राजनीति छोड़ दूंगा लेकिन गुंडा-माफियाओं को खत्म करके ही मानूंगा-सम्राट चौधरी

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वैशाली में मुन्ना शुक्ला तीसरी बार चुनावी मैदान में

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एक बार फिर से आगबबूला हो गए हैं। इस बार वह माफियाओं और जमीन हड़पने वालों को कड़ी चेतावनी दे डाली है। सम्राट चौधरी ने बालू माफियाओं को अमित शाह की भाषा में जवाब दिया है।

राजनीति छोड़ना पसंद करूंगा लेकिन माफियाओं का इलाज कर दूंगा

सम्राट चौधरी ने कहा कि गांव में बालू और जमीन हड़पने वाले का इलाज होगा। उन्होंने कहा कि कई लोग गरीब की जमीन हड़पने का काम कर रहा है, इन सारे लोगों का इलाज होगा। सम्राट चौधरी ने कहा कि राजनीति छोड़ना पसंद करूंगा लेकिन बिहार से माफियाओं को पूर्ण रूप से समाप्त करके ही मानूंगा।सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार में माफियाओं की गु्ंडागर्दी नहीं चलेगी। बिहार में माफियाओं को या तो जेल जाना होगा या तो बिहार छोड़कर जाना होगा।

लालू जी के परिवार का मतलब गुंडाराज और भ्रष्टाचार

सम्राट चौधरी ने कहा कि लालू परिवार का मतलब है कि गुंडाराज स्थापित करना, कानून तोड़ना और भ्रष्टाचार स्थापित करना है।

बिहार की वैशाली लोकसभा सीट पर लालू एवं तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी ने पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है। मंगलवार देर शाम जारी कैंडिडेट लिस्ट में इसकी घोषणा की गई। महागठबंधन के लिए वैशाली सीट हॉट बनी हुई है। एनडीए पहले ही प्रत्याशी घोषित कर चुका है, यहां से लोजपा रामविलास की प्रत्याशी वीणा देवी चुनाव लड़ रही हैं। मौजूदा सांसद वीणा देवी और बाहुबली मुन्ना शुक्ला के बीच वैशाली में सीधी टक्कर होती दिख रही है। मुन्ना शुक्ला यहां से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन कभी जीत नहीं मिली। एक बार जेडीयू के टिकट पर भी मैदान में उतरे। अब वे तीसरी बार आरजेडी के सिंबल पर वैशाली से कैंडिडेट हैं।

कई दिनों से वैशाली सीट पर प्रत्याशी को लेकर आरजेडी में पेच फंसा था। वैशाली सीट पर पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला की लगातार दावेदारी बनी हुई थी। टिकट मिलने पर उनके समर्थकों में उल्लास का माहौल हो गया। लालगंज से मुन्ना शुक्ला तीन बार लगातार विधायक रह चुके हैं। पहली बार 2000 में लालगंज से निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद 2005 की फरवरी में लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की। 2005 के नवंबर में हुए विस चुनाव में मुन्ना शुक्ला जेडीयू से चुनाव लड़े। इसमें भी उन्हें जीत हासिल हुई।

इसके बाद बृज बिहारी हत्याकांड में वे जेल चले गए। फिर 2010 में लालगंज से मुन्ना शुक्ला की पत्नी अन्नू शुक्ला जेडीयू के टिकट पर विधायक बनीं। 2015 में मुन्ना शुक्ला ने जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिसमें लोजपा के राजकुमार साह ने उन्हें हरा दिया। 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट एनडीए में बीजेपी के खाते में चली गई, जिसके बाद मुन्ना शुक्ला ने निर्दलीय चुनाव में ताल ठोंकी, लेकिन इसमें वे सफल नहीं हुए।

जेडीयू के टिकट पर लड़ चुके हैं वैशाली से लोकसभा चुनाव 
मुन्ना शुक्ला पहली बार 2004 में वैशाली लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े थे, पर हार गए। इसके बाद जेडीयू ने उन्हें 2009 में लोस का टिकट थमाया। हालांकि इसमें भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी जगह पत्नी अन्नू शुक्ला ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। इसमें अन्नू को हार का सामना करना पड़ा। 2024 के चुनाव में आरजेडी ने मुन्ना शुक्ला पर भरोसा जताया है। इससे यह सीट काफी दिलचस्प हो गई है।

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