दुनिया छोड़ दूंगा, पूर्णिया नहीं- पप्पू यादव

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में पूर्णिया लोकसभा सीट पर आरजेडी की तरफ से दावेदारी कर अपनी पार्टी से बीमा भारती को सिंबल देने की घटना से कांग्रेस नेता पप्पू यादव हैरान हैं। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि दुनिया छोड़ दूंगा लेकिन पूर्णिया नहीं। हालांकि उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस नेतृत्व का मामला है। इस सीट को लेकर उनकी कांग्रेस से लेकर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव तक से बात हो चुकी थी। फिर अचानक इस तरह का विवाद क्यों खड़ा किया गया, यह उनके समझ से परे है। इस सीट को लेकर क्या समस्या है, कुछ भी स्पष्ट नहीं हो रहा है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से अभी बात चल रही है।

उन्होंने इस सीट पर अपना दावा ठोकते हुए कहा कि अब तक पूर्णिया सीट से लड़ना तय है। कांग्रेस को छोड़ने पर पप्पू यादव ने कहा कि इस पार्टी से पुराना नाता है। इसे कभी नहीं छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्णिया क्षेत्र में वे काफी समय से लोगों के बीच संपर्क करने में जुटे हुए हैं। जन संपर्क यात्रा भी कर रहे हैं। इसका जबरदस्त रिस्पांस उन्हें मिल रहा है। ऐसे में सीट छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता है।

बता दें कि जेडीयू से इस्तीफा देकर आरजेडी में शामिल हुई बीमा भारती पूर्णिया लोकसभा सीट से राजद प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करेंगी। बुधवार को उन्होंने कहा कि आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव व युवा नेता तेजस्वी यादव का उन्हें आशीर्वाद मिल गया है। माता राबड़ी देवी का भी आशीर्वाद है। पूर्णिया लोकसभा सीट पर राजद के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि तीन अप्रैल को नामांकन होगा। पप्पू यादव पर पूछे गए सवाल पर कहा कि वे मेरे सम्मानीय हैं। ऐसे में पार्टी के निर्णय के साथ उनका भी सहयोग रहेगा।

बिहार के सीमांचल की पूर्णिया लोकसभा सीट लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल और राहुल गांधी की कांग्रेस के रिश्तों की सीमा परख रही है। महागठबंधन या इंडिया गठबंधन में बिना सीट बंटवारे के आरजेडी, सीपीआई और सीपीएम ने कहीं कैंडिडेट घोषित कर दिया है तो कहीं सिंबल बांट दिया है, जिनमें कुछ सीट पर कांग्रेस दावा कर रही है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह कह रहे हैं कि सिंबल तो वापस भी हो जाता है। कांग्रेस और आरजेडी के बीच जिन तीन-चार सीटों पर विवाद है उसमें पूर्णिया भी है। आरजेडी ने पूर्णिया में लड़ने को तैयार बाहुबली पप्पू यादव के दावे की काट में बाहुबली अवधेश मंडल की विधायक बीवी बीमा भारती को 14 साल बाद जेडीयू से बुला लिया है। बीमा ने सिंबल मिलने का दावा करते हुए 3 अप्रैल को नॉमिनेशन की घोषणा भी कर दी है।

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जो 9 सीटें मिली थीं उसमें पूर्णिया थी लेकिन इस बार तेजस्वी यादव सीट राजद के पास रखना चाहते हैं। कांग्रेस पूर्णिया सीट से 3 बार और मधेपुरा जोड़कर पांच बार सांसद रह चुके राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को लड़ाना चाहती है जिन्होंने जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया है। आरजेडी पूर्णिया संसदीय सीट के तहत रुपौली विधानसभा सीट से पांच बार विधायक बीमा भारती को उतारना चाहती है जो सीमांचल के डॉन और फैजान गिरोह के सरगना अवधेश मंडल की पत्नी हैं।

