदायिकता और सामूहिकता का जो लोप होता जा रहा है, वह हमारे सभ्यतागत मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप नहीं है. इस पर ध्यान देने को भी हमें अपने संकल्पों में शामिल करना चाहिए. परस्पर सहकार से इस वर्ष हम एक नया अध्याय लिख सकते हैं.

और, चलते चलते हरिवंश राय बच्चन की कविता की कुछ पंक्तियां- साथी, नया वर्ष आया है!/ वर्ष पुराना, ले, अब जाता,/ कुछ प्रसन्न सा, कुछ पछताता,/ दे जी भर आशीष,/ बहुत ही इससे तूने दुख पाया है!/ साथी, नया वर्ष आया है!/ उठ इसका स्वागत करने को,/ स्नेह बाहुओं में भरने को,/ नये साल के लिए, देख, यह नयी वेदनाएं लाया है!/ साथी नया वर्ष आया है.

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