केस में पीएम मोदी और मोहन भागवत का नाम लेने को कहा जा रहा था – प्रज्ञा ठाकुर

केस में पीएम मोदी और मोहन भागवत का नाम लेने को कहा जा रहा था – प्रज्ञा ठाकुर

योगी आदित्यनाथ को भी फंसाने का था दबाव

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

1001467106
1001467106
previous arrow
next arrow
1001467106
1001467106
previous arrow
next arrow

सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में एक बड़ा बयान दिया है।उन्होंने दावा किया है कि जांच के दौरान अधिकारियों ने उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत का नाम लेने का दबाव डाला था।

यह बयान तब आया है जब NIA की विशेष अदालत ने उन्हें और छह अन्य आरोपियों को इस केस में बरी कर दिया है। NIA कोर्ट ने गुरुवार को 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित और पांच अन्य को सभी आरोपों से बरी कर दिया। मालेगांव में हुए बम विस्फोट केस में 6 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी बताया है कि गवाह अपने पहले के बयानों से पलट गए थे।

गवाहों ने क्या दावा किया?

प्रज्ञा ठाकुर के अलावा कुछ गवाहों ने भी कोर्ट में दावा किया है कि उन पर दबाव डालकर बयान लिए गए थे। एक गवाह ने कहा कि उससे जबरन सीएम योगी आदित्यनाथ और आरएसएस नेताओं के नाम बोलने को बोला गया था। पूर्व ATS अधिकारी मेहबूब मुजावर ने तो यहां तक कह दिया था कि उन्हें RSS प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि यह पूरी कोशिश ‘भगवा आतंकवाद’ का झूठा चित्रण बनाने के लिए की गई थी।

बम धमाकों के आरोपितों के बरी होने के बाद तत्कालीन जांच अधिकारियों की पोल खुल गई है। जांच में शामिल अधिकारी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ इंदौर में फर्जी गवाह तैयार कर रहे थे। उन्होंने गवाहों को न सिर्फ धमकाया बल्कि लालच भी दिया था। महाराष्ट्र एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को गुजरात से हिरासत में लेने के बाद दावा किया था कि जिस बाइक में बम लगाया गया वो उनके नाम से रजिस्टर्ड थी। इस बाइक की रिपेयरिंग इंदौर के पलासिया में हुई थी। एटीएस की टीम वहां पहुंची और मैकेनिक जितेंद्र शर्मा पर धमाकों में सहयोग करने का आरोप लगाया। एटीएस वाले पूछताछ के लिए लगातार बुलाते थे

जितेंद्र बताते हैं कि एटीएस वाले पूछताछ के लिए लगातार बुलाते थे। एटीएस अधिकारियों ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा का भी नाम लो। इसके लिए अधिकारियों ने उनको सरकारी गवाह बनाया और लालच भी दिया।

डाकिया व सब्जी वाला बनकर संदीप का पता पूछते थे अधिकारी

मालेगांव बम धमाके में साध्वी प्रज्ञा सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी, श्याम साहू, शिव, धर्मेंद्र की गिरफ्तारी हुई थी, पर संदीप डांगे और रामजी कलसांगरा को फरार दर्शा दिया गया।

रामजी के घर पर भी 50 बार तलाशी ली गई

संदीप एसजीएसआइटीएस से इंजीनियरिंग कर चुका था। संदीप और रामजी पर बम बनाने का आरोप लगाया गया। संदीप के पिता विश्वास पूछताछ और बयानों से परेशान हो गए थे। एटीएस वाले कभी डाकिया तो कभी सब्जी वाले बनकर घर आ जाते थे। रामजी के घर पर भी 50 बार तलाशी ली गई।

योगी आदित्यनाथ को भी फंसाने का था दबाव

कोर्ट ने इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले पर विपक्ष के कई नेताओं ने आपत्ति जताई है। इस बीच एक ऐसा खुलासा हुआ है, जो सभी को हैरान कर रहा है।

दरअसल, इस मामले में कुल 39 गवाहों में से एक गवाह ने ऐसा खुलासा किया है, जो हैरान करने वाला है। इन गवाहों में से एक गवाह ने कहा ने बताया कि उसपर योगी आदित्यनाथ और आरएसएस तथा दक्षिणपंथी संगठनों के अन्य कई लोगों को फंसाने का भी दबाव डाला गया था।

योगी आदित्यनाथ को फंसानी की भी थी साजिश

जानकारी दें कि मालेगांव ब्लास्ट केस में सरकारी गवाह रहे मिलिंद जोशी ने कोर्ट में बताया कि उनपर योगी आदित्यनाथ और RSS का नाम लेने का दबाव बनाया गया था। इसके लिए उनको कई दिनों तक हिरासत में रखा गया था।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ उस समय भी हिदुत्व का फायरब्रांड चेहरा थे। गवाह के मुताबिक मालेगांव ब्लास्ट केस में योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत को फंसाने की कोशिश की जा रही थी। वहीं, इस मामले की जांच अधिकारी रहे महबूब मुजावर ने कहा कि केस को इस तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिससे भगवा आतंकवाद का नैरेटिव स्थापित किया जा सके।

योगी आदित्यनाथ का नाम लेने का था दबाव

रिपोर्ट्स के अनुसार, महबूब मुजावर ने कहा कि तत्कालीन सरकार का उद्देश्य हिंदुत्व की राजनीति को खत्म करना चाहती थी। इस मामले में सरकारी गवाह मिलिंद जोशी पर दबाव था कि वह असीमानंद और योगी आदित्यनाथ का नाम इस मामले में लें। इसके लिए जांच अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित भी किया था।

कोर्ट ने कहा- आतंकवाद का नहीं होता धर्म

गौरतलब है कि गुरुवार को मालेगांव ब्लास्ट मामले में मुंबई की एक विशेष अदालत ने अपना फैसला दिया। कोर्ट ने इस मामले में सभी सात आरोपियों बरी कर दिया। मालेगांव ब्लास्ट मामले में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहगिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी आरोपी थे। सभी को कोर्ट ने बरी कर दिया।

न्यायालय ने फैसले के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है। और कोई भी धर्म हिंसा को सही नहीं ठहराता है। कोर्ट ने कहा मामले में कोई भी पुख्ता सबूत रखने में जांच एजेंसियां सफल नहीं हो सकी हैं। सिर्फ कहानियों के आधार पर सोच बना लेना सही नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!