बीमा भारती और पप्पू यादव में एक समानता है। दोनों पहली बार निर्दलीय जीते फिर बाद में दूसरे दलों से लड़े और जीते। पप्पू यादव ने 1990 में मधेपुरा जिले की सिंहेश्वर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीता और अगले ही साल 1991 में पूर्णिया लोकसभा सीट भी निर्दलीय जीत गए। आगे पप्पू दो बार पूर्णिया और दो बार मधेपुरा से जीते। बीमा भारती 2000 में पहली बार निर्दलीय, 2005 में आरजेडी और उसके बाद के तीन चुनाव जेडीयू से जीती। इस बार नीतीश कुमार सरकार के विश्वासमत में बीमा भारती देरी से पहुंची थीं जिस दौरान उनके पति और बेटे को मोकामा में पुलिस ने आर्म्स एक्ट केस में गिरफ्तार कर लिया था।

पप्पू यादव जाप का कांग्रेस में विलय करने से पहले लालू यादव और तेजस्वी यादव से मिले थे जहां बकौल पप्पू लालू ने उन्हें जाप का आरजेडी में विलय करने और मधेपुरा से लड़ने कहा था। पप्पू ने लालू को पूर्णिया से लड़ने की बात कहकर पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया क्योंकि पूर्णिया सीट 2019 में कांग्रेस के पास थी। लेकिन एक के बाद एक सहयोगी और नेताओं के पार्टी छोड़ने से कमजोर हो रही कांग्रेस पर लालू ने भी काफी दबाव बना रखा है। बिना सीट बंटवारे के लालू कई कैंडिडेट को सिंबल दे चुके हैं जिसमें बीमा भारती भी शामिल हैं। बीमा भारती ने ऐलान कर दिया है कि वो 3 अप्रैल को नामांकन करेंगी।

पप्पू यादव कहते घूम रहे हैं कि लड़ेंगे तो पूर्णिया नहीं तो नहीं लड़ेंगे। पप्पू ने पूर्णिया में एक सभा में कहा कि उन्होंने कांग्रेस से कहा है कि अगर गठबंधन के कारण नहीं लड़ाना हो तो ना लड़ाएं लेकिन लड़ेंगे तो पूर्णिया ही जो उनकी मां जैसी है। 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लड़कर हारे उदय प्रताप सिंह उर्फ पप्पू सिंह पहले बीजेपी के टिकट पर इसी सीट से 2004 से 2014 तक सांसद रह चुके हैं। 2014 में सीट जेडीयू को चली गई और संतोष कुशवाहा यहां से जीते। 2019 में उदय सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए और पूर्णिया से हार गए। इस बार उदय सिंह शांत हैं।

जेडीयू ने फिर से संतोष कुशवाहा को टिकट दिया है जो हैट्रिक लगाने के लिए उतरेंगे। बीमा के पति अवधेश मंडल और संतोष कुशवाहा कभी एक-दूसरे के मददहार हुआ करते थे। सूत्रों का कहना है कि लालू मधेपुरा और पूर्णिया सीट की कांग्रेस से अदला-बदली चाहते हैं। लालू मधेपुरा को पप्पू यादव के लिए मुफीद मानते हैं जहां से पप्पू आरजेडी के टिकट पर दो बार जीत चुके हैं। लेकिन पप्पू इस बार पूर्णिया में समय और संसाधन झोंक चुके हैं और पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनकी पत्नी रंजीता रंजन पड़ोस की सुपौल सीट से जीत और हार चुकी हैं।

पप्पू के समर्थकों का तर्क है कि मधेपुरा से जेडीयू कैंडिडेट दिनेश चंद्र यादव के खिलाफ यादव को लड़ाने का कोई फायदा नहीं है। बीमा भारती को लड़ाने से जेडीयू के अति पिछड़े वोट में बड़ी टूट होगी और सीट आरजेडी निकाल लेगी। पप्पू यादव कुछ महीनों से लगातार महागठबंधन पर नरमी बरत रहे थे और कई बार हाथ जोड़कर कह रहे थे कि उनको ले लिया जाए। जुझारू पप्पू यादव की कांग्रेस में एंट्री से लालू के करीबी रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह चौंकन्ने हैं तो तेजस्वी यादव भी सतर्क हैं। आंदोलनकारी छवि के पप्पू यादव के जरिए कांग्रेस बिहार में नई ऊर्जा खोज रही है। ऐसे में पूर्णिया पर आरजेडी और कांग्रेस का फैसला जो भी हो, पप्पू यादव को केंद्र में रखकर होगा।

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